उद्धव ठाकरे और सुप्रिया सुले के खिलाफ झूठे हलफनामे के आरोपों की जांच सीबीडीटी के पास
वर्तमान में जनप्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा-125ए के तहत हलफनामे में झूठ बोलने के दोषी व्यक्ति के लिए छह महीने तक की जेल या जुर्माने अथवा दोनों का प्रावधान है।
नई दिल्ली, प्रेट्र। चुनाव आयोग ने केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (CBDT) को याद दिलाया है कि उसने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे, उनके मंत्री पुत्र आदित्य ठाकरे और राकांपा की लोकसभा सदस्य सुप्रिया सुले के खिलाफ झूठे हलफनामे दायर करने के आरोपों की जांच करने का अनुरोध किया था।
सूत्रों ने बताया कि चुनाव आयोग ने करीब एक महीने पहले यह शिकायत सीबीडीटी को संदर्भित की थी। इसमें चुनावी हलफनामों में दर्शाई गई संपत्तियों और देनदारियों की सत्यता की जांच करने का अनुरोध किया गया है। वर्तमान में जनप्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा-125ए के तहत हलफनामे में झूठ बोलने के दोषी व्यक्ति के लिए छह महीने तक की जेल या जुर्माने अथवा दोनों का प्रावधान है।
क्षैक्षिक योग्यता से जुड़ी गलत या झूठी जानकारियों की शिकायतों पर लिया जाएगा संज्ञान
इस साल जून तक कथित झूठे हलफनामों के मुद्दे पर चुनाव आयोग शिकायतकर्ता को सीधे अदालत जाने के लिए कहता था। लेकिन 16 जून को आयोग ने घोषणा की थी कि वह चुनावी हलफनामों में आपराधिक इतिहास, संपत्तियों और शैक्षिक योग्यता से जुड़ी गलत या झूठी जानकारियों की शिकायतों पर संज्ञान लेगा और मामले-दर-मामले के आधार पर उन्हें सक्षम एजेंसियों को संदर्भित करेगा।
मेरी खामोशी को कमजोर न समझें: उद्धव ठाकरे
वहीं, दूसरी ओर बॉलीवुड अभिनेत्री कंगना रनोट से विवादों के बीच पिछले दिनों महाराष्ट्र के सीएम उद्धव ठाकरे राज्य के लोगों को संबोधित किया। इस दौरान न तो उन्होंने कंगना-शिवसेना के बीच चल रहे विवाद पर कुछ बोला और न ही शिवसैनिकों द्वारा नेवी के पूर्व अफसर की पिटाई पर बात की। अपने संबोधन के शुरुआत में ही उन्होंने साफ कर दिया कि वो आज राजनीतिक मसलों पर बात नहीं करेंगे। उन्होंने कहा कि राज्य को बदनाम करने की कोशिश की जा रही है। पिछले दिनों मैंने कई मुसीबतों का सामना किया है और आगे भी राजनीतिक साइक्लोन का सामना करता रहूंगा, लेकिन मेरी खामोशी को मेरी मजबूरी न समझे।