भाजपा और कांग्रेस के लिए वोट कटवा साबित हो सकता है यह गठबंधन
बसपा ने राजस्थान में कांग्रेस का हाथ झटक दिया है। निर्दलीय विधायक हनुमान बेनीवाल ने नई पार्टी का गठन कर भाजपा के बागी नेता घनश्याम तिवाड़ी के साथ मिलकर 200 सीटों पर ताल ठोक दी है।
जागरण संवाददाता, जयपुर। बहुजन समाज पार्टी (बसपा) ने जहां राजस्थान में कांग्रेस के साथ गठबंधन न करने का एलान किया है वहीं खींवसर से निर्दलीय विधायक हनुमान बेनीवाल ने नई पार्टी का गठन कर भाजपा के बागी नेता घनश्याम तिवाड़ी के साथ मिलकर सभी 200 विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ने की बात कही है।
तालमेल को लेकर कसरत
बसपा, बेनीवाल और तिवाड़ी के बीच तालमेल को लेकर भी कसरत चल रही है। बेनीवाल 29 अक्टूबर को जयपुर में किसान हुंकार रैली के साथ ही पार्टी के नाम का एलान करेंगे। पार्टी का आकार क्या होगा, कौन-कौन नेता होंगे, बसपा और तिवाड़ी के साथ किस हद तक गठजोड़ होगा, इसकी पूरी तस्वीर 29 अक्टूबर को ही साफ होगी। ऐसे में बड़ा सवाल है कि बसपा, तिवाड़ी और बेनीवाल विधानसभा चुनाव में सत्ताधारी भाजपा या फिर सत्ता का इंतजार कर रही कांग्रेस में से किसका खेल बिगाड़ेंगे?
तीनों का अपना-अपना गणित
बसपा नेतृत्व की सोच है कि तिवाड़ी और बेनीवाल को साथ लेकर जाट व ब्राह्मण समाज में पैठ बनाई जा सकती है। बसपा अपने वोट बैंक के साथ जाट और ब्राह्मण मतदाताओं को जोड़कर सत्ता की चाबी अपने पास रखना चाहती है। वहीं, बेनीवाल और तिवाड़ी की रणनीति है कि जाट एवं ब्राह्मण मतदाताओं को तो वे दोनों अपने साथ जोड़ लेंगे, लेकिन दलित और मुस्लिम वर्ग को बसपा के साथ मिलकर ही लुभाया जा सकता है। इसलिए ये दोनों नेता बसपा के साथ तालमेल करने पर विचार कर रहे हैं। ये दोनों नेता भी बसपा के साथ मिलकर सत्ता की चाबी अपने पास रखना चाहते हैं।
पूर्वी और पश्चिमी राजस्थान में हो सकता है असर
राज्य में 7 दिसंबर को मतदान होगा। उससे करीब एक महीने पहले जिस पार्टी का गठन और फिर तिवाड़ी एवं बसपा के साथ अधिकारिक रूप से तालमेल होगा, उसकी चुनौती को लेकर संशय हो सकता है। बेनीवाल की अपनी सियासी ताकत है। पश्चिम राजस्थान में जाट समुदाय में खासे लोकप्रिय हैं। ऐसे में नई पार्टी बनने के बाद सभी की नजरें जाट वोट बैंक पर लगी हुई है।
साबित हो सकते वोट कटवा
बेनीवाल जहां पश्चिमी राजस्थान में ताकत रखते हैं, वहीं तिवाड़ी का पूर्वी राजस्थान की अगड़ी जातियों में प्रभाव है। ये दोनों नेता बसपा के साथ मिलकर पूरे प्रदेश के राजनीतिक समीकरण बदलने में जुटे है। चुनावी विश्षेलक दावा कर रहे हैं कि बसपा,तिवाड़ी और बेनीवाल कई सीटों पर वोट कटवा भी साबित हो सकते है। ऐसे में कांटे की टक्कर वाली सीट पर अगर इनका मजबूत उम्मीदवार हो तो भाजपा या कांग्रेस प्रत्याशी का खेल बिगाड़ सकते है।
बेहतर विकल्प की कोशिश
तिवाड़ी और बेनीवाल का दावा है कि वे मतदाताओं को बेहतर विकल्प देने की कोशिश करेंगे। चुनाव पर नजर रखने वाले विश्लेषकों का मानना है कि दिग्गज भाजपा नेता जसवंत सिंह के पुत्र मानवेंद्र सिंह अगर कांग्रेस में शामिल होते हैं तो जाट समाज के वोट बैंक में बेनीवाल जाट बहुल सीटों पर, खासकर जैसलमेर और बाड़मेर जिले की सीटों पर सेंध लगा सकते हैं। मारवाड़ और शेखावाटी में जाट और राजपूतों के बीच सियासी वर्चस्व की जंग चलती रही है।