गुजरात के आयुर्वेद संस्थान को मिलेगा राष्ट्रीय महत्व का दर्जा, TMC और कांग्रेस ने चयन पर उठाए सवाल
तृणमूल कांग्रेस के सौगत राय ने बिल का विरोध किया और गुजरात में इस संस्थान की स्थापना की जरूरत पर भी सवाल उठाए।
नई दिल्ली, एजेंसियां। केंद्र सरकार ने गुजरात के तीन आयुर्वेद संस्थानों को मिलाकर गठित होने वाले संस्थान को राष्ट्रीय महत्व के संस्थान का दर्जा देने के लिए सोमवार को लोकसभा में एक बिल पेश किया। गुजरात के संस्थान को चुने जाने पर कांग्रेस और तृणमूल कांग्रेस ने सवाल उठाए और बिल का विरोध किया।
आयुष राज्यमंत्री ने लोकसभा में पेश किया बिल
आयुष राज्यमंत्री श्रीपद येसो नाईक ने लोकसभा में आयुर्वेद शिक्षण एवं अनुसंधान संस्थान बिल, 2020 पेश किया। इस बिल में गुजरात के जामनगर स्थित गुजरात आयुर्वेद विश्वविद्यालय परिसर में स्थित तीन आयुर्वेद संस्थानों को मिलाकर आयुर्वेद शिक्षण एवं अनुसंधान संस्थान बनाने और उसे राष्ट्रीय महत्व के संस्थान का दर्जा देने का प्रावधान किया गया है। एक साथ जोड़े जाने वाले संस्थानों में इंस्टीट्यूट ऑफ पोस्ट ग्रेजुएट टीचिंग एंड रिसर्च इन आयुर्वेद, गुलाबकुंवरबा आयुर्वेद महाविद्यालय और इंस्टीट्यूट ऑफ आयुर्वेद फॉर्मास्यूटिकल साइंस शामिल हैं।
टीएमसी के सौगत राय ने बिल का किया विरोध
तृणमूल कांग्रेस के सौगत राय ने बिल का विरोध किया और गुजरात में इस संस्थान की स्थापना की जरूरत पर भी सवाल उठाए। उन्होंने यह भी कहा कि केरल, दिल्ली, वाराणसी या बंगाल में यह संस्थान स्थापित किया जाना चाहिए था। आयुर्वेद के क्षेत्र में केरल और बंगाल का अहम योगदान है।
कांग्रेस के शशि थरूर ने भी बिल का विरोध किया और कहा कि तीन संस्थानों के चयन को लेकर सरकार पक्षपाती हो गई है। उन्होंने कहा कि यह संस्थान तिरुअनंतपुरम में क्यों नहीं स्थापित किया जा सकता है। थरूर ने इस पर भी सवाल उठाया कि राष्ट्रीय महत्व के संस्थान की कोई स्पष्ट परिभाषा भी नहीं है। बिल के विरोध पर नाईक ने कहा कि वह सदस्यों के सुझावों पर गौर करेंगे।