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केंद्र ने जम्मू-कश्मीर में इंटरनेट पर पाबंदी को बताया जरूरी, कहा- इंटरनेट पर होने लगा है जिहाद

डार्क वेब का आशय ऐसे इंक्रिप्टिड ऑनलाइन कंटेंट से है जो पारंपरिक सर्च इंजनों पर सूचीबद्ध नहीं है।

By Manish PandeyEdited By: Published: Tue, 26 Nov 2019 09:09 PM (IST)Updated: Wed, 27 Nov 2019 07:05 AM (IST)
केंद्र ने जम्मू-कश्मीर में इंटरनेट पर पाबंदी को बताया जरूरी, कहा- इंटरनेट पर होने लगा है जिहाद
केंद्र ने जम्मू-कश्मीर में इंटरनेट पर पाबंदी को बताया जरूरी, कहा- इंटरनेट पर होने लगा है जिहाद

नई दिल्ली, एएनआइ। केंद्र सरकार ने मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में कहा कि डार्क वेब पर आतंकी गतिविधियां रोकने के लिए जम्मू-कश्मीर में इंटरनेट को ब्लॉक करना न्यायोचित है।

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कश्मीर टाइम्स की संपादक अनुराधा भसीन और कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद की याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान सॉलिसिटर जनरल (एसजी) तुषार मेहता ने जस्टिस एनवी रमना की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष उक्त दलील दी। उन्होंने कहा, 'आजकल जिहाद इंटरनेट पर होने लगा है। यह वैश्विक चलन है। जिहादी नेता घृणा और गैरकानूनी गतिविधियों के प्रसार के लिए इंटरनेट के जरिये बातचीत कर सकते हैं।'

हिंसा फैलाने के लिए सूचनाओं का प्रसार

उन्होंने कहा कि वाट्सएप और टेलीग्राम एप्स का इस्तेमाल संदेश फैलाने के लिए किया जा सकता है। हिंसा फैलाने के लिए सूचनाओं के प्रसार में इंटरनेट संबंधित पक्षों की मदद करता है। बता दें कि डार्क वेब का आशय ऐसे इंक्रिप्टिड ऑनलाइन कंटेंट से है जो पारंपरिक सर्च इंजनों पर सूचीबद्ध नहीं है।

आवाजाही पर प्रतिबंध नहीं 

तुषार मेहता ने कहा कि जम्मू-कश्मीर में भाषण और अभिव्यक्ति की आजादी है, लेकिन भड़काने वाली भाषणबाजी पर रोक लगनी ही चाहिए। लोगों की असुविधा को ध्यान में रखते हुए न्यूनतम प्रतिबंध लगाए गए हैं। उन्होंने स्पष्ट किया, 'किसी व्यक्ति की आवाजाही पर प्रतिबंध नहीं लगाया गया है। किसी भी तरह की अप्रिय घटना से बचने के लिए लोगों की आवाजाही और लोगों के इकट्ठे होने पर प्रतिबंध लगाया गया है।' इस दौरान उन्होंने समाचार पत्रों को इंटरनेट से भिन्न बताते हुए कहा कि ये एकतरफा संवाद का माध्यम होते हैं।

महबूबा के भड़काऊ भाषणों का किया जिक्र

सॉलिसिटर जनरल ने अनुच्छेद-370 हटाए जाने से पहले दिए गए जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती के भड़काऊ भाषणों का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा कि कश्मीर के राजनीतिक नेताओं ने सार्वजनिक भाषणों के जरिये भारत विरोधी भावनाओं को भड़काया। यहां तक कि उन्होंने स्थानीय आतंकियों को 'धरती का लाल' तक कहा था।


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