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CAG ने किया UPA व NDA के डिफेंस ऑफसेट कांट्रैक्ट का ऑडिट, शीतकालीन सत्र में हो सकते हैं कई पर्दाफाश

CAG ने वर्ष 2012-13 से वर्ष 2017-18 की अवधि के लिए रक्षा क्षेत्र में खरीद के 32 ऑफसेट कांट्रैक्ट का ऑडिट किया है।

By Dhyanendra SinghEdited By: Published: Sun, 25 Aug 2019 09:33 PM (IST)Updated: Sun, 25 Aug 2019 09:40 PM (IST)
CAG ने किया UPA व NDA के डिफेंस ऑफसेट कांट्रैक्ट का ऑडिट, शीतकालीन सत्र में हो सकते हैं कई पर्दाफाश
CAG ने किया UPA व NDA के डिफेंस ऑफसेट कांट्रैक्ट का ऑडिट, शीतकालीन सत्र में हो सकते हैं कई पर्दाफाश

नई दिल्ली, हरिकिशन शर्मा। राफेल डील पर भाजपा और कांग्रेस की तकरार लोकसभा चुनाव के बाद भले ही कुछ समय के लिए शांत पड़ गई हो, लेकिन आने वाले दिनों में एक बार फिर सत्तापक्ष और विपक्ष के बीच रक्षा सौदों को लेकर आरोप-प्रत्यारोप का दौर शुरू हो सकता है।

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दरअसल, नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) ने संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (UPA)-2 और राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA)-1 के कार्यकाल में हुए रक्षा खरीद सौदों के 32 ऑफसेट कांट्रैक्ट का ऑडिट किया है। बताया जाता है कि CAG की इस ऑडिट रिपोर्ट में कई अहम पर्दाफाश हो सकते हैं। कैग ने रिपोर्ट को अंतिम रूप दे दिया है और इसे संसद के शीतकालीन सत्र में पेश किया जाएगा।

सूत्रों ने बताया, 'CAG ने वर्ष 2012-13 से वर्ष 2017-18 की अवधि के लिए रक्षा क्षेत्र में खरीद के 32 ऑफसेट कांट्रैक्ट का ऑडिट किया है। इसमें थल सेना, नौसेना और वायुसेना के लिए खरीदे गए रक्षा उपकरणों के सौदे शामिल हैं। कैग के अधिकारी रिपोर्ट को अंतिम रूप दे रहे हैं। जल्द ही इसे सरकार को सौंप दिया जाएगा।'

उन्होंने कहा कि ये ऑफसेट कांट्रैक्ट राफेल और मिराज फाइटर एयरक्राफ्ट से लेकर अपाचे व चिनूक जैसे हेलीकॉप्टर, अत्याधुनिक रडार व रॉकेट जैसे रक्षा उपकरणों की खरीद से संबंधित हैं। ये उपकरण सरकार ने विदेशी कंपनियों से खरीदे हैं। सूत्रों का कहना है कि कैग ने इस बात का ऑडिट किया है कितनी कंपनियों ने ऑफसेट कांट्रैक्ट के तहत अपना उत्तरदायित्व कितना निभाया। साथ ही ऑफसेट कांट्रैक्ट के लिए भारतीय पार्टनर का चयन किस आधार पर किया।

बता दें कि राफेल सौदे में फ्रांसीसी कंपनी दासौ की तरफ से रिलायंस को ऑफसेट पार्टनर बनाए जाने को लेकर विपक्ष ने लोकसभा चुनाव से पूर्व सरकार पर हमला बोला था। आम चुनाव के दौरान भी यह बड़ा मुद्दा बना था।

सरकार ने वर्ष 2005 में शुरू की थी ऑफसेट पॉलिसी
सरकार ने रक्षा खरीद प्रक्रिया के तहत पहली बार वर्ष 2005 में ऑफसेट पॉलिसी शुरू की थी। तब से अब तक इसमें कई बार बदलाव हो चुके हैं। इसका मकसद रक्षा खरीद को घरेलू मैन्युफैक्चरिंग से जोड़ना था। अगर कोई रक्षा सौदा 3,000 करोड़ रुपये से अधिक का हो तो उसमें ऑफसेट का नियम लागू होता है। ऑफसेट कांट्रैक्ट होने पर विदेशी कंपनियों को एक भारतीय पार्टनर चुनना होता है या भारत में ही बने कुछ पा‌र्ट्स खरीदने होते हैं। वर्ष 2005 से अब तक पांच दर्जन से अधिक ऑफसेट कांट्रैक्ट हो चुके हैं।


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