Ayodhya Hearing: रामलला के वकील बोले- मंदिर के अवशेषों पर हुआ था विवादित ढांचे का निर्माण
Ayodhya Land Dispute Hearing अयोध्या जन्मभूमि मामले में सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में मंगलवार को प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता में सुनवाई हो रही है।
माला दीक्षित, नई दिल्ली। Ayodhya Land Dispute Hearing, अयोध्या जन्मभूमि मामले में सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में मंगलवार को प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता में सुनवाई हो रही है। इस दौरान रामलला की ओर से सीएस वैद्यनाथन ने कहा कि इलाहाबाद हाई कोर्ट ने तीन न्यायाधीशों की पीठ ने अपने फैसले में कहा कि विवादित स्थल पर मंदिर था।
वैद्यनाथन ने आगे कहा कि हाई कोर्ट के न्यायाधीश एस यू खान ने अपने फैसले में कहा था कि मंदिर के अवशेषों पर विवादित ढांचे का निर्माण किया गया। इससे पहले रामलला की ओर से वरिष्ठ वकील के परासरन ने बहस में कहा कि पूर्ण न्याय करना सुप्रीम कोर्ट के विशिष्ट क्षेत्राधिकार मे आता है।
बकरीद की छुट्टी के कारण सोमवार को कोर्ट बंद रहा। इससे पहले सुनवाई के चौथे दिन वरिष्ठ अधिवक्ता राजीव धवन ने मुस्लिम पक्षकारों की ओर से मामले में हफ्ते के पांच दिन सुनवाई पर अदालत से स्थिति स्पष्ट करने का आग्रह किया था।
राजीव धवन ने कहा था कि केस में मुझे बहुत रिसर्च करनी होगी, पढ़ना होगा। ऐसे में रोज सुनवाई पर दलीलों में रहने में असमर्थ हूं। सेजीआई रंजन गोगोई ने धवन के इस तर्क को खारिज करते हुए सप्ताह में 5 दिन सुनवाई जारी रखने का निर्देश दिया था। ऐसे में मामले की जल्द सुनवाई पूरी होकर नवंबर तक फैसला आने की उम्मीद जगी है।
सामान्य तौर पर संविधान पीठ नियमित सुनवाई के लिए तय सप्ताह में तीन दिन मंगलवार, बुधवार और गुरुवार को ही सुनवाई करती है। सुप्रीम कोर्ट में इस वक्त रामलला की पैरवी पूर्व अटार्नी जनरल के. परासरन कर रहे हैं। इसके अलावा वरिष्ट वकील सीएस वैद्यनाथन और हरीश साल्वे भी रामलला की ओर से कोर्ट में पक्ष रखेंगे।
कोर्ट की तरफ से स्थिति साफ होने से स्पष्ट हो गया है कि अयोध्या पर सुनवाई सोमवार से शुक्रवार तक पांचों दिन होगी। ऐसे में मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई के सेवानिवृत होने (17 नवंबर) तक कोर्ट के पास सुनवाई के लिए कुल 57 दिन होंगे। ऐसे में उम्मीद है कि तबतक सुनवाई पूरी होकर फैसला आ जाएगा।
इससे पहले पीठ ने निर्मोही अखाड़ा से दस्तावेज से जुड़े सबूतों पर अपना अधिकार साबित करने के लिए कहा था। पीठ ने पूछा था कि क्या आपके पास कुर्की से पहले राम जन्मभूमि के कब्जे का मौखिक या लिखित सबूत रिकॉर्ड में है। इसके जवाब में निर्मोही अखाड़ा ने कहा कि साल 1982 में एक डकैती हुई थी, इसमें रिकॉर्ड खो गए थे।
बीते दिनों रामलला विराजमान की ओर से भी राम जन्मभूमि पर मालिकाना हक का दावा पेश किया गया था। उस दौरान कहा गया कि लाखों भक्तों की अटूट आस्था और विश्वास यह साबित करने के लिए काफी है कि अयोध्या में यह स्थल भगवान राम का जन्मस्थान है। कोर्ट घोषित करे कि पूरी जन्मभूमि भगवान राम की है और भगवान रामलला को कब्जा दे दिया जाए।
मामले में मध्यस्थता विफल होने के बाद कोर्ट ने इस मामले को छह अगस्त से नियमित सुनवाई पर लगाने का आदेश देते वक्त ही कहा था कि मामले पर रोजाना सुनवाई की जाएगी और जबतक सभी पक्षों की बहस पूरी नहीं हो जाती सुनवाई जारी रहेगी। बता दें कि पीठ में न्यायाधीश एसए बोबडे, डीवाई चंद्रचूड़, अशोक भूषण एवं एस अब्दुल नजीर भी शामिल हैं।
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