कांग्रेस विधायक के फर्जी हस्ताक्षर से मध्य प्रदेश विधानसभा में लगाया गया नोटिस, FIR भी हुई दर्ज
ज्ञात हो कि विधायक घनश्याम सिंह के फर्जी हस्ताक्षर कर दतिया जिले की शासकीय भूमि पर अतिक्रमण से संबंधित ध्यानाकर्षण सूचना दायर की गई थी।
भोपाल, जेएनएन। मध्य प्रदेश विधानसभा में दतिया जिले के सेंवढ़ा विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस विधायक घनश्याम सिंह के फर्जी हस्ताक्षर कर उनके नाम से ध्यानाकर्षण सूचना (नोटिस) लगाए जाने के 14 माह पुराने मामले में पुलिस ने एफआइआर दर्ज की है। शनिवार रात भोपाल के अरेरा हिल्स थाने में इस मामले में अज्ञात आरोपित के खिलाफ केस दर्ज किया गया। बहरहाल इस मामले से विस में ध्यानाकर्षण सूचना की प्रक्रिया सवालों के घेरे में आ गई है।
ज्ञात हो कि विधायक घनश्याम सिंह के फर्जी हस्ताक्षर कर दतिया जिले की शासकीय भूमि पर अतिक्रमण से संबंधित ध्यानाकर्षण सूचना दायर की गई थी। 14 माह पहले विधायक को इसकी भनक लगी थी, जिसके बाद उन्होंने विधानसभा सचिव को जुलाई 2019 में लिखित शिकायत की थी। शिकायत की पहले विधानसभा अधिकारियों ने अपने स्तर पर जांच की। इसके बाद भोपाल पुलिस के अधिकारियों को पत्र लिखा था। पड़ताल के बाद अब एफआइआर दर्ज की गई।
भाषा अशोभनीय थी : एएसपी
भोपाल के एएसपी रजत सकलेचा के अनुसार विधानसभा सचिवालय की ओर से एक पत्र आया था। इसमें कांग्रेस विधायक घनश्याम सिंह के नाम से अज्ञात आरोपित ने विधानसभा में ध्यानाकर्षण सूचना का फार्म भरकर जमा किया था, उसमें विधायक के फर्जी हस्ताक्षर किए थे। सूचना में जिस भाषा का उल्लेख था, वह भी अशोभनीय थी।
दतिया प्रशासन ने प्रश्न का जवाब तैयार कर लिया था
विधायक घनश्याम सिंह ने बताया कि उन्हें जुलाई 2019 में मामले की जानकारी लगी थी। यह ध्यानाकर्षण सूचना दतिया जिले के सिविल लाइन थाने के सामने शासकीय भूमि पर अतिक्रमण को लेकर था। इसमें सिल्लम साहू और बबलू यादव पर शासकीय भूमि पर अतिक्रमण करने का आरोप लगाया था। दतिया प्रशासन ने प्रश्न का जवाब तैयार कर लिया था, तब विभाग के एक अधिकारी ने मुझे यह जानकारी दी। मैंने जब सूचना के दस्तावेज देखे तो उस पत्र की भाषा मेरी नहीं थी और हस्ताक्षर भी मेरे नहीं थे। इसके बाद विधानसभा में शिकायत की। फरवरी-2020 में विधानसभा के अफसर ने बताया कि जांच पूरी हो गई है। इसके बाद मैंने ही इस मामले को पुलिस को सौंपने को कहा था।
कोई भी व्यक्ति विधायक प्रतिनिधि बन दे सकता है ध्यानाकर्षण सूचना
-विस में विधायक लिखित प्रश्न, ध्यानाकर्षण सूचना, स्थगन प्रस्ताव और अन्य माध्यम से विभिन्ना विषयों को
उठाते हैं।
-लिखित प्रश्न करने की सख्त व्यवस्था है, लेकिन तात्कालिक मुद्दे उठाने की ध्यानाकर्षण सूचना की प्रक्रिया में
अनधिकृत व्यक्ति को रोकने की कोई ठोस व्यवस्था नहीं है।
-कोई भी बाहरी व्यक्ति विधायक के लेटरहेड या अन्य पहचान के दस्तावेज जुटाकर ध्यानाकर्षण सूचना पेश कर फर्जीवाड़ा कर सकता है।
पहले एक विधायक के पीए ने पूछा था लिखित सवाल, मामला कोर्ट में विचाराधीन
बताया जाता है कि मप्र की 13वीं विधानसभा में एक बार विधायक के पीए द्वारा दूसरे विधायक के नाम से आवंटित लिखित प्रश्न के प्रारूप में सवाल भरकर विधानसभा सचिवालय में जमा कर दिया गया था। उस मामले की जांच हुई तो विधानसभा सचिवालय ने पुलिस में एफआइआर दर्ज कराई थी। वह मामला अभी अदालत में विचाराधीन है।
यह है ध्यानाकर्षण सूचना की प्रक्रिया
-ध्यानाकर्षण सूचना को विधानसभा सचिवालय में देने का कोई प्रारूप नहीं होता है।
-किसी सत्र में विधायक तात्कालिक विषयों को उठाने के लिए दो ध्यानाकर्षण सूचना दे सकता है।
-विधायक इन्हें ईमेल से भेज सकता है या फिर अपने प्रतिनिधि के माध्यम से भी विधानसभा सचिवालय में जमा करा सकता है।
-जब विधानसभा की बैठकें होती हैं, तब विधायक प्रत्यक्ष रूप से इसे जमा करते हैं। इनकी प्राप्ति की कोई रसीद नहीं दी जाती है
मध्य प्रदेश विधानसभा के प्रमुख एपी सिंह ने बताया कि सचिव फर्जी हस्ताक्षर की ध्यानाकर्षण सूचना को लेकर पिछले साल ही पुलिस में शिकायत कर दी थी। वह ध्यानाकर्षण सूचना अग्राह्य भी हो गई थी। ध्यानाकर्षण सूचनाओं के ऑनलाइन लेने की प्रक्रिया शुरू हो रही है। अभी ईमेल से भी ध्यानाकर्षण सूचना स्वीकार की जाती हैं।