Bihar Politics: कांग्रेस के प्रति निष्ठा बनेगी बिहार सरकार में मंत्री बनने का आधार, विधायकों की वफादरी की हो रही पड़ताल
Bihar Govt News सूत्रों का कहना है कि कांग्रेस हाईकमान इस बार बिहार में अपने कोटे के मंत्रियों के चयन में विशेष सावधानी बरतेगा। संकेत यह भी हैं कि पार्टी के प्रति निष्ठा और वफादारी का पैमाना सबसे मायने रखेगा।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। बिहार की नई महागठबंधन सरकार में शामिल होने के लिए कांग्रेस विधायकों के बीच चाहे जबरदस्त आपसी प्रतिस्पर्धा चल रही हो, मगर पार्टी हाईकमान इस बार अपने कोटे के मंत्रियों के चयन में विशेष सावधानी बरतेगा। विधायकों के मंत्री पद की लालसा में पत्र लिखने से लेकर दिल्ली दरबार के चक्कर लगाने की कोशिशों के बीच पार्टी के गलियारों से मिल रहे सियासी संकेत से साफ है कि पार्टी के प्रति निष्ठा और वफादारी का पैमाना मंत्री पद के लिए सबसे अहम होगा।
राजनीतिक भविष्य टटोलने की कोशिश
इसका आशय साफ है कि सत्ता बदलने से पहले पार्टी से बाहर अपना राजनीतिक भविष्य टटोलने की कोशिश में जुटे रहे विधायकों के लिए मंत्री बनने की राह मुश्किल है। वहीं, पार्टी में एक ऐसा भी तबका है, जो महागठबंधन सरकार में शामिल होने के बजाय इसका बाहर से समर्थन करने के पक्ष में है।
राहुल लेंगे फैसला
बिहार की महागठबंधन सरकार में कांग्रेस के मंत्रियों को शामिल करने के लिए पार्टी नेतृत्व ने चर्चा शुरू कर दी थी, लेकिन शनिवार को कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के लगातार दूसरी बार कोरोना संक्रमित होने के बाद पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी अब इस मसले पर बिहार के नेताओं से मशविरा कर अंतिम फैसला लेंगे।
जल्द तय हो जाएंगे नाम
दिल्ली दरबार की परिक्रमा करने आए बिहार कांग्रेस के कई विधायक और नेता राहुल गांधी से मिलने की कोशिश में भी हैं और सूबे के प्रभारी भक्तचरण दास के जरिये अपनी दावेदारी आगे बढ़ाने का प्रयास कर रहे हैं। सूत्रों ने बताया कि अगले एक-दो दिनों में नीतीश सरकार में शामिल होने वाले कांग्रेस कोटे के चार मंत्रियों के नाम तय हो जाएंगे।
डोजियर की हो रही तफ्तीश
इसमें दो संभावित नाम पार्टी के प्रति वफादारी के साथ अन्य समीकरणों के हिसाब से लगभग तय माने जा रहे हैं, लेकिन दो अन्य नामों पर अभी विकल्प खुला है। इनका नाम तय करने से पहले विधायकों के पुराने सियासी डोजियर की तफ्तीश की जा रही है। खासकर ऐसे विधायकों की, जो विपक्ष में रहने के दौरान कांग्रेस को गच्चा देकर दूसरे दल में जाने के लिए संपर्क साधते रहे थे।
सभी पहलुओं पर विचार
बिहार में कांग्रेस का इसको लेकर कटु अनुभव भी रहा है, जब प्रदेशाध्यक्ष रहे अशोक चौधरी ने मंत्री बनने के लिए पार्टी को गच्चा देते हुए जदयू का दामन थाम लिया था। जाहिर तौर पर कांग्रेस नेतृत्व की ओर से प्रभारी भक्तचरण दास को इन पहलुओं की अनदेखी नहीं करने का स्पष्ट दिशा-निर्देश है।
इसलिए चाहते हैं बाहर से सरकार को समर्थन देना
नीतीश सरकार में कांग्रेस का शामिल होना लगभग तय है, मगर बिहार कांग्रेस का एक खेमा केंद्रीय नेतृत्व से इसके उलट सरकार में शामिल नहीं होने की पैरोकारी कर रहा है। सूबे के नेता किशोर कुमार झा ने तो इसकी खुलकर बात करते हुए कहा कि कांग्रेस को भाकपा माले की तरह सरकार का बाहर से समर्थन देना चाहिए। प्रदेश की जनता तथा सरकार के बीच सेतु का काम करना चाहिए।
यह होगा फायदा
किशोर कुमार झा के मुताबिक चार विधायकों के मंत्री बनने से, उनका निजी तौर पर तो भला होगा, मगर कांग्रेस के आधार को बढ़ाने में इसका फायदा होगा, इसमें संदेह है। पुराने प्रयोग इसके गवाह भी हैं। कांग्रेस का राजनीतिक आधार बढ़ाने का यह सुनहरा मौका है, क्योंकि भाजपा का सियासी मनोबल टूटा है और महंगाई, बेरोजगारी से लेकर विकास के अन्य सवालों पर लोग अब कांग्रेस के पुराने दिनों को याद करने लगे हैं।