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29 तक वापस भारत लाए जा सकते हैं मेहुल चोकसी व जतिन पटेल, एजेंसियों ने ऐसे बिछाया जाल

चोकसी के अलावा डायमंड कारोबारी जतिन मेहता को भी लाने की कोशिश। नीरव मोदी को दबोचने के लिए वेस्टइंडीज से लौटते वक्त यूरोप जा सकते हैं अधिकारी।

By TaniskEdited By: Published: Sat, 26 Jan 2019 09:17 PM (IST)Updated: Sun, 27 Jan 2019 08:05 AM (IST)
29 तक वापस भारत लाए जा सकते हैं मेहुल चोकसी व जतिन पटेल, एजेंसियों ने ऐसे बिछाया जाल
29 तक वापस भारत लाए जा सकते हैं मेहुल चोकसी व जतिन पटेल, एजेंसियों ने ऐसे बिछाया जाल

नई दिल्ली, आइएएनएस। देश से भागे बड़े आर्थिक भगोड़े मेहुल चोकसी व जतिन पटेल को 29 जनवरी तक वेस्टइंडीज से भारत वापस लाया जा सकता है। हालांकि अभी यह स्पष्ट नहीं है कि दोनों को एक स्थान से पकड़ा जाएगा अथवा अलग-अलग स्थानों से। चोकसी के खिलाफ इंटरपोल रेड कॉर्नर नोटिस भी जारी कर चुका है।

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उच्च पदस्थ सूत्रों ने इस बात की पुष्टि करते हुए बताया कि दोनों भगोड़ों को एयर इंडिया के विशेष विमान से लाया जाएगा और इसके लिए अधिकारियों का दल कैरेबियाई द्वीप जाएगा। अधिकारियों ने हालांकि अपने इस विशेष अभियान पर चुप्पी साध रखी है लेकिन माना जा रहा है कि उनको लाने की सभी तैयारियां पूरी की जा चुकी हैं। भगोड़ों की वापसी के मद्देनजर सुरक्षा के भी व्यापक इंतजाम कर लिए गए हैं। सेंट किट्स और एंटीगुआ में एयरपोर्ट हैं और यहां बड़े विमान उतर सकते हैं।

सूत्रों ने कहा कि पीएनबी घोटाले के आरोपी मेहुल चोकसी ने एंटीगुआ व बरबुडा की नागरिकता हाल में ली है, जबकि बैंक धोखाधड़ी के आरोपी जतिन मेहता ने सेंट किट्स व नेविस की नागरिकता पहले ली थी। मेहता पर 3,969 करोड़ रुपये के बैंक फ्राड का तो चोकसी पर 13,700 करोड़ रुपये के पीएनबी घोटाले का आरोप है।

सूत्रों ने बताया कि सीबीआइ व ईडी के निशाने पर चोकसी के अलावा नीरव मोदी भी हैं लेकिन अभी इस बात की पुष्टि नहीं हुई है कि नीरव कैरेबियाई द्वीप के किसी देश में ही छिपा है। बहरहाल ऐसा कहा जा रहा है कि चोकसी को कैरेबियाई देश से गिरफ्तार कर वापसी में लौटते हुए नीरव मोदी को भी दबोचा जा सकता है जो कथितरूप से किसी यूरोपीय देश में छिपा हो सकता है।

कैरेबियाई देश पसंदीदा शरणस्थली
बता दें कि कैरेबियाई देश 132 देशों को बिना वीजा के यात्रा की अनुमति और निवेश करने पर अपने देश की नागरिकता प्रदान करते हैं। आसानी से उस देश में छिपने और नागरिकता मिलने की वजह से उनके देश भारत के आर्थिक भगोड़ों के लिए उनकी पसंदीदा शरणस्थली बन गए हैं।

निवेश से ली नागरिकता
कैरेबियाई देशों के साथ भारत की प्रत्यर्पण संधि नहीं है इसलिए कैरेबियाई द्वीप के देश आर्थिक भगोड़ों के लिए सुरक्षित पनाहगाह बन गए हैं। ग्रेनेडा, सेंट लूसिया और डोमिनिका भी निवेश के आधार पर नागरिकता प्रदान करते हैं। डोमिनिका और सेंट लूसिया तो महज एक लाख अमेरिकी डालर (लगभग 70 लाख रुपये) के निवेश पर ही वैध पासपोर्ट और नागरिकता प्रदान कर देते हैं। इसीलिए भारत से चूना लगाकर आर्थिक भगोड़े वहां पहुंच गए और काली कमाई को निवेश कर वैध पासपोर्ट और नागरिकता हासिल कर ली।

बच्चों के लिए भी निवेश से नागरिकता
कैरेबियाई देशों में यदि पत्नी-बच्चों का भी वैध पासपोर्ट और नागरिकता चाहिए तो उसके लिए सेंट लूसिया में एक लाख 65 हजार अमेरिकी डालर (लगभग एक करोड़ 16 लाख रुपये) तथा डोमिनिका में एक लाख 75 हजार अमेरिकी डालर (लगभग 1 करोड़ 24 लाख रुपये) के निवेश की जरूरत होती है जबकि ग्रेनाडा में इसके लिए दो लाख अमेरिकी डालर (लगभग एक करोड़ 41 लाख रुपये)के निवेश की शर्त होती है।

क्या कहता है कानून
प्रत्यर्पण संबंधी अंतरराष्ट्रीय कानून के मुताबिक, अपराध करने वाले नागरिक की नागरिकता से ज्यादा उसके द्वारा किया गया अपराध ज्यादा मायने रखता है इसलिए कैरेबियाई देशों की नागरिकता हासिल करने के बावजूद चूंकि आर्थिक भगोड़ों ने भारत में अपराध किया है इसलिए उनके भारत की नागरिकता छोड़ने का उनके प्रत्यर्पण पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा।


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