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राम मंदिर के शिलान्यास से हुई नए युग की शुरुआत, अब रामराज्य के लिए चाहिए हर किसी की हिस्सेदारी

यह कहना सही नहीं होगा कि अब रामराज्य आ गया है। कई गरीबों के घर अभी भी चूल्हे एक बार ही जलते हैं। अस्पतालों में अभी भी डाक्टर नहीं हैं।

By Bhupendra SinghEdited By: Published: Wed, 05 Aug 2020 07:25 PM (IST)Updated: Wed, 05 Aug 2020 07:25 PM (IST)
राम मंदिर के शिलान्यास से हुई नए युग की शुरुआत, अब रामराज्य के लिए चाहिए हर किसी की हिस्सेदारी
राम मंदिर के शिलान्यास से हुई नए युग की शुरुआत, अब रामराज्य के लिए चाहिए हर किसी की हिस्सेदारी

प्रशांत मिश्र [ त्वरित टिप्पणी ]। सदियों के उतार-चढ़ाव, संघर्ष और जद्दोजहद के बाद आखिरकार बुधवार को लोकतांत्रिक और सौहार्दपूर्ण तरीके से राममंदिर निर्माण का कार्य प्रारंभ हो गया। यह कहा जा सकता है कि बुधवार से एक नए युग की शुरुआत हो गई जो अब हर पल रामराज्य के लिए प्रेरित करेगी और हर किसी को झकझोरेगी। हर किसी के मन को उद्वेलित करेगी कि भारत को उसकी गरिमा के अनुसार उपर उठाने के लिए उसने क्या किया, कन्याकुमारी से कश्मीर तक को एकता के सूत्र में पिरोने के लिए उसने क्या किया, समाज के हर वर्ग के विकास के लिए उसने क्या किया।

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शांतिपूर्ण और भावपूर्ण माहौल में हुआ राम मंदिर का शिलान्यास

पांच सौ साल की आस बुधवार को पूरी हुई। लंबी राजनीतिक, सांस्कृतिक लड़ाई व आंदोलन जिसमें आरोप प्रत्यारोप भी हुए, कीचड़ भी उछला और राजनीतिक छल भी हुए, लेकिन इसके बाद जिस तरह शांतिपूर्ण और भावपूर्ण माहौल में शिलान्यास हुआ वह अपने आप में इस बात को बयां करता है कि भारत अब आगे बढ़ने को तैयार है।

लोगों ने माना- भगवान राम देश के स्वाभिमान हैं, उन्हें कलंकित कर देश आगे नहीं बढ़ सकता है

जिस कांग्रेस ने कभी भगवान राम की ऐतिहासिकता को नकार दिया था वह अब यह तो मान रही है कि राम कण कण में हैं। जिस राम की धुन गाने पर कांग्रेस व कई विपक्षी ही नहीं बल्कि कुछ साथी दल भी भाजपा को अस्पृश्य घोषित करने लगे थे वह मजबूरी के कारण ही सही यह तो मान गए कि भगवान राम देश के स्वाभिमान हैं। उन्हें कलंकित कर देश आगे नहीं बढ़ सकता है। भगवान राम को केवल सांस्कृतिक विरासत मानकर नहीं छोड़ा जा सकता है बल्कि हर पल उनकी मर्यादा को ही जीवन का आधार बनाना होगा।

राम की महिमा का बखान कर प्रियंका और राहुल गांधी देर आए, लेकिन दुरुस्त आए

दो दिनों में कांग्रेस के दो नेताओं- प्रियंका और राहुल गांधी की ओर से राम की महिमा का जिस तरह बखान किया गया है उससे यही साबित होता है कि देर आए, लेकिन दुरुस्त आए। कुछ दलों व लोगों को अभी भी यह रास नहीं आ रहा है तो उनकी मानसिकता का अंदाजा लगाया जा सकता है।

