Move to Jagran APP

बौद्धिक संपदा अधिकारों की संस्कृति को बढ़ावा देने की दिशा में रक्षा मंत्रालय ने उठाए कड़े कदम

भारत प्राचीन काल से ही ज्ञान का केंद्र रहा है लेकिन बौद्धिक संपदा के प्रति समुचित चेतना नहीं होने की वजह से देश में सृजनात्मकता का माहौल नहीं बन सका।

By Bhupendra SinghEdited By: Published: Sat, 13 Jul 2019 09:31 PM (IST)Updated: Sat, 13 Jul 2019 09:31 PM (IST)
बौद्धिक संपदा अधिकारों की संस्कृति को बढ़ावा देने की दिशा में रक्षा मंत्रालय ने उठाए कड़े कदम
बौद्धिक संपदा अधिकारों की संस्कृति को बढ़ावा देने की दिशा में रक्षा मंत्रालय ने उठाए कड़े कदम

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। रक्षा उद्योग में नवाचार और बौद्धिक संपदा अधिकारों की संस्कृति को बढ़ावा देने के लिहाज से रक्षा मंत्रालय की ओर से बौद्धिक संपदा सुविधा सेल, रक्षा मंत्रालय और राष्ट्रीय अनुसंधान विकास निगम के बीच एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किये गए हैं। इसमें आइपीएफसी और एनआरडीसी के बीच साझेदारी से भारतीय रक्षा उद्योग में नवाचार और बौद्धिक संपदा अधिकारों (आइपीआर) की संस्कृति को बढ़ावा देने की दिशा में रक्षा मंत्रालय के प्रयासों को प्रोत्साहन मिलेगा। साथ ही इन प्रयासों में किसी भी तरह की कमी को भी दूर किया जा सकेगा।

loksabha election banner

सरकार की ओर से हाल ही में लांच किए गए 'मिशन रक्षा ज्ञान शक्ति' (एमआरजीएस) को आगे बढ़ाते हुए रक्षा मंत्रालय ने यह कदम उठाया है। भारतीय रक्षा विनिर्माण क्षेत्र में नवाचार की संस्कृति को विकसित करने के उद्देश्य से मिशन रक्षा ज्ञान शक्ति की शुरुआत की गई थी।

इस मिशन के तहत, गुणवत्ता आश्वासन महानिदेशालय (डीजीक्यूए) के तत्वावधान में एक बौद्धिक संपदा सुविधा प्रकोष्ठ की स्थापना भी की गई है, जिसने एक साल के भीतर ही 12,000 से अधिक कर्मियों को आइपीआर का प्रशिक्षण देने का चुनौतीपूर्ण लक्ष्य प्राप्त किया है और उन्हें 1000 से अधिक नए आइपीआर आवेदन दाखिल करने का अवसर प्रदान किया है।

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने मिशन रक्षा ज्ञान शक्ति की कार्य योजना 2019-20 को भी मंजूरी दी है। इसमें सार्वजनिक और निजी क्षेत्र के साथ ही सशस्त्र बलों के अतिरिक्त 20,000 कर्मियों को भी रक्षा विनिर्माण के क्षेत्र में बौद्धिक संपदा संस्कृति की प्रासंगिकता से अवगत कराना और प्रशिक्षित करना तथा रक्षा क्षेत्र को नए विचारों और नवाचार का भरपूर इस्तेमाल कर आत्मनिर्भर बनाने के लिए एक विस्तृत रूपरेखा तैयार करना भी है।

इस मिशन की शुरुआत 27 नवंबर, 2018 को दिल्ली में की गई थी। इसका उद्देश्य स्वदेशी रक्षा उद्योग में बौद्धिक संपदा अधिकार की संस्कृति को बढ़ावा देना है।

सरकार देश में बौद्धिक संपदा के प्रति चेतना फैलाने की विशेष कोशिश कर रही है। हालांकि भारत प्राचीन काल से ही ज्ञान का केंद्र रहा है, लेकिन बौद्धिक संपदा के प्रति समुचित चेतना नहीं होने की वजह से देश में सृजनात्मकता का माहौल नहीं बन सका है। ऐसे में नये विचारों का समुचित इस्तेमाल करने के लिये एक ढांचा खड़ा करना सरकार का लक्ष्य है। आविष्कार की संस्कृति के विकास से तीनों सेनाओं को स्वदेशी रक्षा तकनीक के बल पर शस्त्र प्रणालियां मिल सकेंगी। 


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.