Move to Jagran APP

वामपंथी विचारकों की गिरफ्तारी पर फैसला 12 को

भीमा कोरेगांव हिंसा मामले की जांच के दौरान पुणे पुलिस ने इसी साल जून में पांच माओवादी कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार किया था।

By Tilak RajEdited By: Published: Thu, 06 Sep 2018 08:42 AM (IST)Updated: Fri, 07 Sep 2018 12:46 AM (IST)
वामपंथी विचारकों की गिरफ्तारी पर फैसला 12 को
वामपंथी विचारकों की गिरफ्तारी पर फैसला 12 को

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। भीमा कोरेगांव हिंसा मामले में पांच वामपंथी आरोपितों की गिरफ्तारी पर फैसला अब बुधवार को होगा। महाराष्ट्र सरकार ने आरोपितों की गिरफ्तारी को चुनौती देने वाली याचिका को यह कहते हुए खारिज करने की मांग की थी कि आपराधिक मामलों में कोई तीसरा पक्षकार नहीं हो सकता, जैसा इस याचिका में हुआ है। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में याचिकाकर्ता से सफाई मांगी है। वहीं इस मामले में पुणे की पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी के बयान पर गहरी नाराजगी जताई है।
महाराष्ट्र सरकार की ओर से पेश एएसजी तुषार मेहता ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि आरोपित वरवर राव, अर्जुन फरेरा, वरनोन गोंजाल्विस, सुधा भारद्वाज और गौतम नवलखा के खिलाफ प्रतिबंधित नक्सली संगठन के साथ संबंध के पुख्ता सुबूत हैं और इसका सरकार विरोधी मत से कोई लेना-देना नहीं है। तुषार मेहता ने अदालती फैसलों का हवाला देते हुए कहा कि आपराधिक मामलों में तीसरी पार्टी को पक्षकार नहीं माना जा सकता है। उन्होंने कहा कि मौजूदा याचिका दाखिल करने वालों को आरोपितों के साथ कोई संबंध नहीं है। इसीलिए इसे खारिज किया जाना चाहिए।
तुषार मेहता की दलीलों के बाद मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा ने याचिकाकर्ता के वकील अभिषेक मनु सिंघवी से इस पर सफाई मांगी। उन्होंने कहा कि इस मामले पर बुधवार यानी 12 सितंबर को सुनवाई होगी और तब तक पांचों आरोपी अपने घर में नजरबंद रहेंगे।
रोक से जांच में हो रही दिक्कत
तुषार मेहता का कहना था कि आरोपितों की गिरफ्तारी रोककर नजरबंद करने के सुप्रीम के निर्देश से जांच को काफी नुकसान पहुंच रहा है। सभी आरोपित आगे की जांच का सूत्र खत्म करने की कोशिश कर रहे हैं और काफी कुछ खत्म कर चुके हैं। वहीं भीमा कोरेगांव हिंसा के मामले में एफआइआर करने वाले शिकायतकर्ता की ओर पेश हुए वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे ने भी तुषार मेहता का समर्थन करते हुए कहा कि आरोपितों को मजिस्ट्रेट के सामने गिरफ्तारी के खिलाफ याचिका लगानी चाहिए।
पुलिस अधिकारी को फटकार
वरिष्ठ वकील इंद्रा जयसिंह ने पुणे पुलिस की ओर से मीडिया में जानकारी लीक किए जाने पर रोक लगाने की मांग की। इसके बाद जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने पुणे पुलिस को जमकर फटकार लगाई। उन्होंने कहा कि पुणे पुलिस को इस मामले में सुप्रीम कोर्ट को गलत बताते हुए खुद सुना था।
पुणे पुलिस के असिस्टेंट कमिश्नर ने प्रेस कांफ्रेंस में कहा था कि सुप्रीम कोर्ट को याचिका स्वीकार ही नहीं करनी चाहिए थी। जस्टिस चंद्रचूड़ ने तुषार मेहता को पुलिस अधिकारी को सचेत करने की हिदायत दी।

prime article banner

Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.