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भाजपा ने पीएम से की मांग, हिंदुओं को भी मिलें अल्पसंख्यकों को मिलने वाले लाभ

संविधान संशोधन किया जाए ताकि हिंदुओं को भी अल्पसंख्यकों के समान मंदिर और पूजास्थलों के प्रबंधन का अधिकार मिले।

By Bhupendra SinghEdited By: Published: Thu, 18 Oct 2018 08:23 PM (IST)Updated: Thu, 18 Oct 2018 08:24 PM (IST)
भाजपा ने पीएम से की मांग, हिंदुओं को भी मिलें अल्पसंख्यकों को मिलने वाले लाभ
भाजपा ने पीएम से की मांग, हिंदुओं को भी मिलें अल्पसंख्यकों को मिलने वाले लाभ

माला दीक्षित, नई दिल्ली। बहुसंख्यक हिंदुओं के साथ भेदभाव का आरोप लगाते हुए मांग की गई है कि हिंदुओं को भी अल्पसंख्यकों के समान लाभ दिये जाने चाहिए। भाजपा नेता अश्वनी कुमार उपाध्याय ने गुरुवार को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को एक ज्ञापन देकर संविधान के अनुच्छेद 26 से 30 में संशोधन कर हिंदुओं को भी अल्पसंख्यकों के बराबर हक दिये जाने की मांग की है।

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उपाध्याय ने कहा है कि संविधान के विभिन्न अनुच्छेद, कानून और सरकारी नीतियां बहुसंख्यकों के खिलाफ हैं। राज्य हिंदुत्व व अन्य स्थानीय आध्यात्मिक परंपराओं का निर्वाह करने वाले बहुसंख्यक नागरिकों के साथ हतोत्साह रवैया रखते हैं। सरकारें न सिर्फ संविधान के अनुच्छेद 25 से लेकर 30 तक, की व्याख्या चुने हुए सीमित ढंग से करती हैं बल्कि कई कानूनों और संविधान संशोधनों को भी बहुसंख्यकों के खिलाफ ही व्याख्या कर लागू किया जाता है।

बहुसंख्यक विरोधी कानूनी रवैये का उदाहरण देते हुए कहा गया है कि सिर्फ हिंदुओं को सरकार के अनुचित हस्तक्षेप के बगैर अपने शिक्षण संस्थानों के प्रबंधन का अधिकार नहीं है। उन्हें अपने पूजा स्थलों के प्रबंधन का पूर्ण अधिकार नहीं है। इसके अलावा गैर-हिंदुओं को मिलने वाले लाभों और छात्रवृत्ति से भी सिर्फ हिंदू ही वंचित हैं। सिर्फ हिंदू धार्मिक और सांस्कृतिक परंपराओं व त्योहारों में ही सरकार की दखलंदाजी होती है। सरकार और उसकी एजेंसियों के इस रवैये के कारण हिंदुत्व और हिन्दुओं के बराबरी के अधिकारों का हनन हो रहा है। सरकारों के इस हिंदू विरोधी रवैये के कारण हिंदुओं की वास्तविक परेशानियों और शिकायतों की राज्य और केन्द्र सरकार अनदेखी करती है।

मांग है कि अनुच्छेद 26 से 30 तक में संशोधन करके उसे धार्मिक रूप से तटस्थ बनाया जाए और हिंदुओं के साथ होने वाला संवैधानिक भेदभाव दूर किया जाए। संविधान निर्माताओं की ये मंशा कतई नहीं थी कि जो अधिकार अल्पसंख्यकों को दिये जा रहे हैं उनसे बहुसंख्यक वंचित रहें। इसके बावजूद धीरे धीरे अनुच्छेद 25 से 30 तक की इस तरह व्याख्या की गई, जैसे कि सिर्फ अल्पसंख्यकों को अधिकार दिये गए हैं और बहुसंख्यकों को वे अधिकार नहीं प्राप्त हैं।

ज्ञापन में सैयद शाहबुद्दीन के 1995 के लोकसभा में लाए गए प्राइवेट बिल का उदाहरण दिया गया है जिसमें अनुच्छेद 30 का दायरा बढ़ाने की मांग की थी। बिल में कहा गया था कि संशोधन कर अल्पसंख्यक शब्द की जगह सभी वर्ग के नागरिक कर दिया जाए। साथ ही मानव संसाधन विकास राज्य मंत्री सत्यपाल सिंह के 2016 में लाए गए प्राइवेट बिल का भी हवाला दिया गया है जिसमें अनुच्छेद 26 से 30 तक में संशोधन की मांग की थी।

ज्ञापन में मांग है कि संविधान संशोधन किया जाए ताकि हिंदुओं को भी अल्पसंख्यकों के समान मंदिर और पूजास्थलों के प्रबंधन का अधिकार मिले। विभिन्न सरकारी योजनाओं और छात्रवृत्तियों का लाभ मिले तथा सरकार के अनुचित हस्तक्षेप के बगैर वे अपने शिक्षण संस्थान स्थापित कर चला सकें। ज्ञापन में कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 35ए और 370 के मुद्दे के अलावा और भी कई मांगे की गई हैं। 


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