मोदी सरकार का बड़ा फैसला, ट्रेड यूनियनों के लिए मान्यता लेना होगा जरूरी
केंद्रीय श्रममंत्री संतोष गंगवार ने बताया कि मौजूदा एक्ट में केवल ट्रेड यूनियनों के पंजीकरण, अधिकारों तथा कर्तव्यों के बारे में प्रावधान हैं।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। अब सरकारें केवल मान्यता प्राप्त श्रम संगठनों से ही बात करेंगी। इसके लिए केंद्र सरकार ने 1926 के ट्रेड यूनियन एक्ट में संशोधन का निर्णय लिया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में बुधवार को हुई केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में इस आशय के प्रस्ताव को मंजूरी दी गई। इसके तहत श्रम संगठनों के लिए केंद्र व राज्य स्तर पर मान्यता लेना जरूरी होगा।
ट्रेड यूनियन एक्ट में संशोधन के परिणामस्वरूप श्रम संबंधी मामलों में ट्रेड यूनियनों के साथ चर्चा में सरकार को आसानी होगी। क्योंकि उसे केवल उन्हीं श्रम संगठनों को बुलाना पड़ेगा जो मान्यताप्राप्त होंगे। वार्ता की मेज पर श्रम संगठनों के प्रतिनिधियों की संख्या घटने से निर्णय लेने में आसानी होगी। साथ ही फालतू मुकदमों की संख्या घटने से औद्योगिक अशांति के मामलों में भी कमी आएगी।
केंद्रीय श्रममंत्री संतोष गंगवार ने बताया कि मौजूदा एक्ट में केवल ट्रेड यूनियनों के पंजीकरण, अधिकारों तथा कर्तव्यों के बारे में प्रावधान हैं। उनकी मान्यता की व्यवस्था नहीं है। संशोधन के परिणामस्वरूप यूनियनों के लिए मान्यता लेना जरूरी हो जाएगा।
संशोधन विधेयक संसद से पास होने के बाद त्रिपक्षीय समितियों में श्रमिक प्रतिनिधियों के नामांकन में पारदर्शिता आएगी। इसके अलावा मान्यता प्राप्त यूनियनें औद्योगिक शांति बनाए रखने में मददगार साबित होंगी।
केंद्र एवं राज्यों के स्तर पर श्रम संगठनों को मान्यता मिलने से विभिन्न विभागों में अफसरों को अलग-अलग यूनियनों से बात करने की जरूरत नहीं पड़ेगी। मान्यताप्राप्त यूनियनों को केंद्र एवं राज्य स्तर पर विशिष्ट भूमिकाएं सौंपी जा सकती हैं।