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नीतीश कुमार को बनाया जा सकता है संयोजक, कांग्रेस के असमंजस के कारण टली संयुक्त विपक्ष की पहली बैठक

सियासी हकीकत यह है कि क्षेत्रीय दल कांग्रेस को बैठक से पहले ही यह संदेश दे देना चाहते हैं कि वह विपक्षी एकता के लिए कांग्रेस की बड़ी जरूरत है लेकिन क्षेत्रीय विपक्षी दलों की भूमिका ही अहम होने वाली है।

By Jagran NewsEdited By: Vinay SaxenaPublished: Mon, 05 Jun 2023 08:58 PM (IST)Updated: Mon, 05 Jun 2023 08:58 PM (IST)
नीतीश कुमार को बनाया जा सकता है संयोजक, कांग्रेस के असमंजस के कारण टली संयुक्त विपक्ष की पहली बैठक
विपक्षी दल के क्षत्रप 12 जून के बदले अब 23 जून को एक मंच पर आएंगे।

नई दिल्ली, अरव‍िंद शर्मा। कांग्रेस के सुझाव के बाद विपक्षी दल के क्षत्रप 12 जून के बदले अब 23 जून को एक मंच पर आने वाले हैं। सुझाव यह भी था कि बैठक हिमाचल प्रदेश में की जाए, लेकिन भाजपा के खि‍लाफ विपक्ष की पहली बैठक पटना में ही होगी। सियासी हकीकत यह है कि क्षेत्रीय दल कांग्रेस को बैठक से पहले ही यह संदेश दे देना चाहते हैं कि वह विपक्षी एकता के लिए कांग्रेस की बड़ी जरूरत है, लेकिन क्षेत्रीय विपक्षी दलों की भूमिका ही अहम होने वाली है।

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23 जून के लिए भी कांग्रेस की ओर से सहमति आना अभी बाकी

परोक्ष रूप से हिमाचल प्रदेश के सुझाव को खारिज कर कांग्रेस को इसका एहसास करा दिया गया है। हालांकि, 23 जून के लिए भी कांग्रेस की ओर से सहमति आना अभी बाकी है, लेकिन जदयू के मुख्य राष्ट्रीय प्रवक्ता केसी त्यागी ने इसकी पुष्टि की है। केसी त्‍यागी का कहना है कि प्रारंभिक बैठक की तिथि टलने से इतना साफ हो गया कि अब एकता की कवायद पहले से भी ज्यादा व्यवस्थित और संगठित तरीके से होगी।

क्‍या चाहते हैं राहुल गांधी? 

यह भी संकेत है कि अगली बैठक के लिए सुनिश्चित किया जा रहा है क‍ि सारे दलों के अध्यक्ष और प्रमुख नेता उपस्थित रहें, ताकि कोई महत्वपूर्ण निर्णय पर पहुंचा जा सके। राहुल चाहते हैं कि प्रारंभिक बैठक के बाद दो-तीन दिनों का एक सत्र अलग से भी होना चाहिए, ताकि सारे मुद्दों पर सभी दलों से बातचीत की जा सके।

एकता के लिए बनेंगी तीन तरह की समितियां

केसी त्यागी ने बताया कि को बैठक को किसी निष्कर्ष पर पहुंचाने के लिए दो-तीन तरह की समितियां बनाने की भी तैयारी है। क्षेत्रीय अस्तित्व में वृद्धि और विभिन्न मुद्दों को लेकर आगे बढ़ रहे दलों को एक साथ लाना आसान नहीं होगा। ऐसे में संयुक्त घोषणा पत्र और समन्वय समिति की जरूरत से इनकार नहीं किया जा सकता। नीतीश कुमार समन्वयक की भूमिका के लिए सबसे महत्वपूर्ण पात्र साबित होंगे। त्यागी का तर्क है कि लालू प्रसाद को छोड़कर कांग्रेस से सभी दलों के रिश्ते पूरी तरह सहज नहीं हैं।

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ममता बनर्जी, अरव‍िंद केजरीवाल, अखिलेश यादव, शरद पवार और उद्धव ठाकरे समेत कई नेताओं को एक मंच पर लाने का दायित्व हर कोई नहीं संभाल सकता है। नीतीश यही काम पहले से कर भी रहे हैं।


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