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निर्वाचन आयोग ने बताया, इस बार बिहार विधानसभा चुनावों में आपराधिक पृष्ठभूमि के 1157 प्रत्‍याशियों ने लड़ा चुनाव

चुनाव आयोग की ओर से साझा की गई जानकारी के मुताबिक इस बार बिहार विधानसभा चुनावों में आपराधिक पृष्ठभूमि के कुल 1157 प्रत्‍याशियों ने चुनाव लड़ा है। निर्वाचन आयोग ने बताया है कि तीन चरणों वाले चुनाव में कुल 3733 उम्मीदवार मैदान में थे।

By Krishna Bihari SinghEdited By: Published: Sun, 08 Nov 2020 05:37 PM (IST)Updated: Sun, 08 Nov 2020 06:27 PM (IST)
निर्वाचन आयोग ने बताया, इस बार बिहार विधानसभा चुनावों में आपराधिक पृष्ठभूमि के 1157 प्रत्‍याशियों ने लड़ा चुनाव
इस बार बिहार विधानसभा चुनावों में आपराधिक पृष्ठभूमि के कुल 1157 प्रत्‍याशियों ने चुनाव लड़ा है।

नई दिल्‍ली, पीटीआइ। चुनाव आयोग की ओर से साझा की गई जानकारी के मुताबिक, इस बार बिहार विधानसभा चुनावों में आपराधिक पृष्ठभूमि के कुल 1157 प्रत्‍याशियों ने चुनाव लड़ा है। निर्वाचन आयोग ने बताया है कि तीन चरणों वाले चुनाव में कुल 3733 उम्मीदवार मैदान में थे। इसमें 371 महिला उम्‍मीदवार भी शामिल थीं। सनद रहे कि इस साल फरवरी में सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में सख्‍ती दिखाई थी।

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सर्वोच्‍च अदालत के निर्देश के बाद निर्वाचन आयोग ने मार्च में सियासी दलों से पूछा था कि बताएं कि आपने आपराधिक पृष्ठभूमि वाले उम्मीदवारों को चुनावी मैदान में प्रत्‍याशी के तौर पर क्यों उतारा। चुनाव आयोग ने बीते दिनों उम्मीदवारों की आपराधिक पृष्ठभूमि के बारे में चुनाव प्रचार के दौरान जानकारी देना अनिवार्य किया था। यदि जानकारी देने के लिहाज से बात करें तो बिहार में विधानसभा चुनाव पहला ऐसा चुनाव है जिसमें दलों ने अपने उम्मीदवारों के बारे में आपराधिक पृष्‍ठभूमि के बारे में जानकारी सार्वजनिक की।

उल्‍लेखनीय है कि निर्वाचन आयोग ने अक्टूबर 2018 में निर्देश जारी कर अनिवार्य किया था कि उम्मीदवार और राजनीतिक दल चुनाव प्रचार के दौरान टीवी और अखबारों में तीन बार इस्‍तेहार देकर उम्‍मीदवारों के आपराधिक पृष्‍ठभूमि के बारे में बताएं। बीते सितंबर महीने में आयोग ने स्‍पष्‍ट निर्देश जारी करते हुए सख्‍ती के साथ कहा था कि उम्मीदवारी वापस लेने की अंतिम तिथि के पहले चार दिनों के भीतर आपराधिक रिकॉर्ड का इस्‍तेहार दिया जाना अनिवार्य होगा।

निर्वाचन आयोग ने साफ साफ कहा था कि प्रत्‍याशियों के बारे में दूसरी बार प्रचार नामांकन वापस लेने की अंतिम तिथि के पांचवें और आठवें दिन के भीतर हो जानी चाहिए। इतना ही नहीं उम्‍मीदवारों के रिकॉर्ड के बारे में तीसरा और अंतिम प्रचार नौवें दिन से चुनाव प्रचार के अंतिम दिन के बीच किया जाना अनिवार्य होगा। चुनाव आयोग का मानना है कि इस पहलकदमी से मतदाताओं के पास उम्‍मीदवारों के बारे में सटीक जानकारी रहेगी और वे अपना वाजिब विकल्‍प का चयन कर पाएंगे... 


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