विधानसभा चुनावों में हार से 2019 आम चुनाव में जीत का मंत्र ढूंढेंगी भाजपा
पांच राज्यों के चुनाव नतीजों से भाजपा परेशान तो है लेकिन हतोत्साहित नहीं।
नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। पांच राज्यों के चुनाव नतीजों से भाजपा परेशान तो है लेकिन हतोत्साहित नहीं। यूं तो इसकी पूरी समीक्षा होगी लेकिन एक वर्ग यह मानता है कि इस नतीजे ने 2019 में जीत के लिए लड़ने के लिए तैयार भी कर दिया है और बहुत हद तक जनता की नाराजगी भी समाप्त कर दी है। हां, यह जरूर है कि भाजपा को अब खुद ही नहीं बल्कि गठबंधन को भी नए सिरे से सवांरना होगा।
गुरुवार को भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने अपने सभी पदाधिकारियों की बैठक बुलाई है। बहुत जल्द संबंधित राज्यों के नेताओं को भी बुलाकर हार की समीक्षा की जाएगी। खुद शाह इसे स्वीकार कर चुके हैं कि विधानसभा चुनावों का भी असर होता है। वह यह भी मानते रहे है कि उत्तर प्रदेश में सपा और बसपा गठबंधन होता है भाजपा के लिए लड़ाई बहुत आसान नहीं होगी।
हालांकि उन्होंने यह भी कहा है कि भाजपा 51 फीसद वोट की लड़ाई की तैयारी कर रही है और वह होता है तो महागठबंधन का कोई अर्थ नहीं होगा। ऐसी स्थिति में छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश और राजस्थान में हुई हार ने भाजपा के सामने संकट खड़ा कर दिया है क्योंकि अब कांग्रेस के लिए महागठबंधन बनाना थोड़ा आसान होगा।
ध्यान रहे कि इन तीन राज्यों में लोकसभा की कुल 65 सीटें हैं और और इनमें से भाजपा के खाते में फिलहाल 59 सीटें हैं। जाहिर है मंगलवार के नतीजे अच्छे संकेत नहीं हैं।
बहरहाल, जिस तरह मध्य प्रदेश और राजस्थान के नतीजे आए हैं उसे भाजपा सकारात्मक रूप मे भी देख रही हैं। यह एक तरफ जहां केंद्रीय योजनाओं के असर को साबित कर रहा है वहीं स्टार प्रचारक नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता को भी स्थापित कर रहा है जिनके नेतृत्व में लोकसभा चुनाव लड़ा जाना है। गौरतलब है कि 15 साल की सत्ताविरोधी लहर के बावजूद मध्य प्रदेश में भाजपा ने आखिरी दम तक कांग्रेस को टक्कर दी।
किसानों के मुद्दे पर हाल के दिनों में बड़े आंदोलन हुए लेकिन चुनाव में किसान का एक वर्ग भी सरकार के ही साथ खड़ा नजर आया। राजस्थान की बात हो तो कुछ महीने पहले हुए संसदीय उपचुनाव में भाजपा की हालत कुछ इस कदर पतली थी कि कई बूथ पर तो कांग्रेस को एक भी वोट नहीं मिला था। वहां से उठकर 70-75 के आंकड़े तक पहुंचना और कांग्रेस को बहुमत के लिए मशक्कत करने के लिए मजबूर करना भाजपा को उत्साहित कर रहा है।
एक वर्ग मानता है कि इस नतीजे के साथ ही जनता की नाराजगी भी धुल गई है और लोकसभा चुनाव आते आते इन राज्यों में भी जनता पूरी तरह भाजपा के साथ खड़ी होगी। भाजपा की रणनीति अब उसी के आसपास केंद्रित होगी।माना जा रहा है कि अब गठबंधन पर भी ज्यादा सक्रियता और सतर्कता से काम होगा। पूरी संभावना है कि हर राज्य में ऐसे छोटे छोटे दलों को भी साथ जोड़ा जाएगा जिनका प्रभाव बहुत सीमित है।