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सरकार के इस फैसले के खिलाफ अब CBI का एक और अफसर पहुंचा सुप्रीम कोर्ट

ए के बस्सी ने कहा कि, इस प्रक्रिया के पीछे बदनीयती है और पक्षपात पूर्ण कार्यवाई की जा रही है।

By Ravindra Pratap SingEdited By: Published: Mon, 21 Jan 2019 05:03 PM (IST)Updated: Mon, 21 Jan 2019 09:29 PM (IST)
सरकार के इस फैसले के खिलाफ अब CBI का एक और अफसर पहुंचा सुप्रीम कोर्ट
सरकार के इस फैसले के खिलाफ अब CBI का एक और अफसर पहुंचा सुप्रीम कोर्ट

नई दिल्ली, पीटीआइ। सीबीआइ डीएसपी एके बस्सी एक बार फिर पोर्ट ब्लेयर तबादला किये जाने के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंचे हैं। उन्होंने याचिका दाखिल कर तबादला आदेश निरस्त करने की मांग करते हुए कहा है कि आदेश दुर्भावना से प्रेरित है और उनके तबादले से सीबीआइ के पूर्व विशेष निदेशक राकेश अस्थाना के मामले में चल रही जांच प्रभावित होगी।

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एके बस्सी राकेश अस्थाना के खिलाफ भ्रष्टाचार के मामले की जांच कर रहे थे। सीबीआइ में चल रहे घमासान के दौरान यह दूसरा मौका है जबकि बस्सी का पोर्ट ब्लेयर स्थानांतरण किया गया है। आलोक वर्मा को शुरुआत में निदेशक पद से हटाए जाने के पहले एके बस्सी ही राकेश अस्थाना के खिलाफ दर्ज मामले की जांच कर रहे थे। लेकिन वर्मा और अस्थाना द्वारा एक दूसरे के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोप लगाए जाने के बाद जब सरकार ने दोनों को पद से हटा कर एम नागेश्वर राव को अंतरिम निदेशक बनाया था तब नागेश्वर राव ने बस्सी का स्थानांतरण पोर्ट ब्लेयर कर दिया था।

उधर जब आलोक वर्मा ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर निदेशक पद से हटाए जाने को चुनौती दी थी तब बस्सी ने भी एक याचिका दाखिल कर अपने तबादले को चुनौती दी थी। सुप्रीम कोर्ट ने आलोक वर्मा की याचिका का निपटारा करते हुए वर्मा को फिर से पद पर स्थापित किया था लेकिन बाकी अर्जियों पर कोई फैसला न देते हुए कानून में प्राप्त विकल्पों को अपनाने की छूट दी थी। वर्मा के पद संभालने पर बस्सी ने तबादले के खिलाफ ज्ञापन दिया और वर्मा ने उन्हें वापस दिल्ली ट्रांसफर कर दिया था। लेकिन दो दिन बाद ही वर्मा फिर पद से हटा दिये गए और नागेश्वर राव पुन: अंतरिम निदेशक बन गए। राव ने पद संभालने के बाद बस्सी का पुन: पोर्ट ब्लेयर स्थानांतरण कर दिया जिसके खिलाफ बस्सी ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की है।

वकील सुनील फर्नान्डीज के जरिए दाखिल याचिका में कहा गया है कि उन्हें फिर से पोर्ट ब्लेयर ट्रांसफर करने के आदेश में कोई कारण नहीं दिया गया है। 11 जनवरी का तबादला आदेश बगैर सोचे समझे दुर्भावना से प्रेरित है। बस्सी ने कहा है कि जिस अधिकारी ने तबादला आदेश पारित किया है उसे आदेश देने का अधिकार ही नहीं है। और उनका तबादला सुप्रीम कोर्ट के आदेश के खिलाफ है। बस्सी ने आशंका जताई है कि अस्थाना के खिलाफ निष्पक्ष जांच का कर्तव्य निभाने पर उन्हें झूठे आपराधिक मामले में फंसाने या उनके खिलाफ विभागीय जांच करने का यह तबादला पहला कदम हो। बस्सी ने तबादला आदेश खारिज करने की मांग की है साथ ही कोर्ट से तबादला आदेश पर अंतरिम रोक लगाने की भी गुहार लगाई है।

ट्रांसफर पर जस्टिस गोगोई ने ली थी चुटकी
सीबीआइ अधिकारी एके बस्सी की याचिका पर सुनावई पर चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने चुटकी लेते हुए कहा था, ‘पोर्ट ब्लेयर अच्छी जगह है, कुछ दिन वहां बिताएं।’ आपको बता दें कि ए के बस्सी ही वो अधिकारी हैं जिन्हें सीबीआइ विवाद के दौरान तत्कालीन सीबीआइ चीफ आलोक वर्मा ने राकेश अस्थाना के खिलाफ जांच की कमान सौंपी थी।


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