पूरा देश राम को नायक मानकर चलने को दिख रहा तैयार

फिलहाल यह मानकर चलना चाहिए कि राम को अब पूरा देश अपना नायक मानकर चलने को तैयार है। हर धर्म, हर संप्रदाय, हर वर्ग। यही नए युग की शुरुआत है।

शिलान्यास के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने की रामराज्य की बात

शिलान्यास के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रामराज्य की भी बात की। पिछले दिनों में कई दलों की ओर से भी इसकी बात की जा रही है। दरअसल, वर्तमान का यही मुद्दा है।

रामराज्य: देश में सभी के साथ एक समान व्यवहार, सुरक्षा व न्याय का इंतजाम, सभी की सुध ली जाए

हमें यहीं अपने अंदर झांकना होगा। रामराज्य यानी जहां हर किसी की सुध ली जाए। रामराज्य यानी जिस देश में सभी के साथ एक समान व्यवहार हो। रामराज्य यानी जहां हर किसी की सुरक्षा व न्याय का इंतजाम हो। रामराज्य यानी जहां राजा जनता का सच्चा प्रतिनिधि हो। जाहिर है हमें अपने रामराज्य में किसी भी ऐसे धोबी की इच्छा नहीं है जिसके झूठ और भ्रम ने पूरे राज्य को दुखी कर दिया था।

तुलसीदास ने कहा था- रामकथा सुंदर कर तारी, संसय बिहग उडावनि हारी

रामराज्य के लिए जरूरी है हर कोई भ्रम और मिथ्या से बाहर निकलने की कोशिश करे। तुलसीदास ने भी भगवान की महिमा का बखान करते हुए कहा था- 'रामकथा सुंदर कर तारी, संसय बिहग उडावनि हारी।' अब जबकि राममंदिर का खुलकर स्वागत किया जा रहा है तो यह आशा की जानी चाहिए कि भगवान में सच्ची आस्था भी जगे।

प्रधानमंत्री मोदी ने छह साल के कार्यकाल में मंदिर और अनुच्छेद 370 समेत हर वादा पूरा किया

प्रधानमंत्री मोदी ने अपने छह साल के कार्यकाल में लगभग हर वह वादा पूरा किया है जो उन्होंने किया। राम मंदिर और अनुच्छेद 370 का वादा कुछ ऐसा था जिसे पूरा करना कल्पना से भी परे था, लेकिन वह भी पूरा हुआ। जम्मू-कश्मीर पहली बार पूरी तरह भारत का हुआ और वहां की जनता सभी संवैधानिक अधिकारों से परिपूर्ण हुई। गरीबी हटाओ के नारे हमेशा खोखले साबित हुए, लेकिन पिछले कुछ वर्षो में गांव के गरीबों को पहली बार अहसास हुआ कि महंगे अस्पतालों में उनका भी इलाज हो सकता है। गरीब महिलाओं की आंखों में पहली बार चूल्हे के धुएं से नहीं बल्कि गैस पाने की खुशी के आंसू दिखे।

अभी रामराज्य नहीं आया, कई गरीबों के घरों में चूल्हे एक बार ही जलते हैं

यह कहना सही नहीं होगा कि अब रामराज्य आ गया है। कई गरीबों के घर अभी भी चूल्हे एक बार ही जलते हैं। अस्पतालों में अभी भी डाक्टर नहीं हैं। कई स्थानों पर बलवान अभी भी कमजोर का उत्पीड़न करते हैं। अलग अलग विचारधाराओं से प्रेरित होकर अभी भी कई लोग सही को गलत और गलत को सही ठहराने की कोशिश करते हैं। व्यक्तिगत लाभ-हानि के लिए अभी भी कई लोग देशहित और समाजहित को भूल जाते हैं। भगवान राम की याद शायद ऐसे हर व्यक्ति, हर समाज, हर राज्य और केंद्र सरकार को सद्बुद्धि देगी।


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