मणिपुर राजनीतिक संकट पर बीजेपी और एनपीपी में बातचीत जारी
कांग्रेस को सेक्यूलर प्रोग्रेसिव फ्रंट सरकार बनाने से रोकने के लिए मेघालय के मुख्यमंत्री कॉनराड संगमा और असम के वित्त मंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने दूसरी इफाल का दौरा किया है।
इंफाल, एएनआइ। मणिपुर में राजनीतिक अस्थिरता को सुलझाने के लिए भारतीय जनता पार्टी और नेशनल पीपुल्स पार्टी के बीच मंगलवार को भी बातचीत जारी रही। इस सिलसिले में एनपीपपी अध्यक्ष और मेघालय के मुख्यमंत्री कॉनराड संगमा और असम के वित्त मंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने इंफाल का दौरा किया। कांग्रेस को सेक्यूलर प्रोग्रेसिव फ्रंट सरकार बनाने से रोकने के लिए दोनों नेता दूसरी बार यहां आए।
इस दौरान विधायकों और पार्टी के अधिकारियों के बीच कई बैठकें भी हुई, लेकिन उनका कोई खास नतीजा नहीं निकल सका है। इस वजह से बातचीत का ठोस समाधान करने के लिए जॉयकुमार सिंह, एल जयंतकुमार सिंह, लेतपा हाओकिप और एन कायसी के नेतृत्व वाले एनपीपी विधायक संगमा और सरमा के साथ चार्टर्ड विमान से उड़ान भj दिल्ली के लिए रवाना हो गए। उम्मीद लगाई जा रही है कि दिल्ली में बातचीत के बाद भाजपा सरकार पर संकट के बादल छंट जाएंगे।
बता दें कि इससे पहले पिछले हफ्ते एनपीपी के चार मंत्रियों, भाजपा के तीन बागी विधायकों, तृणमूल कांग्रेस के एकमात्र विधायक व एक निर्दलीय विधायक के इस्तीफे के बाद राज्य की बीरेन सिंह सरकार पर संकट के बादल छाने लगे थे। एनपीपी के सिर्फ चार विधायक हैं और पार्टी सरकार से समर्थन वापस ले सकती है। ऐसे में कांग्रेस नौ बागी विधायकों के साथ राज्य में सेक्यूलर प्रोग्रेसिव फ्रंट (एसपीएफ) की सरकार बना सकती है
गौरतलब है कि कांग्रेस के सात विधायक 2017 के राज्य चुनावों के तुरंत बाद भाजपा से शामिल हो गए थे। दलबदल कानून के तहत उन्हें आयोग्य घोषित कर दिया गया था। उनकी अयोग्यता का मामला मणिपुर हाइकोर्ट के साथ स्पीकर ट्रिब्यूनल में लंबित है। 19 जून के राज्यसभा चुनाव में, कांग्रेस के तीन दल बदलने वाले नेताओं को वोट डालने की इजाजत नहीं दी गई क्योंकि उनके खिलाफ मामले लंबित हैं। हालांकि, अन्य चार को मतदान की इजाजत दी गई थी। हाल ही में अयोग्य घोषित किए गए एक विधायक को भी मतदान प्रक्रिया में भाग लेने से रोक दिया गया था।