राजस्थान विवाद पर बोले सिब्बल- लोकतंत्र को कुचलने के खिलाफ विपक्ष को सड़क पर होगा उतरना
कांग्रेस नेता सिब्बल ने कहा कि संविधान की धज्जियां उड़ाने का खिलवाड़ नहीं रुका तो वकील का अपना काला कोट उतार वे लोकतंत्र बचाने की लड़ाई के लिए वे खुद सड़कों पर उतरेंगे।
नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। कांग्रेस ने राजस्थान की सरकार गिराने के लिए संविधान-कानून की धज्जियां उड़ाते हुए चौतरफा संस्थाओं के इस्तेमाल को लोकतंत्र के लिए बेहद खतरनाक करार दिया है। राजस्थान हाईकोर्ट के आदेश को सुप्रीम कोर्ट के पांच जजों के फैसले के विपरीत बताते हुए कांग्रेस ने यह भी कहा है कि हालात इस कदर बन गए हैं कि लोकतंत्र पर गहराए गंभीर खतरों के खिलाफ विपक्षी दलों को अहिंसक तरीके से सड़क पर उतरना होगा। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कपिल सिब्बल ने कहा कि न्यायपालिका समेत संवैधानिक संस्थाएं नियमों-कानूनों और परंपरा से परे जाकर फैसला देंगी, तो अदालतों में वकीलों के बहस का कोई मतलब नहीं रह जाएगा।
सिब्बल ने कहा कि संविधान की धज्जियां उड़ाने का खिलवाड़ नहीं रुका, तो वकील का अपना काला कोट उतार वे लोकतंत्र बचाने की लड़ाई के लिए वे खुद सड़कों पर उतरेंगे। सचिन पायलट गुट के विधायकों की स्पीकर की भेजी गई अयोग्यता की नोटिस पर हाईकोर्ट के रोक बरकरार रखने और गर्वनर कलराज मिश्र के विधानसभा का सत्र बुलाने से इनकार करने के बाद कांग्रेस की ओर से प्रेस कॉन्फ्रेंस करते हुए सिब्बल ने यह बात कही। उन्होंने कहा कि मंत्रिमंडल के विधानसभा बुलाने के प्रस्ताव पर गर्वनर सत्र बुलाने के लिए बाध्य है, लेकिन ऊपर से आदेश के कारण गर्वनर सत्र नहीं बुला रहे। बहुमत विधायकों के साथ लोकतांत्रिक परंपरा व नियम के अनुरूप राजभवन जाकर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने सत्र बुलाने की मांग की है। लेकिन दुखद है कि लोकतंत्र की परिभाषा बीते कुछ सालों में बदल दी गई है। पैसे या पद का प्रलोभन देकर चुनी हुई सरकारें गिराना सामान्य बात हो गई है। मध्यप्रदेश, उत्तराखंड, कर्नाटक में यह हुआ तो मणिपुर और गोवा के साथ महाराष्ट्र में बहुमत न होते हुए भाजपा के मुख्यमंत्रियों को शपथ दिला दी गई।
सिब्बल ने सवाल उठाया कि जब हाईकोर्ट सुप्रीम कोर्ट के फैसले नहीं मानेंगी, गर्वनर संविधान-कानून नहीं मानेंगे, संस्थाएं केवल शासक जो कहेगा वही करेंगी, तो फिर लोकतंत्र कैसे बचेगा? उन्होंने कहा कि पांच जजों की सुप्रीम कोर्ट की पीठ का फैसला है कि स्पीकर का अयोग्यता का नोटिस जारी होने के बाद अदालत इसमें हस्तक्षेप नहीं कर सकतीं। उनका कहना था कि जब कानून के रक्षक अपने फैसले का पालन नहीं करेंगे तो फिर वकीलों के बहस का मतलब नहीं रह जाएगा।
सिब्बल ने कहा कि लोकतंत्र की केंद्र सरकार जो कहे व मान लेना यही लोकतंत्र की आज परिभाषा बना दी गई है जो लोकतंत्र को कुचलना है। इसीलिए विपक्षी पार्टियों को अहिंसा का रास्ता अपनाते हुए एकजुट होकर लोकतंत्र की बुनियाद को तोड़ने के इन गंभीर प्रयासों के खिलाफ जनता को जागरूक करने सड़क पर उतरना होगा। उन्होंने कहा कि बेशक विपक्षी पार्टियों को एकजुट करना कांग्रेस की जिम्मेदारी है। वहीं, पायलट पर निशाना साधते हुए सिब्बल ने कहा कि जब वे खुद को कांग्रेसी बता रहे तो हरियाणा में भाजपा सरकार के संरक्षण में क्यों बैठे हैं और पार्टी की बैठकों में क्यों नहीं आते। चुपचाप होटल में बैठ कर भाजपा की मदद लेने की बजाय पायलट बताएं कि वे मुख्यमंत्री बनना चाहते हैं तो फिर 20 विधायकों के सहारे यह कैसे संभव है? पायलट को 25 साल की उम्र में सांसद और 30 की उम्र में केंद्रीय मंत्री से लेकर युवा अवस्था में ही डिप्टी सीएम तक बनाए जाने का उल्लेख करते हुए सिब्बल ने कहा कि इतना कुछ उन्हें पार्टी ने दिया तो फिर और क्या चाहते हैं।