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Ayodhya dispute case: हाईकोर्ट ने माना था मंदिर तोड़कर बनाई गई थी मस्जिद

जस्टिस अग्रवाल ने कहा कि हिन्दू मंदिर तोड़कर विवादित ढांचे का निर्माण किये जाने का हिन्दुओं का दावा विश्वास और भरोसे लायक है।

By Bhupendra SinghEdited By: Published: Thu, 07 Nov 2019 02:34 AM (IST)Updated: Thu, 07 Nov 2019 02:34 AM (IST)
Ayodhya dispute case: हाईकोर्ट ने माना था मंदिर तोड़कर बनाई गई थी मस्जिद
Ayodhya dispute case: हाईकोर्ट ने माना था मंदिर तोड़कर बनाई गई थी मस्जिद

माला दीक्षित, नई दिल्ली। अयोध्या राम जन्मभूमि मुकदमें में विवाद का एक मूल बिन्दु है कि क्या मंदिर तोड़कर वहां मस्जिद का निर्माण किया गया था। इस सवाल पर हाईकोर्ट का बहुमत का फैसला था कि वहां मंदिर तोड़कर मस्जिद का निर्माण हुआ था।

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तीन में से दो जजों ने कहा था कि मंदिर तोड़कर उसी जगह बनी थी मस्जिद

फैसला देने वाले तीन में से दो न्यायाधीश सुधीर अग्रवाल और धर्मवीर शर्मा इसी मत के थे। दोनों न्यायाधीशों के इस निष्कर्ष का आधार एएसआइ रिपोर्ट थी। हालांकि तीसरे न्यायाधीश एसयू खान ने इससे इन्कार करते हुए साफ कहा था कि मस्जिद बनाने के लिए कोई मंदिर नहीं तोड़ा गया था, लेकिन साथ ही उन्होंने यह भी कहा था कि मस्जिद का निर्माण लंबे समय से वहां पड़े मंदिर के भग्नावशेषों पर हुआ था और मस्जिद के निर्माण में उन अवशेषों की कुछ सामग्री का उपयोग हुआ था।

हिन्दू पक्षों की अपनी दलील

हिन्दू पक्षों ने अपनी दलील के समर्थन में ऐतिहासिक साक्ष्य, धर्मशास्त्र, सरकारी गैजेटियर और विदेशी यात्रियों के वर्णन को आधार बनाया था, लेकिन बाद में हाईकोर्ट के आदेश पर एएसआइ ने विवादित स्थल की खुदाई करके रिपोर्ट भी दे दी थी। हाईकोर्ट ने एएसआई से पता लगाने को कहा था कि क्या विवादित स्थल पर पहले कोई मंदिर था जिसे तोड़कर मस्जिद का निर्माण कराया गया था।

एएसआइ रिपोर्ट

एएसआइ ने रिपोर्ट में कहा था कि विवादित स्थल के नीचे एक विशाल संरचना मिली है जो कि उत्तर भारत के मंदिरों से मेल खाती है। उन तथ्यों के आधार पर ही जस्टिस सुधीर अग्रवाल ने अपने फैसले में कहा था कि एएसआई रिपोर्ट मे इस बात का पर्याप्त संकेत मिलता है कि विवादित ढांचे की अपनी कोई नींव नहीं थी बल्कि वह पहले से मौजूद दीवार पर खड़ा था। अगर किसी नयी इमारत के निर्माण से पहले कोई इमारत मौजूद नहीं होती तो नयी इमारत बनाने वाला यह जाने बगैर पुरानी इमारत की नींव इस्तेमाल नहीं कर सकता कि पुरानी नींव नये ढांचे का बोझ उठाने की क्षमता रखती है कि नहीं।

हिन्दुओं का दावा विश्वास और भरोसे लायक है

जस्टिस अग्रवाल ने कहा कि विवादित इमारत की फर्श ठीक पूर्व इमारत की फर्श के ऊपर थी। वहां कई खंबों के आधारों की मौजूदगी, यह सब मिलकर साबित करती हैं कि वहां पहले एक बढ़ा ढांचा मौजूद था। जस्टिस अग्रवाल ने कहा कि हिन्दू मंदिर तोड़कर विवादित ढांचे का निर्माण किये जाने का हिन्दुओं का दावा विश्वास और भरोसे लायक है। आज तक हिन्दुओं को छोड़ कर और किसी धर्म के व्यक्ति ने विवादित स्थल को भगवान राम का जन्मस्थान बताते हुए लगातार अपना दावा नहीं कायम रखा है।

इन आधारों पर निकाला निष्कर्ष

1- विवादित ढांचा खाली पड़ी, या बगैर कब्जे वाली जमीन पर नहीं बना था।

2- विवादित स्थल पर पहले से एक बड़ा ढांचा मौजूद था जो कि विवादित ढांचे से बहुत बड़ा नहीं तो भी उसके बराबर का रहा होगा।

3- नये ढांचे का निर्माण करने वाले बिल्डर को पुराने ढांचे के बारे में मालूम था। वह उसकी मजबूती, क्षमता और दीवारों के आकार से परिचित था। इसीलिए उसे बिना कोई रद्दोबदल किये हुए पुरानी दीवार का प्रयोग करने में संकोच नहीं हुआ।

4- पुराना ढांचा धार्मिक इमारत थी और वह गैर इस्लामिक इमारत थी।

5- विवादित ढांचे के निर्माण में पुरानी इमारत की ईंटे, पत्थर और खंबे इस्तेमाल किये गए थे।

6- खुदाई में प्राप्त कलाकृतियां ज्यादातर गैर इस्लामिक हैं। वे हिन्दू धार्मिक स्थलों से संबंधित है।


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