मोदी कैबिनेट ने अल्पसंख्यक छात्रों के लिए 5338 करोड़ की योजनाओं को दी मंजूरी
सरकार के अनुसार इससे प्रतिवर्ष 70 लाख विद्यार्थी लाभान्वित होंगे। यह योजना राष्ट्रीय छात्रवृति पोर्टल एनएसपी के माध्यम से लागू की जाएंगी।
नई दिल्ली [जागरण ब्यूरो]। सरकार ने अल्पसंख्यक बच्चों को प्री-मैट्रिक, पोस्ट-मैट्रिक और प्रतिभा के आधार पर दी जाने वाली छात्रवृत्तियों की अवधि दो साल बढ़ा दी है। प्रधानमंत्री मोदी की अध्यक्षता में मंत्रिमंडल की आर्थिक मामलों की समिति ने 6 अधिसूचित अल्पसंख्यक समुदायों के विद्यार्थियों के लिए मैट्रिक पूर्व, मैट्रिक पश्चात तथा मेधा सह साधन आधारित छात्रवृत्ति योजनाओं को 5338 करोड़ रुपये की लागत से 2019-20 की अवधि तक जारी रखने के प्रस्ताव को स्वीकृति दी है।
सरकार के अनुसार इससे प्रतिवर्ष 70 लाख विद्यार्थी लाभान्वित होंगे। यह योजना राष्ट्रीय छात्रवृति पोर्टल एनएसपी के माध्यम से लागू की जाएंगी। बता दें कि छात्रवृतियां उन विद्यार्थियों को दी जाएंगी जिन्हे पहले की अंतिम परीक्षा में 50 प्रतिशत से कम अंक प्राप्त नहीं हुए हैं। छात्रवृत्ति योजना का उद्देश्य अल्पसंख्यक समुदाय के माता-पिता को अपने बच्चों को स्कूल भेजने के लिए प्रेरित करना, स्कूली शिक्षा पर उनके वित्तीय बोझ को कम करना और उनके बच्चों की स्कूली शिक्षा पूरी करने में उनके प्रयासों को समर्थन देना है।
वही मेधा सह साधन आधारित छात्रवृत्ति योजना में सरकार गरीब तथा मेधावी अल्पसंख्यक विद्यार्थियों को वित्तीय सहायता प्रदान करना चाहती है ताकि विद्यार्थी स्नातक तथा स्नातकोत्तर स्तर पर पेशेवर तथा तकनीकी पाठ्यक्रम जारी रख सकें और परिणामस्वरुप अल्पसंख्यक समुदायों की सामाजिक, आर्थिक स्थितियों में सुधार हो सके।
गौरतलब है कि पिछले वर्षों के दौरान इन योजनाओं को लागू करने से अल्पसंख्यक समुदायों की सामान्य साक्षरता दर स्तर पर बड़ा प्रभाव पड़ा है। 2011 की जनगणना के अनुसार मुसलमान समुदाय की साक्षरता दर 59.1 प्रतिशत से बढ़कर 68.5 प्रतिशतहो गई है। महिलाओं के मामले में भी काफी सुधार हुआ है।
कैबिनेट में आएगा बाल विवाह को गैरकानूनी बनाने का प्रस्ताव
बाल विवाह को गैरकानूनी बनाने का प्रस्ताव कैबिनेट में आएगा। महिला व बाल विकास मंत्रालय ने इसकी तैयारी पूरी कर ली है। अगर इस पर मुहर लगी तो उस कानून में बदलाव हो जाएगा जिसके तहत बाल विवाह उन परिस्थितियों में ही रोका जा सकता है जब बालिग होने के दो साल बाद तक दोनों पक्षों की तरफ से कोर्ट में याचिका दी जाए। नाबालिग के मामले में उनके संरक्षकों को केस करने का अधिकार है।
प्रस्ताव में बाल विवाह निरोधक कानून की धारा 3 में संशोधन की बात है। इसमें बाल विवाह उसी स्थिति में शून्य माना जाता है जब दोनों पक्ष सहमत हों। सरकार चाहती है कि भविष्य में बाल विवाह पूरी तरह से गैर कानूनी घोषित कर दिया जाए। हालांकि पर्सनल लॉ के तहत होने वाले विवाह में संशोधन के लिए अलग से प्रस्ताव तैयार करना होगार्। हिंदू पर्सनल लॉ व मुस्लिम पर्सनल बोर्ड के कानून के तहत कोई लड़की उस स्थिति में विवाह को खत्म करने की अपील कर सकती है जब उसकी शादी 15 साल से पहले हुई हो। उसे इसके लिए 18 साल की उम्र से पहले आवेदन करना होता है।
भारत में 2.3 करोड़ बाल वधुएं
2011 की जनगणना के अनुसार भारत में 2.3 करोड़ बाल वधुएं हैं। 2015-16 का नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे कहता है कि 26.8 फीसद महिलाएं 18 साल की उम्र से पहले विवाह के बंधन में बंध चुकी थीं। इसमें बताया गया है कि 15 से 19 साल के बीच आयु वर्ग में आठ फीसद लड़कियां या तो मां बन चुकी थीं या फिर गर्भवती थीं।
सुप्रीम कोर्ट के जजों की सेवानिवृत्त आयु बढ़ाने की कोई योजना नहीं
सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के जजों की सेवानिवृत्त आयु बढ़ाने की कोई योजना नहीं है। कैबिनेट के फैसलों की जानकारी देते हुए कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने बुधवार को यह बात कही। बता दें कि अभी सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश की सेवानिवृत्त आयु 65 वर्ष है वहीं हाई कोर्ट के जज 62 साल की उम्र में सेवानिवृत्त होते हैं। कैबिनेट के फैसलों की जानकारी देने के दौरान जब प्रसाद से सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के जजों की सेवानिवृत्त आयु दो साल बढ़ाने संबंधी संविधान संशोधन बिल के बाबत पूछा गया तो उन्होंने इस पर पूरी तरह से इनकार कर दिया।
बापू की जयंती पर कैदियों की होगी आम रिहाई
राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की 150वीं जयंती वर्ष के अवसर देश में बड़े पैमाने पर कैदियों की रिहाई होगी। प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट की बैठक में फैसला किया गया कि अपनी आधी से अधिक सजा काट चुके उम्रदराज व दिव्यांग कैदियों को तीन चरणों में रिहा किया जाएगा। नीति आयोग की बैठक में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने यह सुझाव दिया था, जिस पर कैबिनेट की मुहर लग गई है। पहले चरण में एक तिहाई कैदियों को आगामी दो अक्टूबर को गांधी जयंती के दिन रिहा किया जाएगा। इसके बाद अगले साल 10 अप्रैल को चंपारण सत्याग्रह की वर्षगांठ के अवसर पर एक तिहाई और बाकीबचे एक तिहाई कैदियों की रिहाई उसके बाद दो अक्टूबर को की जाएगी।
जाहिर है कि रिहा किए जाने वाले कैदियों की पहचान और इसके लिए जरूरी कार्यवाही तत्काल शुरू हो जाएगी। इसके लिए केंद्र जल्द ही राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को जरूरी दिशा-निर्देश जारी करेगा। कैदियों की पहचान के लिए राज्य सरकारें एक कमेटी गठित करेंगी और उसकी अनुशंसा के अनुरूप राज्यपाल को माफी का अधिकार होगा। कैबिनेट के फैसले में रिहा किए जाने योग्य कैदियों का वर्गीकरण भी स्पष्ट कर दिया है। इसके तहत अपनी आधी सजा काट चुकी 55 साल से अधिक उम्र की महिलाएं और किन्नर और 60 साल से अधिक उम्र के पुरुष शामिल होंगे। साथ ही 70 फीसद से अधिक दिव्यांगता वाले किसी भी उम्र के वैसे व्यक्ति जो आधी सजा काट चुके हैं, वह भी माफी के हकदार होंगे।
वहीं दो-तिहाई सजा पूरी कर चुके सभी कैदियों को भी रिहा किया जा सकता है, लेकिन भ्रष्टाचार, आतंकवाद, दहेज हत्या, बलात्कार जैसे जघन्य अपराधों में सजा काट रहे या उम्रकैद की सजा पाए कैदियों की रिहाई नहीं होगी। ज्ञात हो, नीतीश कुमार लगातार महात्मा गांधी जन्म शताब्दी वर्ष के अवसर पर कैदियों की आम माफी का मुद्दा उठाते रहे हैं। सबसे पहले उन्होंने नीति आयोग की गवर्निंग काउंसिल की बैठक में यह मुद्दा उठाया था। राष्ट्रपति की अध्यक्षता में जन्म शताब्दी आयोजन समिति की बैठक में भी उन्होंने यह मुद्दा उठाया था।
अल्पसंख्यक छात्रों को मोदी सरकार की सौगात
प्रधानमंत्री मोदी की अध्यक्षता में मंत्रिमंडल की आर्थिक मामलों की समिति ने छह अधिसूचित अल्पसंख्यक समुदायों के छात्रों के लिए मैट्रिक पूर्व, मैट्रिक पश्चात तथा मेधा सह साधन आधारित छात्रवृत्ति योजनाओं को 5338 करोड़ की लागत से 2019-20 की अवधि तक जारी रखने को मंजूरी दी है। इससे प्रतिवर्ष तकरीबन 70 लाख विद्यार्थियों लाभांवित होंगे। यह योजना राष्ट्रीय छात्रवृत्ति पोर्टल एनएसपी के माध्यम से लागू की जाएगी।
किसानों को तोहफा, केंद्र ने बढ़ाया गन्ने का मूल्य
केंद्र सरकार ने खरीफ सीजन की फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) में डेढ़ गुना तक वृद्धि के बाद अब गन्ना किसानों के लिए भी तोहफे का एलान किया है। केंद्र ने आगामी वर्ष के लिए गन्ने का उचित व लाभकारी मूल्य (एफआरपी) 275 रुपये प्रति क्विंटल घोषित किया है, जो चालू वर्ष में 255 रुपये है। हालांकि कई राज्यों में इसके अतिरिक्त राज्य समर्थित मूल्य (एसएपी) घोषित किया जाता है।