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आठवीं तक फेल न करने की नीति में बदलाव का बिल फिर अटका

सरकार का मानना है कि इससे स्कूली शिक्षा की गुणवत्ता बिगड़ रही है। क्योंकि फेल न करने की नीति से स्कूलों में पढ़ाई का स्तर खराब हो रहा है।

By Arun Kumar SinghEdited By: Published: Thu, 09 Aug 2018 10:23 PM (IST)Updated: Thu, 09 Aug 2018 10:23 PM (IST)
आठवीं तक फेल न करने की नीति में बदलाव का बिल फिर अटका
आठवीं तक फेल न करने की नीति में बदलाव का बिल फिर अटका

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। स्कूली शिक्षा में बदलाव की आस लगाए बैठे लोगों को इस बार फिर निराश होना पड़ेगा, क्योंकि बदलाव का यह बिल इस बार भी राज्यसभा से पारित नहीं हो सका। हालांकि संसद के मानसून सत्र का शुक्रवार को अंतिम दिन है, लेकिन राज्यसभा के बिजनेस में यह शामिल नहीं है। यह अहम इसलिए भी है, क्योंकि इस बिल के पारित होने से स्कूलों में आठवीं तक फेल न करने की नीति खत्म हो जाएगी। अभी शिक्षा के अधिकार कानून के तहत किसी भी बच्चे को आठवीं तक फेल नहीं किया जा सकता है।

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सरकार का मानना है कि इससे स्कूली शिक्षा की गुणवत्ता बिगड़ रही है। क्योंकि फेल न करने की नीति से स्कूलों में पढ़ाई का स्तर खराब हो रहा है। बच्चे भी परीक्षा न होने से पढ़ाई की ओर से वैसा ध्यान नहीं देते है, जैसा होना चाहिए। हालांकि सरकार ने बदलाव के इस बिल को संसद के बजट सत्र में ही लोकसभा से पारित करा लिया था, तब से यह राज्यसभा में अटका हुआ है।

हालांकि सरकार ने इसे राज्यसभा से पारित कराने की पिछली बार भी कोशिश की थी, लेकिन हंगामे के चलते यह पारित नहीं हो सका था। इस बार मानसून सत्र को इस बिल के पारित होने की उम्मीदें थीं। मानव संसाधन विकास मंत्रालय इसे पारित कराने के लिए पूरी ताकत से जुटा भी हुआ था।

इस दौरान बिल कई बार बिजनेस में शामिल भी हुआ, लेकिन किन्हीं कारणों से चर्चा नहीं हो पायी। खास बात यह है कि सरकार की इस पहल को देश के ज्यादातर राज्यों का भी समर्थन है। हालांकि सरकार ने बदलाव में इसे लेकर राज्यों की पूरी स्वायत्तता दी है। यानि जो राज्य इसे नहीं चाहते हैं, वह पुरानी व्यवस्था को ही लागू रख सकते हैं।


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