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कैग के बताने पर भी अरबों रुपयों की रिकवरी नहीं कर पाई केंद्र और राज्य सरकारें

पेट्रोल और डीजल से सरकार के खजाने में अच्छी खासी धनराशि आती है।

By Bhupendra SinghEdited By: Published: Mon, 17 Sep 2018 08:34 PM (IST)Updated: Tue, 18 Sep 2018 12:08 AM (IST)
कैग के बताने पर भी अरबों रुपयों की रिकवरी नहीं कर पाई केंद्र और राज्य सरकारें
कैग के बताने पर भी अरबों रुपयों की रिकवरी नहीं कर पाई केंद्र और राज्य सरकारें

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। केंद्र और राज्य सरकारें राजस्व जुटाने की जरूरत बताकर भले ही पेट्रोल-डीजल पर टैक्स में कटौती न कर रहीं हो, लेकिन हकीकत यह है कि यदि वे बकाया पड़ी सरकारी राशि वसूल लें तो अरबों रुपये सरकारी खजाने में आ जाएंगे। हालांकि वास्तविक स्थिति इसके उलट है। नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) के आगाह करने के बावजूद केंद्र और राज्य सरकारें बड़ी धनराशि की रिकवरी करने में नाकाम रहीं हैं।

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केंद्र से अधिक राज्यों की है रिकवरी

कैग ने अपनी 'परफॉमर्ेंस रिपोर्ट 2016-17' में यह अहम खुलासा किया है। यह रिकवरी सरकार को मिलने वाले कर व शुल्क जैसे बकाया राजस्व तथा अतिरिक्त व्यय से संबंधित है। कैग हर साल केंद्र और राज्य सरकारों के विभागों का ऑडिट करता है और इसकी रिपोर्ट संसद व राज्य विधानमंडलों में पेश करता है। कैग इन ऑडिट रिपोर्ट में विभागवार बताता है कि उन्हें कितनी रिकवरी करनी है।

पांच वर्षो में महज दस फीसदी ही रिकवरी कर पाई केंद्र व राज्य सरकारें

रिपोर्ट के मुताबिक कैग ने बीते पांच साल (2012-13 से 2016-17) में केंद्र और राज्य सरकारों के अलग-अलग विभागों का ऑडिट कर भारी भरकम 6.58 लाख करोड़ रुपये की रिकवरी करने को कहा । केंद्र और राज्य सरकार ने 2.28 लाख करोड़ रुपये की रिकवरी स्वीकार की, लेकिन रिकवरी मात्र 20,909 करोड़ रुपये की हुई।

रिपोर्ट के मुताबिक वित्त वर्ष 2016-17 के दौरान कैग ने केंद्र सरकार के विभागों को 39,952 करोड़ रुपये की रिकवरी करने कहा जिसमें से सरकार ने 19,965 करोड़ रुपये की रिकवरी स्वीकार की लेकिन वास्तविक रिकवरी मात्र 2566 करोड़ रुपये हुई। यही हाल सभी राज्य सरकारों का भी रहा।

वित्त वर्ष 2016-17 में कैग ने राज्यों को 88,506 करोड़ रुपये की रिकवरी करने को कहा और राज्यों ने 22,746 करोड़ रुपये की रिकवरी स्वीकार भी की लेकिन वास्तव में रिकवरी मात्र 4,350 करोड़ रुपये ही हुई। इस तरह केंद्र और राज्य सरकारों के विभागों ने कैग के बताने के बावजूद महज एक तिहाई रिकवरी ही कबूल की। इससे भी चिंताजनक तथ्य यह है कि उन्होंने मात्र स्वीकार की गयी रिकवरी में से मात्र 16 प्रतिशत ही वसूल की।

खास बात यह है कि केंद्र सरकार से ज्यादा रिकवरी राज्यों की लंबित है। राज्य सरकारें विकास कार्यो के लिए भी अक्सर केंद्र सरकार से धनराशि मिलने की बाट जोहती रहती हैं। ऐसे में अगर वे इस राशि की रिकवरी कर लें तो उनके खजाने में पर्याप्त धनराशि आ जाएगी।

गौरतलब है कि हाल के दिनों में पेट्रोल-डीजल की कीमतें रिकार्ड स्तर पर पहुंचने के बाद पेट्रोलियम उत्पादों पर टैक्स में कटौती की चौतरफा मांग उठी है। पेट्रोल और डीजल से सरकार के खजाने में अच्छी खासी धनराशि आती है। ऐसे में केंद्र और राज्य सरकारें अपने खजाने को भरने की चिंता में इन उत्पादों पर टैक्स में कटौती से परहेज करती रही हैं।

वित्त वर्ष 2016-17 में कैग ने बतायी इतनी रिकवरी

      रिकवरी बताई  स्वीकार हुई  रिकवरी हुई

केंद्र  39952           19965         2566

राज्य 88506          22746        4350

कुल  128458         42712         6917


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