Maharashtra Politics: घमासान के बीच बेफिक्र भाजपा नेतृत्व, कांग्रेस-NCP-शिवसेना ने कराई विधायकों की परेड
भाजपा नेताओं का मानना है कि कांग्रेस शिवसेना और एनसीपी के नेताओं की तमाम कोशिशों के बावजूद इस बेमेल गठबंधन में विधायकों को जोड़े रखना संभव नहीं होगा।
नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। महाराष्ट्र में सरकार के गठन को लेकर मचे घमासान के बीच भाजपा का शीर्ष नेतृत्व निश्चिंत नजर आ रहा है। भाजपा नेताओं का मानना है कि कांग्रेस, शिवसेना और एनसीपी के नेताओं की तमाम कोशिशों के बावजूद इस बेमेल गठबंधन में विधायकों को जोड़े रखना संभव नहीं होगा। उनके अनुसार लोकतंत्र की हत्या और विधायकों की खरीद-फरोख्त जैसे विपक्ष के आरोपों में कोई दम नहीं है और चुनावी नतीजों की अवहेलना कर अवसरवादी गठबंधन और सरकार बनाने की जिद्दोजहद कर रहे नेताओं की असलियत को दुनिया देख रही है।
संसद भवन के गलियारे में भाजपा के एक शीर्ष नेता ने लोकतंत्र की हत्या के विपक्ष के आरोपों के बारे में पूछे जाने पर कहा कि लोकतंत्र की हत्या तो उसी दिन हो गई थी जिस दिन जनता से मिले स्पष्ट बहुमत के बावजूद कांग्रेस, एनसीपी और शिवसेना ने तमाम नैतिकता को ताख पर रखते हुए सरकार बनाने की कोशिश शुरू की थी। लेकिन उनके बीच मतभेद इतना गहरा था कि एक महीने के प्रयास के बाद भी उसे पूरी तरह से दूर नहीं किया जा सका था। वहीं विधायकों की खरीद-फरोख्त के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने तीखा कटाक्ष करते हुए कहा कि 'सारा तबेला' तो उनके पास है। सवाल किया कि फिर 'हार्स ट्रेडिंग' कौन कर रहा है।
वैसे तो इस मुद्दे पर दिल्ली में भाजपा का कोई भी बड़ा नेता खुलकर बोलने के लिए तैयार नहीं है, लेकिन व्यक्तिगत बातचीत में वे कहते हैं कि तमाम कोशिशों और विधायकों को एकजुट दिखाने की कोशिशों के बावजूद एनसीपी, कांग्रेस और शिवसेना के बेमेल गठबंधन विधायकों को रोके रखने में सफल नहीं होगा। शिवसेना में भी ऐसे विधायक बड़ी संख्या में हैं, जिन्हें पार्टी नेतृत्व द्वारा भाजपा के साथ गठबंधन तोड़ने की वजह हजम नहीं हो पा रही है। फिलहाल वे पार्टी नेतृत्व के दबाव में चुप जरूर हैं, लेकिन मौका मिलने पर उनका विरोध खुलकर सामने आना तय है।
इसी तरह एनसीपी में भी भाजपा के साथ गठबंधन के पक्षधर सिर्फ अजीत पवार अकेले नहीं हैं, बल्कि बड़ी संख्या में ऐसे विधायक हैं, जो मानते हैं कि तीन पार्टियों के गठबंधन के बजाय एक पार्टी भाजपा के साथ गठबंधन ज्यादा बेहतर विकल्प है। कर्नाटक में जबरदस्ती बेमेल गठबंधन की सरकार बनाने का नतीजा सबके सामने है। एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि राजनीति की एक स्वाभाविक गति और दिशा होती है, जिसे कितना भी बड़ा नेता हो, लंबे समय तक रोक नहीं सकता है।