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व्यापम घोटाला: CBI कोर्ट ने सुनाया पहला फैसला, 4 दोषियों को सुनाई कठोर कारावास की सजा

व्यापम फर्जीवाड़े में जबलपुर जोन में मंगलवार को पहला फैसला सुनाया। सभी दोषियों को चार साल के कठोर कारावास की सजा सुनाई गई।

By Arti YadavEdited By: Published: Wed, 01 Aug 2018 08:33 AM (IST)Updated: Wed, 01 Aug 2018 09:11 AM (IST)
व्यापम घोटाला: CBI कोर्ट ने सुनाया पहला फैसला, 4 दोषियों को सुनाई कठोर कारावास की सजा
व्यापम घोटाला: CBI कोर्ट ने सुनाया पहला फैसला, 4 दोषियों को सुनाई कठोर कारावास की सजा

जबलपुर (नईदुनिया)। सीबीआइ कोर्ट ने बहुचर्चित मध्य प्रदेश व्यावसायिक परीक्षा मंडल (व्यापम) फर्जीवाड़े में जबलपुर जोन में मंगलवार को पहला फैसला सुनाया। सभी दोषियों को चार साल के कठोर कारावास की सजा सुनाई गई। सजा पाने वालों में मुरैना निवासी दीपक जाटव, लक्ष्मीनारायण जाटव, दीवान जाटव और भागीरथ जाटव शामिल हैं।

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इन सभी पर व्यापम द्वारा आयोजित वनरक्षक भर्ती परीक्षा-2013 में गड़बड़ी करने का आरोप था। ये चारों तहसील बामौर जिला मुरैना के अलग-अलग गांव के रहने वाले हैं। मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने व्यापम मामलों की सुनवाई के लिए चार जोन बनाए हैं। इनमें जबलपुर, भोपाल, इंदौर व ग्वालियर शामिल हैं। सीबीआइ की विशेष अदालत में अपर सत्र न्यायाधीश एसएस परमार की अदालत के समक्ष इस मामले की ट्रायल हुई।

पिता ने एक लाख रुपये देकर सॉल्वर से दिलाई परीक्षा

सीबीआइ के विशेष लोक अभियोजक पवन कुमार पाठक ने दलील दी कि मुख्य आरोपित दीपक व्यापम द्वारा आयोजित वनरक्षक भर्ती परीक्षा-2013 में अभ्यर्थी था। उसके स्थान पर सॉल्वर लक्ष्मीनारायण ने अपनी फोटो लगाकर परीक्षा दी थी। जबकि, दीपक के पिता भागीरथ जाटव ने मध्यस्थ दीवान को इस फर्जीवाड़े के लिए एक लाख से अधिक की रकम का भुगतान किया था।

दमोह में साक्षात्कार के दौरान खुली पोल

व्यापम की वनरक्षक भर्ती परीक्षा-तीन मार्च 2013 को मुरैना के सेंट मैरी स्कूल में हुई थी। इसके बाद जब दमोह में सफल अभ्यर्थियों का साक्षात्कार हुआ तो दीपक की जगह परीक्षा देने वाले लक्ष्मीनारायण की फोटो मैच नहीं हुई। संदेह पर पुलिस बुलाकर उसे थाने भेज दिया गया। पुलिस ने कड़ाई से पूछताछ शुरू की तो सॉल्वर लक्ष्मीनारायण के अलावा दीपक, उसके पिता भागीरथ व मध्यस्थ दीवान को भी गिरफ्तार किया गया।

अदालत में 2015 में पेश किया गया चालान

इस मामले में अभियोजन की ओर से 11 मई 2015 को विशेष अदालत में चालान पेश किया गया। तीन साल तक चली ट्रायल के दौरान अभियोजन की ओर से 44 गवाह पेश किए गए, जिनके बयान रिकॉर्ड पर लिए गए।

सजा सुनते ही फूट-फूटकर रोने लगे

जैसे ही सजा सुनाई गई चारों फूट-फूटकर रोने लगे। चारों को पुलिस 11.30 बजे जिला एवं सत्र न्यायालय जबलपुर लाई। उन्हें कोर्ट लॉकअप में रखा गया। अदालत के समक्ष 12.30 बजे पेश किया गया। 12.40 बजे 20 पेज का फैसला सुनाया गया।


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