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लोकपाल की नियुक्ति को लेकर समाजसेवी अन्ना हजारे 30 जनवरी से करेंगे अनशन

नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार द्वारा केंद्र में लोकपाल की नियुक्ति में देरी के खिलाफ इस बार हजारे महाराष्ट्र स्थित अपने गांव रालेगण सिद्धि में 30 जनवरी से अनशन पर बैठेंगे।

By Manish NegiEdited By: Published: Sat, 19 Jan 2019 10:16 PM (IST)Updated: Sun, 20 Jan 2019 01:03 AM (IST)
लोकपाल की नियुक्ति को लेकर समाजसेवी अन्ना हजारे 30 जनवरी से करेंगे अनशन
लोकपाल की नियुक्ति को लेकर समाजसेवी अन्ना हजारे 30 जनवरी से करेंगे अनशन

हैदराबाद, प्रेट्र। वरिष्ठ समाजसेवी अन्ना हजारे एक बार फिर लोकपाल और लोकायुक्त की नियुक्ति को लेकर अनशन करेंगे। नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार द्वारा केंद्र में लोकपाल की नियुक्ति में देरी के खिलाफ इस बार हजारे महाराष्ट्र स्थित अपने गांव रालेगण सिद्धि में 30 जनवरी से अनशन पर बैठेंगे।

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तेलंगाना जागृति इंटरनेशनल यूथ लीडरशिप कांफ्रेंस में बतौर मुख्य अतिथि हिस्सा लेने आए हजारे ने यह बात मीडिया से बात करते हुए कही। उन्होंने आरोप लगाया कि मोदी सरकार लोकपाल और लोकायुक्त कानून-2013 के संबंध संवैधानिक संस्थानों के निर्णय पर ध्यान नहीं दे रही है। यह एक तरह से देश को तानाशाही की तरफ ले जाने का संकेत है। हजारे ने कहा कि 2011 में पूरा देश केंद्र में लोकपाल और राज्यों में लोकायुक्त की नियुक्ति के लिए उठ खड़ा हुआ था, जिसके बाद लोकपाल बिल पास हुआ था। उन्होंने कहा कि इस संबंध में दिसंबर 2013 को कानून बना था जबकि मोदी जी की सरकार 2014 में आई। यह माना गया था कि मोदी लोकपाल की नियुक्ति करके लोकपाल बिल को कार्यान्वित करेंगे और देश को भ्रष्टाचार से निजात दिलाएंगे, लेकिन ऐसा नहीं हुआ।

हजारे ने कहा कि वह 2014 में आए थे। उन्हें सिर्फ कानून लागू करना था, लेकिन पांच साल पूरे होने को हैं लेकिन छोटे-मोटे कारणों के चलते लोकपाल नियुक्ति में देरी होती चली गई। हजारे ने इसे बहानेबाजी बताते हुए कहा कि इस संबंध में उन्होंने प्रधानमंत्री को 32 पत्र लिखे, लेकिन किसी का जवाब नहीं आया। यही वजह है कि अब मैंने महात्मा गांधी की पुण्यतिथि 30 जनवरी से अपने गांव रालेगण सिद्धि में अनशन करने का फैसला लिया है।

युवाओं से गांधी के सिद्धांतों पर चलने की अपील

अन्ना हजारे ने युवाओं से राष्ट्रपति महात्मा गांधी के सिद्धांतों पर चलने को कहा। हजारे ने कहा कि युवा उनके विचारों को अपनाएं और अपना जीवन समाज के विकास में समर्पित करें। उन्होंने कहा, 'जब मैं 25 साल का था तो मेरे मन में आत्महत्या का विचार आया था। हालांकि महात्मा गांधी और स्वामी विवेकानंद को पढ़ने और उनके मूल्यों और विचारों को आत्मसात करने के बाद मैंने यह विचार त्याग दिया और अपना जीवन समाज के बेहतरी के लिए समर्पित कर दिया।'


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