Ayodhya Case: CJI के सेवानिवृत से पहले आ सकता है राम जन्मभूमि पर फैसला
अयोध्या में राम जन्मभूमि पर मालिकाना हक के मुकदमे की सुनवाई दिवाली से पहले पूरी हो जाएगी और फैसला दिवाली के बाद नवंबर के मध्य तक आ जाएगा।
माला दीक्षित, नई दिल्ली। अयोध्या राम जन्मभूमि पर मालिकाना हक के मुकदमे का फैसला ढांचा विध्वंस के मामले में चल रहे आपराधिक मुकदमे से पहले आ सकता है। क्योंकि जमीन पर मालिकाना हक के मुकदमे की सुनवाई 18 अक्टूबर तक पूरी हो जाएगी। इतना ही नहीं, सुनवाई कर रही पीठ के अध्यक्ष मुख्य न्यायाधीश जस्टिस रंजन गोगोई 17 नवंबर को सेवानिवृत हो रहे हैं इसलिए फैसला उनकी सेवानिवृति से पहले ही आएगा।
ढांचा विध्वंस मामले की सुनवाई कर रहे विशेष जज वैसे तो 30 सितंबर को सेवानिवृत हो रहे हैं, लेकिन उनका कार्यकाल मुकदमे की सुनवाई पूरी होने तक बढ़ा दिया गया है। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट से सुनवाई पूरी होने में छह सात महीने का और समय लगने की बात कही थी।
इस स्थिति से साफ है कि अयोध्या में राम जन्मभूमि पर मालिकाना हक के मुकदमे की सुनवाई दिवाली से पहले पूरी हो जाएगी और फैसला दिवाली के बाद नवंबर के मध्य तक आ जाएगा। मामले पर रोजाना सुनवाई कर रही संविधान पीठ ने पिछले सप्ताह सभी पक्षकारों से कहा था कि सब मिलकर कोशिश करें कि सुनवाई 18 अक्टूबर तक पूरी हो जाए। कोर्ट ने यह भी कहा था कि इसके लिए अगर जरूरी हुआ तो कोर्ट एक घंटे ज्यादा सुनवाई कर लेगा या शनिवार को सुनवाई की जा सकती है।
अभी तक इस मामले में 28 दिन की सुनवाई पूरी हो चुकी है और 18 अक्टूबर तक कोर्ट के पास 14 कार्यदिवस का समय सुनवाई के लिए बचा है। सुनवाई पूरी होने के बाद फैसले के लिए कोर्ट के पास लगभग एक माह का समय बचेगा।
दूसरी तरफ अगर 6 अगस्त 1992 को अयोध्या में हुए ढांचा विध्वंस के मामले में कारसेवकों व नेताओं पर चल रहे आपराधिक मुकदमें की प्रगति पर निगाह डाली जाए तो सुप्रीम कोर्ट ने 19 अप्रैल 2017 को भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, उमा भारती सहित भाजपा और वीएचपी के 14 नेताओं पर अयोध्या में ढांचा ढहाने की साजिश का मुकदमा चलाने का आदेश दिया था। साथ ही इन नेताओं के खिलाफ रायबरेली की अदालत में चल रहा मुकदमा अयोध्या प्रकरण की सुनवाई कर रही लखनऊ की विशेष अदालत में ट्रांसफर कर दिया था जहां पहले से कारसेवकों पर ढांचा ढहने का मुकदमा लंबित था।
कोर्ट ने विशेष जज को आदेश दिया था कि मुकदमें की रोजाना सुनवाई कर दो साल में फैसला दे दिया जाए। हालांकि उस वक्त मामले में आरोपी राजस्थान के तत्कालीन राज्यपाल कल्याण सिंह को संवैधानिक पद पर होने के कारण छूट मिल गई थी। लेकिन कोर्ट ने साफ किया था कि उनके पद से हटने के बाद उन पर आरोप निर्धारित होंगे और मुकदमा चलेगा। अब कल्याण सिंह राज्यपाल पद से हट गए हैं ऐसे में विशेष जज ने उन्हें सम्मन जारी कर 27 सितंबर को पेश होने का आदेश दिया है।