अटल बिहारी वाजपेयी ने रखी थी देश में आधुनिक बुनियादी ढांचे की नींव
अटल बिहारी वाजपेयी ने प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना के जरिए देश के हर गांव को बारहमासी सड़कों से जोड़ने की शुरुआत की।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। अटल बिहारी वाजपेयी ने बतौर प्रधानमंत्री भारत को बुनियादी ढांचे के लिहाज से विश्व के अग्रणी देशों की कतार में खड़ा करने का प्रयास किया। उन्होंने न केवल पूरे देश में आधुनिक सड़कों का जाल बिछाया, बल्कि सुदूर पर्वतीय क्षेत्रों को रेल नेटवर्क से जोड़ने के लिए साहसिक निर्णय लिए। अटल के कार्यकाल में ही भारत में मोबाइल क्रांति का सूत्रपात हुआ। साथ विमानन क्षेत्र को विदेशी कंपनियों के लिए खोलकर इसके विकास व विस्तार की आधारशिला रखी गई।
सड़क, रेल, दूरसंचार और विमानन क्षेत्र में लिए थे साहसिक, दूरदर्शी फैसले
सड़क: वाजपेयी का सबसे बड़ा योगदान सड़क क्षेत्र में दिखाई देता है। उन्होंने प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना के जरिए देश के हर गांव को बारहमासी सड़कों से जोड़ने की शुरुआत की। वहीं स्वर्णिम चतुर्भुज परियोजना के तहत दिल्ली, मुंबई, कोलकाता एवं चेन्नई के बीच चार लेन राष्ट्रीय राजमार्गो का जाल बिछाने की अभिनव पहल की। इससे देश के लोगों को अहसास हुआ कि अर्थव्यवस्था के विकास में अच्छी सड़कें कितनी जरूरी हैं।
यह पहला मौका था जब देश में रोजाना 11 किलोमीटर की दर से चार लेन सड़कें बनाई जा रही थी। अटल जी यही नहीं रुके। स्वर्णिम चतुर्भुज के बाद ने उन्होंने उत्तर-दक्षिण और पूर्व-पश्चिम गलियारों के रूप में कश्मीर को कन्याकुमारी और सौराष्ट्र से सिलचर को जोड़ने का एलान कर पूरे अभियान को राष्ट्रीय राजमार्ग विकास कार्यक्रम नाम दे दिया। बाद की सरकारें येन-केन उन्हीं कार्यो को आगे बढ़ा रही हैं।
रेल: वाजपेयी सरकार से पहले देश के उत्तर और पूर्वोत्तर में अनेक महत्वपूर्ण भूभाग रेलवे नेटवर्क से अछूते थे। इनके लिए योजनाओं का एलान तो होता था, लेकिन पूरा करने की इच्छाशक्ति नहीं दिखाई देती थी। वाजपेयी जी ने असम व कश्मीर घाटी से जुड़ी कई रेल परियोजनाओं को राष्ट्रीय परियोजनाएं घोषित कर समयबद्ध कार्यक्रम सुनिश्चित कर दिया। कश्मीर की जम्मू-ऊधमपुर-श्रीनगर-बारामूला, ब्रह्मपुत्र पर बोगीबील रेल-सह-सड़क पुल तथा लमडिंग-सिल्चर रेलवे लाइन के कामों में इसी के बाद तेजी आई।
दूरसंचार: वाजपेयी सरकार के वक्त लाई गई नई दूरसंचार नीति से देश में दूरसंचार क्रांति का सूत्रपात हुआ। पहली बार दूरसंचार कंपनियों से फिक्स लाइसेंस शुल्क के बजाय राजस्व हिस्सेदारी आधारित शुल्क लेने की व्यवस्था बनी। नीति निर्माण और सेवा प्रदायन को अलग कर भारत संचार निगम लिमिटेड (बीएसएनएल) की स्थापना की गई। विवादों के निष्पक्ष समाधान के लिए दूरसंचार विवाद समाधान अपीलीय ट्रिब्यूनल का गठन हुआ। अंतरराष्ट्रीय टेलीफोनी में विदेश संचार निगम का एकाधिकार समाप्त कर दिया गया।
उड्डयन: वह वाजपेयी सरकार ही थी जिसने 2000 में पहली बार एयर इंडिया के विनिवेश का साहसिक निर्णय लिया था। यह अलग बात है कि विरोध और विवादों के चलते विनिवेश हो नहीं सका। लेकिन इसके बावजूद वाजपेयी सरकार द्वारा लाई गई 'ओपेन स्काई' नीति ने भारतीय विमानन क्षेत्र के विकास और विस्तार की आधारशिला अवश्य रख दी थी। साथ ही पहली बार निजी घरेलू एयरलाइनों को दक्षेस देशों की उड़ाने भरने की अनुमति मिली थी।