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Ayodhya Verdict 2019: सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला, राम की ही है जन्मभूमि, वहीं बनेगा मंदिर

सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा है कि रामलला का मुकदमा स्वीकार करने योग्य है और वे कानून की निगाह में न्यायिक व्यक्ति हैं।]

By Bhupendra SinghEdited By: Published: Sat, 09 Nov 2019 10:35 PM (IST)Updated: Sun, 10 Nov 2019 12:43 AM (IST)
Ayodhya Verdict 2019: सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला, राम की ही है जन्मभूमि, वहीं बनेगा मंदिर
Ayodhya Verdict 2019: सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला, राम की ही है जन्मभूमि, वहीं बनेगा मंदिर

माला दीक्षित, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने पांच सौ साल से चले आ रहे विवाद का पटाक्षेप करते हुए शनिवार को अपने ऐतिहासिक सर्वसम्मत फैसले में राम जन्मभूमि पर मंदिर निर्माण का रास्ता साफ कर दिया। अपनी जन्मभूमि पर मालिकाना हक का मुकदमा लड़ रहे रामलला विराजमान को जन्मभूमि मिल गई है। सुप्रीम कोर्ट ने राम जन्मभूमि का अंदरूनी और बाहरी आहाता ट्रस्ट या बोर्ड के जरिए मंदिर निर्माण के लिए देने का आदेश दिया है।

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तीन महीने में न्यास गठित करने का आदेश

तीन महीने के अंदर अयोध्या अधिग्रहण कानून 1993 की धारा 6 और 7 के तहत एक योजना बनाकर सरकार को न्यास गठित करने का आदेश है। कोर्ट ने आदेश दिया है कि जबतक संपत्ति ट्रस्ट को नहीं सौंप दी जाती तबतक संपत्ति केन्द्र के रिसीवर के ही कब्जे में रहेगी।

वैकल्पिक स्थान पर मस्जिद बनाने के लिए पांच एकड़ जमीन देने का आदेश

गैर-कानूनी ढंग से तोड़ी गई मस्जिद के बदले मुसलमानों को वैकल्पिक स्थान पर मस्जिद बनाने के लिए पांच एकड़ जमीन आवंटित करने का आदेश दिया है। सुप्रीम कोर्ट के पांच न्यायाधीशों ने सर्व सम्मति से यह फैसला सुनाया है।

पीठ ने सर्व सम्मति से इलाहाबाद हाईकोर्ट का आदेश गलत ठहराया

मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई, जस्टिस एसए बोबडे, जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस अशोक भूषण व जस्टिस एस अब्दुल नजीर की पीठ ने सर्व सम्मति से फैसला सुनाते हुए राम जन्मभूमि को तीन बराबर हिस्सों में बांटने का इलाहाबाद हाईकोर्ट का आदेश गलत ठहराया है।

सुप्रीम कोर्ट ने 1045 पृष्ठ के फैसले में कहा- हाईकोर्ट का आदेश व्यवहारिक नहीं

शनिवार को छुट्टी के दिन खचाखच भरे कोर्ट रूम में सुप्रीम कोर्ट ने 1045 पृष्ठ के अपने फैसले में कहा कि जमीन को तीन हिस्सों में बांटने का आदेश कानूनन बने रहने लायक नहीं है। यहां तक कि समाज में शांति और सौहार्द बनाए रखने के लिहाज से भी हाईकोर्ट द्वारा दिया गया समाधान व्यवहारिक नहीं है।

सुप्रीम कोर्ट ने निर्मोही अखाड़ा का मुकदमा निरस्त कर दिया

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि विवादित जमीन 1500 वर्गगज है इस जमीन को विभाजित करने से न तो पक्षकारों के हित उद्देश्य पूरे होते हैं और न ही स्थाई शांति और सद्भाव सुनिश्चित होती है। कोर्ट ने निर्मोही अखाड़ा का मुकदमा समय बाधित घोषित कर निरस्त कर दिया जबकि सुन्नी वक्फ बोर्ड का मुकदमा समय भीतर दाखिल किया गया माना है। हाईकोर्ट ने दोनों ही के मुकदमें समय बाधित घोषित कर खारिज कर दिये थे।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा- रामलला कानून की निगाह में न्यायिक व्यक्ति हैं

सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा है कि रामलला का मुकदमा स्वीकार करने योग्य है और वे कानून की निगाह में न्यायिक व्यक्ति हैं। कोर्ट ने कहा कि देवकी नंदन अग्रवाल को रामलला की ओर से मुकदमा करने का अधिकार है। कोर्ट ने कहा कि 1500 वर्गगज की विवादित भूमि रामलला के हक में डिक्री करने के साथ ही सुन्नी सेन्ट्रल वक्फ बोर्ड को मस्जिद निर्माण के लिए वैकल्पिक जमीन आवंटित करना जरूरी है। कोर्ट ने कहा कि मुसलमानों की मस्जिद गैर-कानूनी ढंग से नष्ट की गई।

