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Ayodhya Verdict : फैसले के स्वागत के साथ माकपा ने उठाये सवाल, कहा- न उठे दूसरे धार्मिक स्थलों का मुद्दा

अयोध्या में श्रीराम मंदिर विवाद पर भाजपा समेत संघ परिवार को लगातार निशाना साधने वाली मा‌र्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत किया है।

By Tilak RajEdited By: Published: Sat, 09 Nov 2019 06:17 PM (IST)Updated: Sat, 09 Nov 2019 06:17 PM (IST)
Ayodhya Verdict : फैसले के स्वागत के साथ माकपा ने उठाये सवाल, कहा- न उठे दूसरे धार्मिक स्थलों का मुद्दा
Ayodhya Verdict : फैसले के स्वागत के साथ माकपा ने उठाये सवाल, कहा- न उठे दूसरे धार्मिक स्थलों का मुद्दा

नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। अयोध्या में श्रीराम मंदिर विवाद पर भाजपा समेत संघ परिवार को लगातार निशाना साधने वाली मा‌र्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत किया है। पार्टी की पोलित ब्यूरो बयान जारी कर अयोध्या में ढांचा ढहाने वालों को सजा दिलाने की मांग भी दोहराई है। जारी बयान में शीर्ष अदालत के फैसले को एक ओर तो न्यायपूर्ण कहा गया है, वहीं दूसरी ओर उसके कुछ पहलुओं पर आपत्तियां व्यक्त करने की बात भी कही गई है।

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देश के बदलते राजनीतिक परिवेश के प्रतिकूल अपनी राजनीतिक विचारधारा के चलते ही वामपंथी दल राजनीति के हाशिये पर पहुंच गये हैं। कांग्रेस समेत अन्य गैर राजनीतिक दलों ने अयोध्या पर आये फैसले का स्वागत करने में देर नहीं लगाई। वामपंथी दलों में माकपा ने फैसले का स्वागत तो किया, पर कुछ किंतु-परंतु के साथ। माकपा पोलित ब्यूरो ने अपने बयान में कहा है कि अदालत की पांच जजों की खंडपीठ के शनिवार को दिये फैसले से मंदिर विवाद खत्म हो गया है, लेकिन कुछ सांप्रदायिक ताकतों ने इसी विवाद के नाम पर देशभर में खूनखराबा किया, जिसमें कई जानें गईं।

तथ्य यह है कि हिंदी भाषी राज्यों में जब मंदिर आंदोलन जोर पकड़ रहा था, उस समय वामपंथी दलों ने अलग राग अलापा। इसके चलते इस पूरी हिंदी पट्टी से वामपंथी दलों का सफाया हो गया। माकपा महासचिव सीताराम येचुरी ने अपने ट्वीट संदेश में कहा है उनकी पार्टी का मानना था कि विवाद को आपस में बातचीत से सुलझाया जाए। लेकिन नहीं सुलझ सके तो सुप्रीम कोर्ट के फैसले को माना जाना चाहिए। येचुरी का कहना है 'अदालत ने इस मामले को सुलझा तो लिया है, लेकिन इसके कुछ ऐसे पहलू हैं जिन पर सवाल उठते हैं।'

माकपा ने अपने बयान में कहा है कि अदालत के फैसले में 1992 में विवादित ढांचा के ढहाने को कानून का उल्लंघन कहा गया है, जो आपराधिक कृत्य है। यह धर्मनिरपेक्षता के सिद्धांतों पर हमला था। येचुरी ने कहा 'ढांचा ढहाने को लेकर चल रहे मुकदमे की सुनवाई तेजी से होनी चाहिए, ताकि अपराधियों को दंडित किया जा सके।' पोलित ब्यूरो के बयान में अदालत के फैसले में 1991 के धार्मिक स्थल अधिनियम के उल्लेख का हवाला देते हुए कहा गया है कि भविष्य में फिर ऐसे मामले न उठाये जाएं। इशारा काशी और मथुरा के मंदिरों की ओर है। येचुरी ने अपने ट्वीट संदेश में लोगों का आगाह किया है कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले को लेकर ऐसी कोई हरकत नहीं की जानी चाहिए, जिससे सांप्रदायिक सौहा‌र्द्र बिगड़े।


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