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Book 'वाजपेयी: द ईयर्स दैट चेंज्ड इंडिया: वाजपेयी के निजी सचिव की किताब लॉन्च, लाहौर बस यात्रा का भी जिक्र

वाजपेयी के संस्मरण वाजपेयी द इयर्स दैट चेंज्ड इंडिया(Vajpayee The Years That Changed India) का विमोचन। पीएम के तत्कालीन निजी सचिव ने अपनी नई किताब में बताए किस्से। औरों की बारी के लिए खुद ही अटल की बगल की सीट से जल्दी हट गए।

By Shashank PandeyEdited By: Published: Sat, 26 Dec 2020 01:21 PM (IST)Updated: Sat, 26 Dec 2020 01:21 PM (IST)
Book 'वाजपेयी: द ईयर्स दैट चेंज्ड इंडिया: वाजपेयी के निजी सचिव की किताब लॉन्च, लाहौर बस यात्रा का भी जिक्र
वाजपेयी के निजी सचिव की किताब में कई खुलासे। (फोटो: दैनिक जागरण)

नई दिल्ली, प्रेट्र। पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के निजी सचिव रहे शक्ति सिन्हा ने अपनी नई किताब में अमृतसर से लाहौर की उनकी ऐतिहासिक बस यात्र का जिक्र करते हुए कहा कि वाजपेयी के साथ विभिन्न क्षेत्रों के गणमान्य व्यक्ति भी गए थे, जिसमें सबसे विनम्र क्रिकेटर कपिल देव ही थे। हालांकि इस विशिष्ट बस यात्र में फिल्म अभिनेता देवानंद, शत्रुघ्न सिन्हा, गायक महेंद्र कपूर, गीतकार जावेद अख्तर और पत्रकार कुलदीप नैयर भी मौजूद रहे।

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पूर्व प्रधानमंत्री वाजपेयी की 96वीं जयंती पर आयोजित समारोह में शक्ति सिन्हा ने उन पर लिखी 300 पेज की पुस्तक ‘वाजपेयी : द इयर्स दैट चेंज्ड इंडिया’ के विमोचन पर शुक्रवार को कहा कि 40 मिनट के बस के सफर में हर कोई पीएम के साथ उनकी बराबर वाली सीट पर बैठना चाहता था और उनसे थोड़ी बात करना चाहता था। इसलिए हर किसी को थोड़ी-थोड़ी देर के लिए उनके बगल में बैठने का मौका दिया जा रहा था। ऐसे में कपिल देव ही अकेले शख्स थे जो सबसे विनम्र थे और दूसरे व्यक्ति की बारी आते ही तुरंत ही सीट से हट गए। जबकि कुछ लोगों को उनके निजी सचिव को लगभग हाथ पकड़कर सीट से हटाना पड़ा था। उन्होंने कहा कि अब वह उन लोगों के नाम नहीं लेना चाहते क्योंकि उनमें से कई इस दुनिया में नहीं हैं।

सिन्हा ने देवानंद के बारे में भी बताया और कहा कि उनके पाकिस्तान में अत्यधिक प्रशंसक हैं। ‘सदा ए सरहद’ बस जब सीमा पार पहुंची तो भारत और पाकिस्तान के प्रधानमंत्री वाजपेयी और नवाज शरीफ गले मिले। देवानंद जो उनके पास में ही खड़े थे, लाहौर की यादों में खोकर वहां का जिक्र करने लगे। वह उस समय के किस्से सुनाने लगे जब वे लाहौर से मुंबई आए थे। सिन्हा ने बताया कि उनके किस्से आगे भी जारी रहते अगर वह उन्हें धीरे से अपने साथ खींचकर न लाए होते।

अपनी किताब के दस अध्याय में से एक में उन्होंने इस बात का भी जिक्र किया है कि लाहौर बस यात्र पर जाने से पहले दिल्ली में ही थोड़ा विलंब हो गया था। चूंकि कारों के काफिले में से एक कार को वापस उनकी कान की मशीन लाने भेजा गया जिसे पीएम घर पर ही भूल आए थे। हालांकि उन्हें पता था कि वायुसेना का विमान अपनी तेज रफ्तार से समय को कवर कर लेगा। विमान से तत्कालीन प्रधानमंत्री अमृतसर के लिए रवाना हुए थे, जहां से बस का सफर शुरू हुआ। इस यात्र में उनकी दत्तक पुत्री, दामाद व नातिन भी साथ गए थे।


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