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खुद को नास्तिक कहने वाले कामरेडों ने बदला अपना चोला, अब भगवान की शरण में जाएंगे

धार्मिक कट्टरता व बदली राजनीतिक परिस्थिति से मुकाबले कि लिए कामरेडों को भी धर्मस्थलों से जुड़ना होगा।

By Bhupendra SinghEdited By: Published: Fri, 21 Feb 2020 10:45 PM (IST)Updated: Fri, 21 Feb 2020 10:45 PM (IST)
खुद को नास्तिक कहने वाले कामरेडों ने बदला अपना चोला, अब भगवान की शरण में जाएंगे
खुद को नास्तिक कहने वाले कामरेडों ने बदला अपना चोला, अब भगवान की शरण में जाएंगे

राज्य ब्यूरो, कोलकाता। इसे कहते हैं समय का चक्र। लाल सलाम कर खुद को नास्तिक बताने वाले बंगाल के माकपा नेता जो मंदिर में जाने वाले अपने ही साथी को भलाबुरा कहते थे। उन्हें कारण बताओ नोटिस जारी करते थे। आज वही अब भगवान के दर पर जाने की बात कर रहे हैं। बंगाल के कामरेडों की वह बातें भला कौन भूल सकता है जब कद्दावर माकपा नेता सुभाष चक्रवर्ती बंगाल के परिवहन मंत्री रहते हुए वीरभूम जिले स्थित मां काली तारा मां (तारापीठ) के मंदिर में गए थे तो माकपा के भीतर हंगामा खड़ा हो गया था। उन्हें स्पष्टीकरण तक देनी पड़ा था।

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कामरेड भी आस्तिक बनने की राह पर

आज सत्ता से बाहर होने के 9 वर्ष बाद अब कामरेड भी आस्तिक बनने की राह पर आगे बढ़ रहे हैं। तर्क यह दे रहे हैं कि धार्मिक कट्टरता व बदली राजनीतिक परिस्थिति से मुकाबले कि लिए कामरेडों को भी धर्मस्थलों से जुड़ना होगा।

धर्मस्थानों से दूर होने से पार्टी को नुकसान

खबर है कि माकपा को अपनी आंतरिक समीक्षा रिपोर्ट से पता चला है कि नास्तिक होने व धर्मस्थानों से दूर होने की वजह से पार्टी को नुकसान हो रहा है। इसका लाभ राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और उनके जैसे अन्य संगठन उठा रहे हैं। इसीलिए अब धर्मनिरेपक्ष की नीति पर चलने वाले कामरेड भी ऐसे मंदिरों व अन्य धर्म स्थानों के प्रबंधन में अपनी भूमिका निभाना होगा, ताकि कट्टरपंथी ताकतों को दूर किया जा सके। यहां तक कि माकपा पोलित ब्यूरो सदस्य भी इस मुद्दे पर खुल कर बातें कर रहे हैं। कुछ नेता तो खुल कर यह कहने लगे हैं कि भगवान के दर पर जाने से लोगों के बीच पैठ बढे़गी और यह पार्टी विचारधारा के खिलाफ भी नहीं होगा।

पूजा पाठ सभी धर्मस्थलों पर होगा लागू

माकपा पोलित ब्यूरो के मोहम्मद सलीम जैसे सदस्य भी अब कहने लगे हैं कि हमलोग कभी भी सीधे तौर पर किसी धार्मिक व्यवस्था से जुड़े नहीं रहे हैं, लेकिन तोड़ने वाली और तानाशाही ताकतें अपनी सांप्रदायिक एजेंडा के लिए धर्मस्थलों का इस्तेमाल कर रहे हैं। अब तक माकपा में किसी सदस्य को किसी पूजा या मंदिर समिति का हिस्सा बनने की इजाजत नहीं थी, लेकिन अब इन समितियों में धर्मनिरपेक्ष लोगों की जरूरत दिखने लगी है। सलीम के अनुसार हम उन्हें (संघ) जैसे संगठनों को छूट नहीं दे सकते। एकतरफा नहीं होना चाहिए। यही वजह है कि केरल और दूसरे राज्यों में हमलोगों ने धर्मनिरपेक्ष सिद्धांतों को पूजा पाठ वाले स्थानों पर बढ़ावा देने पर जोर दिया है। यह केवल मंदिरों के लिए नहीं बल्कि मस्जिदों, गुरुद्वारों, चर्च और अन्य धर्म स्थानों पर भी लागू होगा।

भाजपा से लड़ने के लिए जरूरी

कई माकपा नेता भी मान रहे हैं कि भाजपा व अन्य संगठनों से लड़ने के लिए यह जरूरी है। माकपा नेताओं का कहना है कि हम नास्तिक लोग हैं लेकिन हमने कभी नहीं कहा कि दूसरे लोग अपनी आस्था पर भरोसा न करें। माकपा दशकों से धार्मिक आयोजनों में किताबों का स्टॉल और मेडिकल कैंप लगाता आ रहा है यह पहली बार होगा जब पार्टी ने हिंदुत्व से मुकाबला के लिए मंदिर प्रांगण में 'किताबों की स्थाई दुकानें, मेडिकल सेंटर, पानी की सुविधा' की बातें करने लगी है।


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