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भाजपा मुख्यमंत्रियों ने लिया 2019 में और बड़ी जीत का संकल्प

एनआरसी असम और पश्चिम बंगाल के लिए तो बड़ा मुद्दा बन ही गया है। भाजपा इसे राष्ट्रवाद का मुद्दा बनाना चाहती है।

By Bhupendra SinghEdited By: Published: Tue, 28 Aug 2018 09:29 PM (IST)Updated: Wed, 29 Aug 2018 12:11 AM (IST)
भाजपा मुख्यमंत्रियों ने लिया 2019 में और बड़ी जीत का संकल्प
भाजपा मुख्यमंत्रियों ने लिया 2019 में और बड़ी जीत का संकल्प

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। सामने तो चार विधानसभा चुनाव हैं, लेकिन भाजपा ने अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव का भी शंखनाद कर दिया है। दरअसल आगामी विधानसभा चुनाव भी कुछ उसी अंदाज में लड़े जाएंगे। मंगलवार को भाजपा मुख्यालय में भाजपा व राजग शासित डेढ़ दर्जन राज्यों के मुख्यमंत्रियों व उपमुख्यमंत्रियों की दिन भर चली बैठक मंें सरकार की कल्याणकारी योजनाओं के माध्यम से जीत का संकल्प लिया गया। भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने सभी साथियों के साथ मिलकर फिर से सरकार बनाने का भरोसा जताया। तो प्रधानमंत्री ने देश में सकारात्मक माहौल की चर्चा कर देश को अग्रिम पंक्ति में खड़ा करने का वादा किया।

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मंगलवार को भाजपा मुख्यालय में दिन भर बैठक चली। बैठक की जानकारी देने आए छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री रमन सिंह ने बताया कि खासकर चुनावी राज्यों पर विशेष चर्चा हुई। उन्हें कुछ सुझाव भी दिए गए। लेकिन बैठक का निचोड़ यह था कि 2019 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में फिर से सरकार बनेगी। उन्होंने कहा कि भाजपा की सरकारें डेढ़ दर्जन राज्यों में है और यह दावा जमीनी आकलन के आधार पर ही किया जा रहा है। बताते हैं कि दिन भर चली बैठक में केंद्र और राज्य सरकारों की कल्याणकारी योजनाओं पर चर्चा हुई। इन योजनाओं के लाभार्थियों के वृहत आकार पर चर्चा हुई।

मुख्यमंत्रियों से केंद्रीय योजनाओं के 22 करोड़ लाभार्थियों तक पहुंचने की अपील

शाह ने उन्हें निर्देश दिया कि सभी मुख्यमंत्री यह सुनिश्चित करें कि योजनाएं सही तरह हर घर तक पहुंचे। ध्यान रहे कि सभी मुख्यमंत्रियों से लाभार्थियों की सूची भी मांगी गई थी। जाहिर है कि माइक्रो और बूथ मैनेजमेंट की माहिर भाजपा आखिरी स्तर तक इसकी समीक्षा भी करेगी। बताते हैं कि केंद्रीय योजनाओं के लाभार्थियों की संख्या लगभग 22 करोड़ है। जबकि भाजपा सदस्यों की संख्या 11 करोड़ के पार है। अगर इन्हें ही दुरुस्त कर लिया जाए तो वोटों की संख्या में भाजपा कोसों आगे होगी।

मंगलवार की बैठक की मंशा भी यही थी।इस क्रम में उज्ज्वला, ओडीएफ, एमएसपी में बढ़ोत्तरी, आयुष्मान जैसी योजनाओं का जिक्र तो हुआ ही। खुद प्रधानमंत्री की ओर से ओबीसी आयोग को संवैधानिक दर्जा, एससी एसटी एक्ट को फिर से लागू करने जैसे फैसले की बात भी कही गई। प्रधानमंत्री लगभग एक घंटे बोले और गरीब कल्याण को लेकर बार-बार टोकते रहे।

एनआरसी असम और पश्चिम बंगाल के लिए तो बड़ा मुद्दा बन ही गया है। भाजपा इसे राष्ट्रवाद का मुद्दा बनाना चाहती है। यही कारण है कि मंगलवार की बैठक में भी यह याद दिलाया गया कि विदेशी घुसपैठियों के लिए देश में कोई स्थान नहीं है। जबकि दूसरे देशों में रह रहे अल्पसंख्यक हिंदुओं को संरक्षण मिलेगा।

एक सवाल के जवाब में रमन सिंह ने कहा - जहां कही अल्पसंख्यक हिंदुओं को परेशान किया जाता है, हम उसे कैसे संरक्षण दें। सिटीजनशिप अमेंडमेंट बिल का भी इसी रूप में स्वागत किया गया। जाहिर है कि राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ के विधानसभा चुनाव में केंद्र सरकार के फैसले भी अहम मुद्दे बनेंगे। मुख्यमंत्रियों को अपने-अपने राज्यों मे नेतृत्व लेकर यह सुनिश्चित करना होगा कि पार्टी और गठबंधन साथी एकजुटता के साथ जनता तक बदलाव का संदेश पहुचाएं।

बैठक में विपक्षी दलों के बीच प्रधानमंत्री पद के लिए की जा रही दावेदारी पर भी तंज कसा गया। बाहर रमन सिंह ने उसे शब्द दिया। उन्होंने कहा-न सूत न पगहा, जुलाहों में लट्ठमलट्ठा। यह तय है कि फिर से राजग की जीत होगी और मोदी प्रधानमंत्री लेकिन विपक्ष आपस में भिड़े हैं।

बैठक में पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को श्रद्धांजलि भी दी गई और देश से भी आभार जताया गया। बैठक में भाजपा के मुख्यमंत्री व उपमुख्यमंत्रियों के साथ केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह, वित्त मंत्री अरुण जेटली और सड़क परिवहनमंत्री नितिन गडकरी भी मौजूद थे।

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