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Budget 2020-21: गंभीर चुनौती बनी आर्थिक सुस्‍ती को दूर करने के लिए करने होंगे ये इंतजाम

महीने भर बाद वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण अपना दूसरा बजट पेश करेंगी। आइये नजर डालते हैं उन उपायों पर जिन्‍हें सरकार आर्थिक सुस्ती को कम करने के लिए आजमा सकती है।

By Krishna Bihari SinghEdited By: Published: Sun, 29 Dec 2019 11:00 AM (IST)Updated: Sun, 29 Dec 2019 04:38 PM (IST)
Budget 2020-21: गंभीर चुनौती बनी आर्थिक सुस्‍ती को दूर करने के लिए करने होंगे ये इंतजाम
Budget 2020-21: गंभीर चुनौती बनी आर्थिक सुस्‍ती को दूर करने के लिए करने होंगे ये इंतजाम

नई दिल्‍ली [जागरण स्‍पेशल]। करीब महीने भर बाद वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण अपना दूसरा बजट पेश करेंगी। एक फरवरी, 2020, को पेश होने वाले इस बजट से देश को काफी आशाएं हैं। देश देखना चाहता है कि वित्तमंत्री और सरकार आर्थिक सुस्ती को कम करने के लिए, क्या क्या कदम उठा सकती हैं। चुनौतियों की लंबी फेहरिस्त के बीच देश की जनता के कल्याण से जुड़ा यादगार और आर्थिक सुस्ती को दूर करने के लिए एक ऐतिहासिक बजट पेश करने की उनसे उम्मीदें हैं। छह हथियारों के इस्तेमाल से वित्तमंत्री बजट का सिक्सर लगा सकती हैं...

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आर्थिक सुस्ती को गंभीरता से ले सरकार

सबसे पहले तो वित्तमंत्री और सरकार के लिए जरूरी है कि वो भारत में चल रही आर्थिक सुस्ती को थोड़ा गंभीरता से लें। अभी तक सरकार और उसके मंत्री देश को ये समझाने में लगे हैं कि आर्थिक सुस्ती भारत में है ही नहीं। ये सही नहीं है। किसी समस्या को हल करने की दिशा में पहला कदम उस समस्या को मानने की जरूरत होती है। बजट इस समस्या को मानने का अच्छा मौका है।

आयकर में हो कटौती

आर्थिक सुस्ती का एक प्रमुख कारण आर्थिक खपत में आयी सुस्ती है। लोग काफी वस्तुओं और सेवाओं पर होने वाला खर्च कम कर रहे हैं या फिर कई क्षेत्रों में हो रहे निजी उपभोग की विकास दर में पहले जैसी वृद्धि नहीं हो रही है। इसके लिए ये जरूरी हो जाता है कि सरकार लोगों के हाथों में ज्यादा पैसा दे। इसका सरल और सबसे तेज तरीका है आयकर में कटौती करना। अगर वित्तमंत्री आयकर के साथ छेड़-छाड़ नहीं करना चाहतीं तो आयकर के स्लैब बढ़ा सकती हैं।

हाथ आएगा पैसा तो होगा खर्च 

अलावा आयकर में जो अलग अलग किस्म की छूट और डिडक्शन मिलते हैं, इनमें भी वृद्धि की जा सकती है। इससे आयकर देने वालों के हाथों में ज्यादा पैसा आएगा और उनके इस पैसे को खर्च करने की संभावना बढ़ जाती है। जब वो ऐसा करेंगे तो व्यापर का फायदा होगा। इससे आर्थिक विकास दर में भी थोड़ी बहुत वृद्धि हो सकती है। बहुत लोगों का कहना है कि भारत में ज्यादा लोग आयकर नहीं देते हैं। इसलिए इस कदम से अर्थव्यवस्था को कुछ खास फायदा नहीं होने वाला है।

लोगों की बढ़ेगी आय 

यह कतई जरूरी नहीं कि बहुत सारे भारतीय एक साथ पैसा खर्चा करना शुरू करें। जब आयकर में कटौती होगी, इससे आयकर देने वाले लोग पैसा खर्च करेंगे। इससे और लोगों की आय बढ़ेगी। एक आदमी का खर्च किसी और आदमी की आय होता है। जब इन लोगों की भी आय बढ़ेगी तो इनके भी पैसे खर्च करने की संभावना बढ़ जाएगी। इससे अर्थव्यवस्ता में गुणक प्रभाव (मल्टीप्लायर इफेक्ट) काम करेगा और अर्थव्यवस्था का पहले से ज्यादा तेजी से विकास होने की संभावना बढ़ जाएगी।

ऐसे बढ़ेगी खपत  

अगर सरकार आयकर से कम पैसे कमाएगी तो उससे कहीं और से इसकी भरपाई करनी पड़ेगी। अगर आयकर में कमी आने की वजह से निजी खपत बढ़ेगी तो सरकार माल और सेवा कर से ज्यादा पैसे कमा सकती है। इसके अलावा ये जरूरी हो जाता है कि सरकार विनिवेश से अच्छे पैसे कमाए। लिहाजा विनिवेश का जरूरी लक्ष्य जल्दी हासिल किया जाए। अमूमन सरकारें विनिवेश पर साल के दूसरे हिस्से में ही ध्यान देती हैं।

सार्वजनिक क्षेत्रों के उद्यमों की हो रक्षा 

सरकार अपना पैसा सोच समझ कर उन क्षेत्रों पर खर्च करे जहां ज्यादा से ज्यादा लोगों का ज्यादा से ज्यादा फायदा हो। जैसा कि अंग्रेजी में कहते हैं, देअर शुड बी मोर बैंग फॉर द बक। विजय केलकर और अजय शाह अपनी किताब इन सर्विस ऑफ द रिपब्लिक में लिखते हैं कि 10,000 किमी का चार लेन हाईवे बनाने में करीब एक लाख करोड़ रूपए खर्च होता है। तो ये जरूरी है कि सरकार इस किस्म का खर्च करे ताकि खस्ते पड़े सार्वजनिक क्षेत्रों के उद्यमों को बचाने में पैसा लगे।

पिछली गलतियों से लें सबक 

सरकारी क्षेत्र के उद्यमों और सरकार के पास बहुत सारी खाली जमीन पड़ी हुई है। सरकार इस जमीन को धीरे धीरे बेच कर पैसा कमा सकती है। इससे देश के भौतिक मूल ढ़ांचे को सुधारा जा सकता है। वित्तमंत्री के लिए बहुत जरूरी है कि वो पिछले साल जैसा बजट, जहां उन्हें बहुत सरकारी चीजों को उलटना पड़ा था, बिल्कुल न पेश करें। उम्‍मीद है कि सरकार के इन कदमों से अर्थव्‍यवस्‍था को गति मिलेगी। 

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