हिंदू पक्ष का दावा मुस्लिम पक्ष से ज्यादा मजबूत

कोर्ट ने कहा कि संभावनाओं का संतुलन और जमीन पर कब्जे को लेकर हिंदू पक्ष का दावा सबूतों को देखते हुए मुस्लिम पक्ष से ज्यादा मजबूत है।

विशेष शक्तियों का इस्तेमाल कर मुसलमानों को दी पांच एकड़ जमीन

सुप्रीम कोर्ट ने संविधान के अनुच्छेद 142 के तहत प्राप्त विशेष शक्तियों का इस्तेमाल करते हुए मुसलमानों को वैकल्पिक स्थान पर पांच एकड़ जमीन देने का आदेश दिया है। कोर्ट ने कहा कि मुसलमानों को 22-23 दिसंबर 1949 की रात मस्जिद से बेदखल कर दिया गया और अंतत: 6 दिसंबर 1992 को मस्जिद ध्वस्त कर दी गई।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा- मुसलमानों ने कभी भी मस्जिद को त्यागा नहीं था

कोर्ट ने कहा कि मुसलमानों ने कभी भी मस्जिद को त्यागा नहीं था। फैसले में कहा कि यह कोर्ट अनुच्छेद 142 के तहत प्राप्त शक्तियों का इस्तेमाल करते हुए सुनिश्चित करेगी कि जिसके साथ गलत हुआ है, वह ठीक किया जाए। दरअसल अनुच्छेद 142 में कोर्ट को अधिकार है कि विशेष परिस्थियों में सुप्रीम कोर्ट किसी भी तरह का आदेश दे सकता है।

अगर कोर्ट मुसलमानों को नजरअंदाज कर देता तो न्याय नहीं होता

कोर्ट ने कहा कि अगर कोर्ट मुसलमानों के अधिकार को नजरअंदाज कर देता है तो न्याय नहीं होगा। मुसलमानों को मस्जिद से उस तरीके से वंचित किया गया जिस तरीके को कानून के शासन वाले धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र में नहीं अपनाया जाता। संविधान सभी धर्मो को समान मान्यता देता है। सहिष्णुता सहअस्तित्तव, और धर्मनिरपेक्षता हमारे राष्ट्र और जनता की प्रतिबद्धता है।

केंद्र या राज्य सरकार प्रमुख स्थान पर सुन्नी सेंट्रल बोर्ड को जमीन आवंटित करे

कोर्ट ने निर्देश दिया है कि या तो केंद्र सरकार अयोध्या में अधिग्रहित की गई जमीन से पांच एकड़ भूमि सुन्नी सेन्ट्रल वक्फ बोर्ड को आवंटित करे या फिर उत्तर प्रदेश सरकार अयोध्या में उचित और प्रमुख स्थान पर सुन्नी सेंट्रल बोर्ड को जमीन आवंटित करे। मुसलमानों को जमीन आवंटन में केंद्र वा राज्य आपस में परामर्श करेंगे। कोर्ट ने कहा कि सुन्नी वक्फ बोर्ड को उस आवंटित जमीन पर मस्जिद बनाने की छूट होगी।

निर्मोही अखाड़ा को ट्रस्ट में शामिल किया जाएगा

सुप्रीम कोर्ट ने वैसे तो निर्मोही अखाड़ा का मुकदमा समय बाधित बता कर खारिज कर दिया है, लेकिन साथ ही केंद्र सरकार को आदेश दिया है कि वह निर्मोही अखाड़ा को भी गठित किये जाने वाले ट्रस्ट में उचित प्रतिनिधित्व देगी।

पूजा के अधिकार को दी मान्यता

सुप्रीम कोर्ट ने गोपाल सिंह विशारद की उपासक के तौर पर विवादित स्थल पर पूजा अर्चना के मांगे गए अधिकार को मान्यता दी है। कोर्ट ने कहा है कि विवादित स्थल पर पूजा अर्चना का अधिकार होगा हालांकि यह अधिकार पूजा अर्चना के दौरान शांति और व्यवस्था बनाए रखने की संबंधित अथारिटी के नियंत्रण और निर्देश के आधीन होगा।

शिया वक्फ बोर्ड की याचिका खारिज

सुप्रीम कोर्ट ने अप्रत्याशित देरी के आधार पर शिया सेन्ट्रल वक्फ बोर्ड की 30 मार्च 1946 के फैजाबाद अदालत के फैसले के खिलाफ दाखिल याचिका खारिज कर दी। कोर्ट ने कहा कि याचिका 24964 दिन की देरी से दाखिल की गई है। कोर्ट ने कहा कि याचिका में देरी के कारण का उचित आधार भी नहीं दिया गया है इसलिए याचिका खारिज की जाती है।


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