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यह सत्याग्रह नहीं, पिछड़ी जातियों के प्रति कांग्रेस का दुराग्रह और महात्मा का अपमान : भाजपा

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता व राज्यसभा में उपनेता प्रमोद तिवारी के बयान का उल्लेख करते हुए भाजपा प्रवक्ता ने कहा कि तिवारी इस सीमा पर चले गए कि जब सजा दी जानी चाहिए तो परिवार को देखकर यानी गांधी परिवार की पृष्ठभूमि को देखकर दी जानी चाहिए।

By Jagran NewsEdited By: Ashisha Singh RajputPublished: Sun, 26 Mar 2023 07:22 PM (IST)Updated: Sun, 26 Mar 2023 07:22 PM (IST)
यह सत्याग्रह नहीं, पिछड़ी जातियों के प्रति कांग्रेस का दुराग्रह और महात्मा का अपमान : भाजपा
असत्य और हिंसा के प्रतीक के साथ अहंकार का प्रदर्शन

नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी की लोकसभा सदस्यता समाप्त होने के विरुद्ध कांग्रेस द्वारा किए जा रहे सत्याग्रह पर भाजपा ने प्रश्न खड़े किए हैं। कहा है कि यह सत्याग्रह नहीं, बल्कि पिछड़ी जातियों के प्रति दुराग्रह है। महात्मा गांधी के सत्याग्रह और कांग्रेस के इस सत्याग्रह की तुलना करते हुए भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता सुधांशु त्रिवेदी ने कहा कि इनमें उतना ही अंतर है, जितना पंचतंत्र के भगत और बगुला भगत में।

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जगदीश टाइटलर के शामिल होने पर प्रश्न

1984 के सिख दंगों के आरोपित जगदीश टाइटलर को लेकर भी तीखा हमला बोला कि असत्य और हिंसा के प्रतीक को गांधीजी की समाधि पर साथ ले जाकर आवरण ओढ़ने का प्रयास किया जा रहा है। यह तथाकथित सत्याग्रह अहंकार का प्रदर्शन है। भाजपा के केंद्रीय मुख्यालय में सुधांशु त्रिवेदी ने कांग्रेस से पूछा कि यह कथित सत्याग्रह किसके विरुद्ध है? नियम के तहत राहुल गांधी को अयोग्य घोषित होना पड़ा है, उसके विरुद्ध है? या हिंसा में शामिल लोगों को इसमें साथ लेकर अहिंसा के विरुद्ध है?

उन्होंने कहा कि गांधी जी ने अपना पहला सत्याग्रह 1906 में ट्रांसवाल में सामाजिक कारणों से किया था, जबकि राहुल गांधी अपने लिए, अपने निजी कारण से, न्यायालय के द्वारा सजायाफ्ता होने के बाद न्यायालय के विरुद्ध करते हुए दिखाई दे रहे हैं। इससे अधिक दुराग्रह और दंभ सत्याग्रह के आवरण में संभव नहीं है। यह उद्दंडता और निर्लज्ज्ता है।

कांग्रेस परिवार के लिए अलग कानून चाहती है जो निंदनीय है: भाजपा

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता व राज्यसभा में उपनेता प्रमोद तिवारी के बयान का उल्लेख करते हुए भाजपा प्रवक्ता ने कहा कि तिवारी इस सीमा पर चले गए कि जब सजा दी जानी चाहिए तो परिवार को देखकर यानी गांधी परिवार की पृष्ठभूमि को देखकर दी जानी चाहिए। कांग्रेस न्यायालय के न्यायिक विवेक से खुद को ऊपर मानती है। एक देश में दो विधान इन्हें आज भी चाहिए।

एक विधान आम आदमी के लिए और एक विधान एक परिवार के लिए। वैसे एक सरकार में दो प्रधान तो वह चला चुके हैं। पार्टी भी दो प्रधान चला रहे हैं। भूतपूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की सदस्यता रद होने और राजीव गांधी पर बोफोर्स घोटाले की याद दिलाते हुए कहा कि इस परिवार की पृष्ठभूमि तो और भी ज्यादा खतरनाक नजर आ रही है। आश्चर्य जताया कि जो कहते थे कि आतंकवाद का मजहब नहीं होता, वह सरनेम के आधार पर भ्रष्टाचार की जाति बताने लग गए।


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