CBI विवादः CJI ने सॉलिसिटर जनरल से पूछे तीखे सवाल, फैसला सुरक्षित
सीबीआइ निदेशक आलोक वर्मा से कामकाम वापस लिये जाने और रिश्वतखोरी के आरोपों को लेकर गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट में लंच के बाद फिर से सुनवाई जारी है।
नई दिल्ली, जेएनएन। सीबीआइ निदेशक आलोक वर्मा से कामकाम वापस लिये जाने और उन्हें जबरन छुट्टी पर भेजे जाने को लेकर चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की पीठ ने सरकार का पक्ष रखने पेश हुए सॉलिसिटर जनरल से कई तीखे सवाल किए। अदालत ने आलोक वर्मा और एनजीओ की अपील पर सुनवाई पूरी कर फैसला सुरक्षित रख लिया है।
सीजेआई ने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से सवाल किया कि अगर सरकार वर्मा को छुट्टी पर ही भेजना चाहती थी तो चयन कमेटी से सलाह करने में कहां दिक्कत थी? जिस पर तुषार मेहता ने कहा कि चूंकि उनका तबादला नहीं किया जा रहा था इसीलिए चयन कमेटी से सलाह नहीं ली गई। इस पर फिर से चीफ जस्टिस ने पूछा, फिर भी ये तो बताएं कि चयन कमेटी से सलाह मशविरा करने में कहां दिक्कत थी?
चीफ जस्टिस ने एडवोकेट जनरल के बुधवार को सुनवाई के दौरान दिए तर्क को लेकर भी सवाल किया। उन्होंने कहा कि एजी ने गत दिवस सुनवाई के दौरान बताया कि शीर्ष अधिकारी बिल्लियों की तरह आपस में लड़ रहे थे। ऐसे में आप ये कुछ महीने और क्यों नहीं सहन कर सके? उन्होंने पूछा कि ऐसा क्या हो गया था कि सरकार ने रातों-रात डायरेक्टर को छुट्टी पर भेज दिया।
सीवीसी ने कहा- मामलों की बजाए एक-दूसरे की जांच कर रहे थे अफसर
सीवीसी ने सुप्रीम कोर्ट में दायर जवाब में कहा है कि सीबीआइ के अधिकारी गंभीर मामलों की बजाए एक-दूसरे की ही जांच में लगे हुए थे। जिससे की सीवीसी इस निष्कर्ष पर पहुंचा कि अब एक असाधारण स्थिति बन चुकी है और असाधारण स्थिति से निपटने के लिए कार्रवाई भी असाधारण ही होनी चाहिए। सॉलिसिटर जनरल ने कहा, 'चूंकि असाधारण स्थिति उत्पनन्न हो गई थी, इसीलिए सीवीसी ने निष्पक्ष रहते हुए दोनों को काम से हटाने का आदेश दिया।'
बता दें कि एजी ने कल कहा था कि सीबीआइ में लोगों का भरोसा कायम रखने के लिए सरकार को मजबूरन मामले में दखल देना पड़ा। सरकार की ओर से पेश अटार्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने यह भी कहा कि अगर सरकार दखल नहीं देती तो ईश्वर ही जाने कि इनकी लड़ाई कहां जाकर खत्म होती।
बता दें कि सीबीआइ निदेशक आलोक वर्मा और विशेष निदेशक राकेश अस्थाना ने एक दूसरे के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोप लगाते हुए शिकायतें की थीं। जिसके बाद केन्द्र सरकार ने दोनों अधिकारियों ने काम वापस लेकर संयुक्त निदेशक एम. नागेश्वर राव को अंतरिम तौर पर सीबीआइ निदेशक का काम सौंप दिया था।
आलोक वर्मा ने उनसे निदेशक पद का काम छीने जाने के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है जिस पर मुख्न्यायाधीश रंजन गोगोई, संजय किशन कौल और केएम जोसेफ की पीठ सुनवाई कर रही है।