Move to Jagran APP

वन संशोधन विधेयक पर भिड़े भूपेंद्र यादव और जयराम रमेश, पर्यावरण मंत्री ने भेजे गए विधेयकों की लिस्ट की जारी

जयराम रमेश ने कहा कि विधेयक को संयुक्त समिति के पास इसलिए भेजा गया क्योंकि स्थाई समिति के अध्यक्ष हम हैं। कांग्रेस के एमपी सदस्य हैं लेकिन संयुक्त समिति में बीजेपी के अध्यक्ष व उनका ही बहुमत है।

By Jagran NewsEdited By: Shashank MishraPublished: Sat, 01 Apr 2023 09:29 PM (IST)Updated: Sat, 01 Apr 2023 09:29 PM (IST)
वन संशोधन विधेयक पर भिड़े भूपेंद्र यादव और जयराम रमेश, पर्यावरण मंत्री ने भेजे गए विधेयकों की लिस्ट की जारी
जयराम ने विधेयक को संयुक्त समिति के पास भेजने पर उठाए सवाल

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। वन (संरक्षण) संशोधन विधेयक-2023 को लेकर शनिवार को केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश के बीच जमकर आरोप-प्रत्यारोप का दौर चला। इस पूरे वाकये की शुरुआत तब हुई जब जयराम रमेश ने वन विधेयक को संसद की संयुक्त समिति के पास भेजे जाने को लेकर सवाल खड़ा किया। साथ ही आरोप लगाया कि सरकार वन कानून को तो कमजोर कर ही रही है, साथ ही में वह संसद की स्थाई समिति को कमजोर करना चाहती है। इस पर भूपेंद्र यादव ने कांग्रेस की सरकारों के समय संयुक्त समिति को भेजे गए विधेयकों की पूरी लिस्ट जारी कर दी।

loksabha election banner

सरकार स्थायी समितियों को कर रही दरकिनार: कांग्रेस

वन कानून से जुड़ा यह पूरा विवाद उस समय खड़ा हुआ जब लोकसभा ने पिछले दिनों इस संशोधन विधेयक को संसद की एक संयुक्त समिति के पास भेजने का निर्णय लिया। जयराम रमेश सहित कांग्रेस के दूसरे वरिष्ठ नेताओं का आरोप है कि सरकार ऐसे कदम उठाकर स्थायी समितियों को दरकिनार कर रही है।

इसे लेकर जयराम रमेश ने राज्यसभा के सभापति को तो अधीर रंजन चौधरी व मनीष तिवारी ने लोकसभा अध्यक्ष को पत्र लिखकर अपना ऐतराज जताया है। वहीं जयराम रमेश ने कहा कि विधेयक को संयुक्त समिति के पास इसलिए भेजा गया, क्योंकि स्थाई समिति के अध्यक्ष हम हैं। कांग्रेस के एमपी सदस्य हैं, लेकिन संयुक्त समिति में बीजेपी के अध्यक्ष व उनका ही बहुमत है।

स्थायी समितियां 1993 में आईं थी अस्तित्व में

जयराम रमेश राष्ट्रीय जन जाति आयोग के अध्यक्ष की ओर से वन एवं पर्यावरण मंत्री को लिखे गए पत्र का भी जिक्र किया और बताया कि उन्होंने कहा है कि जो संशोधन ला रहे हैं वह आदिवासियों के हित में नहीं है। इस बीच भूपेंद्र यादव ने ट्वीट कर कहा कि संयुक्त समिति को विधेयक भेजने पर सवाल उठा रही कांग्रेस पार्टी को यह देखना चाहिए कि उसके समय में कितने विधेयक संयुक्त समितियों को भेजे गए थे।

साथ ही ऐसे विधेयकों की एक लंबी सूची भी जारी कर दी। इसके बाद पलटवार करते हुए जयराम रमेश ने कहा कि ' स्थायी समितियां 31 मार्च 1993 को अस्तित्व में ही आईं थी।

सरकार जंगल से जुडे नियमों को कर रही शिथिल

मंत्री जी आपसे बेहतर होमवर्क की उम्मीद थी।' जवाब में भूपेंद्र ने कहा कि ' यह लंबी सूची होमवर्क का नतीजा है, जयराम जी। अगर आप इसे ठीक ढंग से देखने का प्रयास करेंगे तो यह पता चलेगा कि कांग्रेस की सरकारों ने 1993 के बाद भी विधेयकों को संयुक्त समितियों के पास भेजना जारी रखा।

'कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने इस दौरान बाघ प्रोजेक्ट के पचास साल पूरा होने पर इसका सफलता को सराहा और याद दिलाया कि इस प्रोजेक्ट को पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने शुरू किया था। इसके चलते देश में बाघ की आज आबादी भी बढी है। साथ ही जंगल भी सुरक्षित है। हालांकि मौजूदा सरकार जंगल से जुडे नियमों को शिथिल कर इस खत्म करने की अब साजिश कर रही है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.