याकूब तूसी बोले- जमीन बाबर की निकली तो करेंगे दान, राम मंदिर के लिए देंगे सोने की ईंट
याकूब ने कहा कि टाइटल सूट के मुताबिक यदि जमीन बाबर की निकली तो हम रामलला का मंदिर बनाने के लिए समर्थन देने को तैयार हैं।
नरसिंहपुर [नईदुनिया]। अयोध्या मामले में बाबर के वंशज याकूब हबीबुद्दीन तुस्सी ने गुरुवार को मध्य प्रदेश के नरसिंहपुर जिले के गोटेगांव में परमहंसी गंगा आश्रम जाकर शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती से मुलाकात की। इस दौरान याकूब ने विवादित जमीन के मसले पर कहा कि टाइटल सूट के मुताबिक यदि जमीन बाबर की निकली तो हम रामलला का मंदिर बनाने के लिए समर्थन देने को तैयार हैं। और जब मंदिर का निर्माण शुरू होगा तो उसमें अपनी तरफ से सोने की एक ईट भी देंगे। शंकराचार्य ने भी याकबू से हुई चर्चा के बाद कहा कि परस्पर विरोध और जो दावे हो रहे हैं, वह अब समाप्त हो जाना चाहिए।
हैदराबाद से जबलपुर होते हुए कार द्वारा परमहंसी गंगा आश्रम पहुंचे याकूब व उनके साथ कुछ संतों ने मणिद्वीप आश्रम में शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती से करीब एक घंटे मुलाकात की। दोनों के बीच अयोध्या के विवादित जमीन मसले पर विस्तार से बातचीत हुई।
याकूब ने कहा कि वह लंबे समय से शंकराचार्य से मिलना चाह रहे थे और आज सौभाग्य रहा कि हमारी मुलाकात हुई। उन्होंने कहा कि प्रेसिडेंट ऑफ इंडिया को भी हमने पत्र दिया है। अभा हिंदू महासभा, संत महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष स्वामी चक्रपाणी महाराज को भी पत्र दिया है। हम चाहते हैं इस देश में मंदिर-मस्जिद को लेकर झगड़ा समाप्त हो जाए।
निंदनीय घटना के लिए हिंदू समाज से क्षमा मांगी
याकूब ने कहा कि शाही मुगल बाबर व बहादुरशाह जफर की छठवीं पीढ़ी का वंशज होने के नाते हम बाबर के सेनापति मीरबांकी द्वारा 1528 ईस्वी में अयोध्या में हुई निंदनीय घटना पर विश्व के हिंदू समाज से क्षमा चाहते हैं।
उन्होंने सोशल मीडिया में वायरल हो रहे स्वामी चक्रपाणी के नाम से लिखे एक पत्र को सही बताते हुए कहा कि मेरे पूर्वज बाबर ने भी अपनी वसीयत में अयोध्या की घटना को कलंक बताते हुए लिखा है कि हिंदुस्तान में संत-महात्मा का इकराम करो, मंदिरों की हिफाजत करो व न्याय एक समान करो।