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रविशंकर का विपक्ष पर बड़ा हमला, कहा- भारत बंद के बहाने कांग्रेस खौफ का माहौल बना रही है

रविशंकर प्रसाद ने कहा कि डीजल पेट्रोल की कीमत का बढ़ना सरकार के हाथ की बात नही है, क्योंकि तेल उत्पादक देशों ने उत्पादन को सीमित कर रखा है।

By Bhupendra SinghEdited By: Published: Mon, 10 Sep 2018 09:41 PM (IST)Updated: Tue, 11 Sep 2018 12:14 AM (IST)
रविशंकर का विपक्ष पर बड़ा हमला, कहा- भारत बंद के बहाने कांग्रेस खौफ का माहौल बना रही है
रविशंकर का विपक्ष पर बड़ा हमला, कहा- भारत बंद के बहाने कांग्रेस खौफ का माहौल बना रही है

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। देश में बढ़ती तेल की कीमतों को लेकर विपक्ष द्वारा बुलाये गये भारत बंद के बाद केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने विपक्ष पर बड़ा हमला बोला है। कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों के भारत बंद के दौरान हुई हिंसा और तोड़फोड़ की घटनाओं की निंदा करते हुए उन्होंने पूछा कि बिहार में एंबुलेंस न पहुंच पाने से दो साल की बच्ची की मौत का जिम्मेदार कौन है।

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उन्होंने कहा कि जनता को आज कोई परेशानी नहीं, इसीलिए जनता इस बंद के साथ नहीं खड़ी है। इसी वजह से कांग्रेस और विपक्ष के लोग खीझ कर खौफ का माहौल बना रहे हैं, यह हिंसा और मौत का खेल बंद होना चाहिए।

रविशंकर प्रसाद ने कहा कि डीजल पेट्रोल की कीमत का बढ़ना सरकार के हाथ की बात नही है, क्योंकि तेल उत्पादक देशों ने उत्पादन को सीमित कर रखा है। वेनेजु़एला में राजनीतिक अस्थिरता है, ईरान अमरीकी प्रतिबंधों का सामना कर रहा है और अमरीका में शेल गैस का उत्पादन नहीं हो रहा है। दुनिया में तेल की मांग और पूर्ति का अनुपात गड़बड़ चल रहा है। इस वजह से तेल की कीमतें बढ़ी हुई हैं।

उन्होंने यूपीए के दौर का जिक्र करते हुए कहा कि उस समय पेट्रोल 39 रुपये से 73 रुपये पर पहुंच गया था क्योंकि ये ऐसी समस्या है जिसका हल सरकार के पास नहीं होता। यह अंतरराष्ट्रीय परिस्थितियों पर निर्भर करता है।

इसके साथ ही रविशंकर प्रसाद ने पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को भी आड़े हाथों लिया और उन्हें सीधी बहस के लिए आमंत्रित किया। वहीं उन्होंने देश को सबसे बड़ी चिंता राहुल गांधी को बताया। प्रसाद ने कहा कि देश में सबसे बड़ी चिंता राहुल के बोलने से हो रही है।

भाजपा की ओर से रविशंकर की बातों को बढ़ाते हुए कहा गया कि 21 दलों के समर्थन का दावा किया गया था, लेकिन सामने सिर्फ 16 दल आए। इनमें भी ऐसे कई दल थे जिनका लोकसभा में कोई प्रतिनिधित्व ही नहीं है।


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