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छत्तीसगढ़ में चेहरे बदलकर फ्रंटफुट पर आई भाजपा, शाह के सर्वे के मुताबिक हुआ टिकट बटवारा

पार्टी अध्यक्ष अमित शाह ने विधानसभा चुनाव के पहले भी सर्वे कराया था। उनके सर्वे में भी यही बात आई थी कि विधायकों और मंत्रियों के टिकट काटे जाएं।

By Ravindra Pratap SingEdited By: Published: Wed, 20 Mar 2019 04:39 PM (IST)Updated: Wed, 20 Mar 2019 04:40 PM (IST)
छत्तीसगढ़ में चेहरे बदलकर फ्रंटफुट पर आई भाजपा, शाह के सर्वे के मुताबिक हुआ टिकट बटवारा
छत्तीसगढ़ में चेहरे बदलकर फ्रंटफुट पर आई भाजपा, शाह के सर्वे के मुताबिक हुआ टिकट बटवारा

रायपुर, नईदुनिया राज्य ब्यूरो। छत्तीसगढ़ में भाजपा सांसदों के टिकट कट गए हैं। भाजपा केंद्रीय चुनाव समिति ने छत्तीसगढ़ के अपने सभी 10 सांसदों को टिकट नहीं देने और उनकी जगह पर नए चेहरों को उतारने का फैसला लिया है। इससे सांसदों के समर्थकों के चेहरे पर मायूसी है। राज्य भाजपा मुख्यालय में इस मुद्दे पर खामोशी रही, हालांकि इस फैसले को सही बताने की कोशिश भी की जाती रही। छत्तीसगढ़ में 15 साल बाद भाजपा हारी। तब यह माना गया कि विधायकों और मंत्रियों के खिलाफ एंटीइनकंबेंसी और नाराजगी को माना गया। दरअसल पार्टी अध्यक्ष अमित शाह ने विधानसभा चुनाव के पहले भी सर्वे कराया था। उनके सर्वे में भी यही बात आई थी कि विधायकों और मंत्रियों के टिकट काटे जाएं।

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तब पार्टी कड़ा फैसला नहीं ले पाई थी जिसका परिणाम यह हुआ कि उसे करारी शिकस्त का सामना करना पड़ा। पार्टी के वर्तमान में मात्र 15 विधायक हैं। अभी लोकसभा के पहले भी अमित शाह ने सर्वे कराया जिसमें छत्तीसगढ़ में सब चौपट होने की बात ही सामने आई। इसके बाद पार्टी ने तय किया कि अब कोई रियायत नहीं की जाएगी। इसके बाद भाजपा आलाकमान ने टिकट काटने पर सहमति दे दी। अब पार्टी नए चेहरों और नए उत्साह के साथ मैदान में उतरने जा रही है। 

मोदी फैक्टर से बगावत का स्वर दबाने की तैयारी
भाजपा के रणनीतिकार मानकर चल रहे हैं कि सिटिंग एमपी का टिकट काटने से नेताओं और कुछ कार्यकर्ताओं में विरोध के स्वर भी फूट सकते हैं। ऐसा हुआ तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता और उन्हें दोबारा सत्ता में लाने का वचन दिलाकर विरोध का स्वर दबाने की रणनीति तैयार होने लगी है। हालांकि अभी तक महज रायगढ़ में केंद्रीय मंत्री विष्णुदेव साय के समर्थकों के जुटने की खबर मिली है लेकिन विरोध का स्वर कभी भी फूट सकता है।

प्रतिष्ठा का सवाल
छत्तीसगढ़ में भाजपा के सामने अपनी प्रतिष्ठा बचाने की चुनौती है। यहां की 11लोकसभा सीटों में 1996 में अटल बिहारी वाजपेयी के जमाने से भाजपा का पलड़ा भारी रहा है। राज्य बनने के बाद तो भाजपा हर बार 10 सीट जीतती रही है। पिछले चार चुनावों से यहां विधानसभा की तुलना में लोकसभा में भाजपा को सात फीसद ज्यादा वोट मिलते रहे हैं। पहली बार यह स्थिति आई है कि राज्य में भाजपा की सरकार नहीं है।


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