'भाजपा विरोध करते-करते भारत का विरोध करने लगी है कांग्रेस'
प्रेस कॉन्फ्रेंस में बीजेपी प्रवक्ता सुधांशु त्रिवेदी ने कहा- कांग्रेस और पाकिस्तान एक ही बात कर रहे हैं। दोनों की मंशा भी एक है।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। लगातार हमलावर कांग्रेस पर पलटवार के साथ साथ भाजपा अब कांग्रेस और पाकिस्तान की सोच में समानता को पेश करने की कवायद में भी जुट गई है।
भाजपा प्रवक्ता सुधांशु त्रिवेदी ने सोमवार को कई उदाहरण पेश करते हुए सीधा आरोप लगाया कि पाकिस्तान और कांग्रेस में जुगलबंदी है। वरना कोई कारण नहीं है कि राष्ट्रीय हित और परंपरा को ताक पर रखकर कांग्रेस वही बोलती है जो पाकिस्तान बोलता है। तात्कालिक मुद्दा है संयुक्त राष्ट्र में विदेश मंत्री सुषमा स्वराज की ओर से पाकिस्तान को कठघरे में खड़ा करने पर कांग्रेस नेता शशि थरूर की ओर से उंगली उठाना।
उन्होंने कहा था कि पाकिस्तान को कोसकर भाजपा स्थानीय राजनीति साध रही है। जबकि कुछ ही दिन पहले पाकिस्तान की ओर से कहा गया था कि चुनावी राजनीति के दबाव में भारत सरकार ने पाकिस्तान की वार्ता की पेशकश ठुकरा दी। कांग्रेस पाकिस्तान के साथ क्यों खड़ी है इसका जवाब देना होगा।
सुधांशु ने कहा कि अब संशय की कोई स्थिति नहीं है कि कांग्रेस और पाकिस्तान की सोच एक है। पाकिस्तान को भी राहुल गांधी में भविष्य दिखता है और वहां के पूर्व गृहमंत्री कहते हैं कि - 'राहुल भारत के अगले प्रधानमंत्री होंगे।' आखिर पाकिस्तान को राहुल में क्यों इतनी रुचि है? और कांग्रेस के नेता पाकिस्तान के खिलाफ कहे गए कड़े शब्दों से क्यों बिफर रही है।
सुधांशु ने कहा कि कांग्रेस का पाकिस्तान प्रेम सत्ता में रहते हुए भी ऐसा ही था। 2013 में हाफिज सईद ने तत्कालीन गृहमंत्री सुशील शिंदे को हिंदू आतंकवाद कहने पर बधाई दी थी। 24/11 का हमला पाकिस्तान ने कराया था और दिग्विजय सिंह ने आरएसएस को जिम्मेदार ठहराया था। संप्रग के काल में भारत सरकार ने हवाना में जाकर कहा था कि पाकिस्तान आतंकवाद से पीडि़त देश है। 2009 में शर्म अल शेख में तो मनमोहन सिंह ने बलूचिस्तान को जोड़कर पाकिस्तान को बढ़त दे दी थी।
सुधांशु ने कहा कि अपने चरित्र के कारण महात्मा गांधी का कांग्रेस कहलाने का हक तो पार्टी पहले ही खो चुकी थी राहुल की कांग्रेस तो भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस कहलाने लायक भी नहीं रही है। भाजपा का विरोध करते करते भारत का विरोध करने लगी है।
सुधांशु ने स्वतंत्रता में कांग्रेस की भूमिका को भी सीमित किया और कहा कि लाला लाजपत राय के अलावा कांग्रेस के एक भी नेता शहीद नहीं हुआ है और न ही वीर सावरकर की तरह कोई कांग्रेसी नेता काला पानी भेजा गया। सुधांशु ने कहा कि स्वतंत्रता संग्राम कोलेकर कांग्रेस के दावों पर पुनर्विचार की जरूरत है। सच्चाई यह है कि भारत का स्वतंत्रता संग्राम राजनीतिक संघर्ष के साथ साथ क्रांतिकारी और सशस्त्र आंदोलन भी था।
मानसरोवर से प्रयाग तक आते-आते कथित शिवभक्त बगुला भगत हो गए। भगवान राम का विरोध तो कांग्रेस पहले ही कर चुकी है और प्रयाग में कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने बम-बम भोले का नारा लगाया तो उन्हें पार्टी ने निकाल दिया।