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बस्तर में भाजपा की खुली बिसात, कांग्रेस दबे पांव रणनीति को दे रही अंजाम

आदिवासी बहुल और नक्सल प्रभावित बस्तर संभाग की 12 विधानसभा सीटों के रास्ते दोनों राष्ट्रीय दल सत्ता पाने की कोशिश में लगे हुए हैं। भाजपा ने यहां खुली चुनावी बिसात बिछा दी है।

By Kamal VermaEdited By: Published: Mon, 30 Apr 2018 12:53 PM (IST)Updated: Mon, 30 Apr 2018 12:53 PM (IST)
बस्तर में भाजपा की खुली बिसात, कांग्रेस दबे पांव रणनीति को दे रही अंजाम
बस्तर में भाजपा की खुली बिसात, कांग्रेस दबे पांव रणनीति को दे रही अंजाम

रायपुर [नईदुनिया राज्य ब्यूरो]। आदिवासी बहुल और नक्सल प्रभावित बस्तर संभाग की 12 विधानसभा सीटों के रास्ते दोनों राष्ट्रीय दल सत्ता पाने की कोशिश में लगे हुए हैं। जहां, भाजपा ने यहां खुली चुनावी बिसात बिछा दी है, वहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लेकर मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह और पार्टी के दूसरे बड़े नेता यहां का दौरा कर चुके हैं। दूसरी ओर कांग्रेस दबे पांव अपनी रणनीति को अंजाम दे रही है। यहां तक कि पार्टी के अंदर भी इस बात की चर्चा नहीं है कि बस्तर में क्या चल रहा है? पार्टी हाईकमान को सीधे इसकी रिपोर्ट दी जा रही है। बस्तर संभाग की आठ विधानसभा सीटों में कांग्रेस का कब्जा है, जबकि भाजपा केवल चार में सिमटी हुई है। भाजपा ने इस बार बस्तर को विशेष तौर पर फोकस किया है।

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सीटों की समीक्षा 
पार्टी के राष्ट्रीय सहसंगठन मंत्री सौदान सिंह सभी सीटों की समीक्षा कर चुके हैं। प्रदेश प्रभारी डॉ. अनिल जैन और प्रदेश अध्यक्ष धरमलाल कौशिक ने भी बस्तर के विधानसभा क्षेत्रों का दौरा किया है। मुख्यमंत्री डॉ. सिंह ने बस्तर संभाग से लोक सुराज अभियान की शुरुआत की थी और अब 11 मई से वे विकास यात्रा भी बस्तर के दंतेवाड़ा से शुरू करने जा रहे हैं। इतना ही नहीं, प्रधानमंत्री मोदी ने बस्तर संभाग के ही बीजापुर जिले के जांगला गांव में अपनी सभा की। भाजपा की चुनावी चाल साफ बता रही है कि संगठन बस्तर संभाग को मजबूत करने में लगा है और बड़े जनप्रतिनिधि आदिवासियों को साधने में लगे हैं।

सीट बढ़ाने का प्रयास
सत्ता और संगठन मिलकर भाजपा की यहां सीट बढ़ाने का प्रयास कर रहे हैं। इधर, कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी ने बस्तर संभाग को खुद अपने हाथ में ले लिया है। 26 मार्च को उन्होंने तीन समन्वयकों और 14 पर्यवेक्षकों की विशेष टीम बनाई है। राहुल की यह टीम लगातार संभाग की सभी सीटों में बैठकें कर रही हैं। विशेष टीम में ज्यादातर पड़ोसी राज्य ओड़िशा के नेता हैं, जो सीधे राहुल गांधी को रिपोर्ट दे रहे हैं। विशेष टीम की मॉनीटरिंग प्रदेश प्रभारी अरुण उरांव कर रहे हैं, इसलिए उनका दौरा प्रदेश के दूसरे हिस्सों में नहीं हो रहा है। प्रत्याशी चयन में विशेष टीम की महत्वपूर्ण भूमिका होगा, जो कि पार्टी के वर्तमान आठ विधायकों के परफॉर्मेंस का भी रिपोर्ट कार्ड तैयार कर रही है।

दूसरे नेताओं ने छोड़ा बस्तर
कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी की विशेष टीम जब से बस्तर संभाग में सक्रिय हुई है, तब से प्रदेश प्रभारी पीएल पुनिया से लेकर प्रदेश अध्यक्ष भूपेश बघेल और दूसरे वरिष्ठ नेताओं ने बस्तर को छोड़ दिया है। पुनिया, बघेल और दूसरे सभी वरिष्ठ नेता अब मैदानी इलाके बिलासपुर और दुर्ग संभाग को फोकस कर रहे हैं। विधानसभा क्षेत्रवार संकल्प शिविर लगाकर संगठन को बूथ लेवल तक मजबूत करने की कोशिश हो रही है।

दो चुनाव तक भाजपा का गढ़ था बस्तर
छत्तीसगढ़ बनने के बाद तीन विधानसभा चुनाव हुए हैं। इसमें से पहले दो चुनावों में बस्तर संभाग भाजपा का गढ़ रहा। 2003 के चुनाव में भाजपा ने 12 में से नौ सीटों में जीत हासिल की थी। कांग्रेस को तीन सीट मिली थीं।

2008 के चुनाव में कांग्रेस की हालत और पस्त हो गई थी। भाजपा ने 11 सीटों पर कब्जा कर लिया था, कांग्रेस के खाते में एक ही सीट आ पाई थी। लेकिन, 2013 के चुनाव में बाजी पलटी और कांग्रेस ने सात सीट बढ़ाते हुए आठ सीटों पर जीत दर्ज की थी। भाजपा को चार सीटों में संतुष्ट होना पड़ा था।


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