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पिछले एक साल में आर्थिक मोर्चे पर विफल हुई भाजपा, जुमले नहीं आए काम- चिदंबरम

पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने कहा है कि पिछले एक साल में देश की आर्थिक स्थित बेहद खराब हुई है।

By Srishti VermaEdited By: Published: Mon, 11 Jun 2018 03:22 PM (IST)Updated: Mon, 11 Jun 2018 03:22 PM (IST)
पिछले एक साल में आर्थिक मोर्चे पर विफल हुई भाजपा, जुमले नहीं आए काम- चिदंबरम
पिछले एक साल में आर्थिक मोर्चे पर विफल हुई भाजपा, जुमले नहीं आए काम- चिदंबरम

नई दिल्ली (आइएएनएस)। पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने सोमवार को कहा कि भाजपा की प्रशासनिक अक्षमता और गलत नीतियों के कारण देश में बेरोजगारी, तनाव और आर्थिक मोर्चे पर विफलता बढ़ी है। किसानों का गुस्सा इस कदर बढ़ गया है कि वे प्रदर्शन के लिए सड़कों पर उतर आए हैं। इन सबके पीछे कारण फसलों के अनौपचारिक मूल्य और किसान मजदूरों के साथ अन्याय है। एमएसपी (न्यूनतम समर्थन मूल्य) उचित नहीं है। हर किसान ये जानता है कि MSP मूल्य + 50 फीसद एक जुमला है।

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चिदंबरम ने कहा कि रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के सर्वे बताते हैं कि 48 फीसद ये महसूस करते हैं कि पिछले एक साल में आर्थिक स्थित बेहद खराब हुई है। उन्होंने कहा कि देश में बेरोजगारी बहुत अधिक बढ़ी है, जबकि भाजपा की सरकार ने एक साल में दो करोड़ नौकरियों का वादा किया था। चिदंबरम ने सवाल किया कि अक्टूबर-दिसंबर 2017 का श्रम ब्यूरो सर्वेक्षण क्यों जारी नहीं हुआ। चिदंबरम ने कहा कि विमुद्रीकरण से 2015-16 में विकास दर 8.2 प्रतिशत से घटकर 2017-18 में 6.7 फीसदी हो गई। " 

उन्होंने कहा कि, तमिलनाडु सरकार ने आधिकारिक तौर पर स्वीकार किया है कि 2017-18 में राज्य में 50,000 एमएसएमई इकाइयां बंद हो गई थीं; 5,00,000 नौकरियां खो गईं और एमएसएमई क्षेत्र में पूंजीगत निवेश 11,000 करोड़ रुपये घट गया। उन्होंने कहा कि इन सबके अलावा दोषपूर्ण जीएसटी, व्यापार और व्यवसाय पर अलग प्रभाव डाल रहा है।

चिदंबरम ने कहा कि भाजपा की अगुवाई वाली केंद्र सरकार द्वारा सामाजिक सुरक्षा कानून और कार्यक्रम उपेक्षित है। "खाद्य सुरक्षा अधिनियम लागू नहीं किया गया है। मनरेगा अब मांग-संचालित नहीं है, वेतन बकाया राशि बढ़ी है। फसल बीमा में केवल 30 प्रतिशत किसान शामिल हैं। उन्होंने कहा कि, स्वास्थ्य संरक्षण योजना एक और 'जुमला' है।


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