ज्ञानवापी मस्जिद पर टिप्पणी को लेकर ओवैसी की गिरफ्तारी की मांग, भाजपा सांसद बोले-'जिन्ना बनने का सपना देख रहे हैं AIMIM प्रमुख'
ओवैसी ने शनिवार को कहा था कि भाजपा और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ नफरत के युग को 1990 के दशक के रूप में फिर से जगाने की कोशिश कर रहे हैं। वह वाराणसी में ज्ञानवापी मस्जिद के सर्वेक्षण को लेकर उठे विवाद का जिक्र कर रहे थे।
नई दिल्ली, एएनआइ। ज्ञानवापी मस्जिद मामले पर एक टिप्पणी को लेकर भारतीय जनता पार्टी ने आल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ( Asaduddin Owaisi) पर निशाना साधा है। भाजपा सांसद हरनाथ सिंह यादव (Harnath Singh Yadav on Owaisi) ने रविवार को ओवैसी की देशद्रोह के मामले में गिरफ्तारी की मांग की। ओवैसी ने शनिवार को कहा था कि भाजपा और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ नफरत के युग को 1990 के दशक के रूप में फिर से जगाने की कोशिश कर रहे हैं। वह वाराणसी में ज्ञानवापी मस्जिद के सर्वेक्षण को लेकर उठे विवाद का जिक्र कर रहे थे।
ओवैसी की मंशा पर उठाए सवाल
यादव ने कहा कि ओवैसी की मंशा को समझने की जरूरत है। ओवैसी देश में हिंदुओं और मुसलमानों के बीच दरार पैदा करना चाहते हैं और वह जिन्ना बनने का सपना देख रहे हैं। इसलिए उनके खिलाफ देशद्रोह का मामला दर्ज किया जाना चाहिए और तुरंत जेल में भेजा जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि जहां तक वाराणसी में ज्ञानवापी मस्जिद के सर्वेक्षण का सवाल है, कोई भी व्यक्ति, कोई भी संस्था अदालत का दरवाजा खटखटाने के लिए स्वतंत्र है और जब निचली अदालत के फैसले को मुस्लिम पक्ष ने उच्च न्यायालय में चुनौती दी, तो अदालत ने खारिज कर दिया। अदालत के फैसले का सम्मान किया जाना चाहिए।
सर्वेक्षण पर डर का कारण पूछा
मस्जिद का सर्वेक्षण करने में ओवैसी के 'डर' पर और सवाल उठाते हुए सांसद ने कहा की यह उस सच को छिपाने की कोशिश है जिसे "सर्वेक्षण के माध्यम से उजागर किया जाएगा"। सांसद ने पूछा कि "ज्ञानवापी मस्जिद के सर्वे में क्या डर है? ऐसा कौन सा सच है जो सर्वे के जरिए बेनकाब नहीं होना चाहता?"
राम मंदिर का दिया उदाहरण
भाजपा सांसद ने इसी के साथ 2019 में सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए राम जन्मभूमि फैसले का उदाहरण दिया। उन्होंने कहा कि उस फैसले को भी सभी समुदायों के लोगों और प्रतिनिधियों ने व्यापक रूप से स्वीकार किया था इसलिए मुसलमानों को स्थानीय अदालत के आदेश को इसी तरह स्वीकार करना चाहिए।
ये है ज्ञानवापी परिसर मामला
बता दें कि ज्ञानवापी परिसर में नया मंदिर निर्माण और पूजा-पाठ करने को लेकर 15 अक्टूबर 1991 को सिविल जज (सिडि.) वाराणसी की अदालत में एक मुकदमा दायर किया गया था। इस केस में विवादित स्थल को स्वयंभू विश्वेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर का अंश बताया गया है। एक पक्ष द्वारा दावा किया जाता है कि मंदिर तोड़कर ज्ञानवापी मस्जिद निर्माण किया गया था। ज्ञानवापी मस्जिद के नीचे 100 फीट ऊंची विशेश्वर का स्वयम्भू ज्योतिर्लिंग स्थापित है। बता दें कि इस मामले में अब स्थानीय अदालत ने ज्ञानवापी मस्जिद का सर्वेक्षण करने का आदेश दिया था जिसे बाद में इलाहाबाद उच्च न्यायालय में चुनौती दी गई थी।