ऐसा था अटल बिहारी वाजपेयी का हिंदुत्व, विपक्ष में भी हैं उनके प्रशंसक
पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी जब दसवीं कक्षा में थे तब उन्होंने एक कविता लिखी थी। जिसके शब्द कुछ इस प्रकार थे...
नई दिल्ली, [जागरण स्पेशल]। हिंदुत्व को लेकर आज देश में खूब राजनीति होती है। भारतीय जनता पार्टी को हिंदुत्ववादी पार्टी माना जाता है। पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी भी इस पार्टी के सदस्य रहे। लेकिन उनके हिंदुत्व को लेकर लोगों में वैसा भाव नहीं रहा, जैसे भाजपा के अन्य नेताओं या मौजूदा नेताओं के हिंदुत्व को लेकर दिखता है। चलिए समझते हैं कैसा था अटल का हिंदुत्व...
पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी जब दसवीं कक्षा में थे तब उन्होंने एक कविता लिखी थी। जिसके शब्द कुछ इस प्रकार थे...
हिन्दु तन मन
हिन्दु जीवन रग रग
हिन्दु मेरा परिचय
उन्होंने एक बार पुणे में भाषण देते हुए हिंदुत्व के बारे कहा था- "मैं हिन्दू हूं, ये मैं कैसे भूल सकता हूं? किसी को भूलना भी नहीं चाहिए। मेरा हिंदुत्व सीमित नहीं हैं। संकुचित नहीं हैं मेरा हिंदुत्व हरिजन के लिए मंदिर के दरवाजे बंद नहीं कर सकता है। मेरा हिन्दुत्त्व अंतरजातीय, अंतरप्रांतीय और अंतरराष्ट्रीय विवाहों का विरोध नहीं करता है। हिंदुत्व सचमुच बहुत विशाल है।"
हिन्दू धर्म पर एक निबंध में उन्होंने लिखा, "हिन्दू धर्म के प्रति मेरे आकर्षण का मुख्य कारण है कि यह मानव का सर्वोत्कृष्ट धर्म है। हिंदू धर्म न तो किसी एक पुस्तक से जुड़ा है और न ही किसी एक धर्म प्रवर्तक से जुड़ा है, जो कालगति के संग असंगत हो जाते हैं। हिन्दू धर्म का स्वरूप हिन्दू समाज द्वारा निर्मित होता है और यही कारण है कि यह धर्म युग-युगांतर से संवर्धित और पुष्पित होता जा रहा है।"