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Ayodhya Case: संविधान पीठ में आज होने वाली सुनवाई के बारे में जानिए 10 खास बातें

अयोध्या मामले में 10 जनवरी से सुप्रीम कोर्ट में शुरू होने जा रही सुनवाई पर देश के साथ पूरी दुनिया की भी निगाह है।

By Brij Bihari ChoubeyEdited By: Published: Wed, 09 Jan 2019 12:13 PM (IST)Updated: Thu, 10 Jan 2019 08:07 AM (IST)
Ayodhya Case: संविधान पीठ में आज होने वाली सुनवाई के बारे में जानिए 10 खास बातें
Ayodhya Case: संविधान पीठ में आज होने वाली सुनवाई के बारे में जानिए 10 खास बातें

नई दिल्ली (जागरण स्पेशल)। पूरे देश को अयोध्या में श्रीराम मंदिर बनाने (Ayodhya Case) की राह में आखिरी बाधा दूर होने का इंतजार है। सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों की पीठ 10 जनवरी यानी बृहस्पतिवार से इसकी सुनवाई करने जा रही है। न्यायालयों में लगभग 70 साल से अटके इस मामले में अब देश की शीर्ष अदालत सुनवाई करने जा रही है और भक्तों को पूरी उम्मीद है जल्द से जल्द इसका कोई हल निकल आएगा। Ayodhya Case की सुनवाई करने जा रही सुप्रीम कोर्ट की यह संविधान पीठ कई मामलों में खास है। आइए जानते हैं इसकी खासियतों के बारे में:

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1- सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस रंजन गोगोई इस संविधान पीठ के अध्यक्ष हैं। पांच जजों की इस पीठ में जस्टिस गोगोई के अलावा शामिल बाकी चारों जज वरिष्ठता क्रम में सबसे ऊपर हैं और वे देश के अगले चीफ जस्टिस बनने की कतार में हैं।

2- संविधान पीठ में शामिल जस्टिस एसए बोबडे 18 नवंबर, 2019 को, एनवी रमना 24 अप्रैल, 2021, जस्टिस यूयू ललित 27 अगस्त, 2022 और जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ 9 नवंबर, 2022 को चीफ जस्टिस का पद संभाल सकते हैं।

3- इस पीठ का गठन कर सुप्रीम कोर्ट ने 27 सितंबर के अपने ही फैसले को पलटा है। पिछले फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने Ayodhya Case की सुनवाई के लिए तीन जजों की बेंच गठित की थी।

4- यह संविधान पीठ इलाहाबाद हाईकोर्ट के 2010 के फैसले के खिलाफ दायर 16 याचिकाओं पर सुनवाई करेगी। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अपने फैसले में अयोध्या में 77 एकड़ विवादित भूखंड को तीन भागों में बांटने का आदेश दिया था।

5- सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस आफताब आलम और जस्टिस आरएम लोढ़ा की पीठ ने 2011 में इलाहाबाद हाईकोर्ट के इस फैसले के अनुसार 77 एकड़ जमीन को रामलला, निर्मोही अखाड़ा और सुन्नी वक्फ बोर्ड के बीच बांटने पर रोक लगा दी थी।

6- भारतीय संविधान के अनुच्छेद 145 (3) के तहत सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस को संविधान पीठ गठित करने का अधिकार है। संविधान पीठ का गठन कानून के किसी पेचीदे मसले या संविधान की व्याख्या करने के लिए किया जाता है।

7- संविधान पीठ में कम से कम पांच जज होने चाहिए। अब तक सुप्रीम कोर्ट के इतिहास में सात, नौ और 13 जजों की संविधान पीठ का भी गठन हो चुका है।

8- सबसे बड़ी 13 जजों की संविधान पीठ ने केशवानंद भारती बनाम भारतीय संघ के मामले की सुनवाई की थी। इस ऐतिहासिक फैसले के जरिए सुप्रीम कोर्ट ने संविधान के मूलभूत ढांचे में किसी प्रकार के फेरबदल पर रोक लगाई थी।

9- इस संविधान पीठ के अध्यक्ष चीफ जस्टिस एसएम सीकरी थे। उन्होंने अपने फैसले में कहा था कि संविधान में नागरिकों को प्रदत्त fundamental rights को निरस्त नहीं किया जा सकता है।

10- सुप्रीम कोर्ट के संविधान पीठ ने पिछले एक साल में आधार की अनिवार्यता, निजता के अधिकार और तीन तलाक जैसे अहम मामले में दूरगामी नजीतों वाले फैसले दिए हैं।


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