नागरिकता कानून के खिलाफ असम आंदोलन ने पार्टियों की बढ़ाई सियासी दिक्कत
भाजपा की सहयोगी एजीपी ने अपनी पार्टी में खुला विद्रोह को देखते हुए अब इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में जाने का ऐलान किया है।
संजय मिश्र, गुवाहाटी। नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ असम में जारी आंदोलन ने यहां के राजनीतिक दलों को बड़ी सियासी दुविधा में डाल दिया है। कानून का समर्थन कर रही भाजपा जन आंदोलन के तेवर और कलेवर से रक्षात्मक होती दिख रही है तो उसकी सहयोगी असम गण परिषद ने यू टर्न लेते हुए इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जाने का फैसला किया है। जबकि कांग्रेस नागरिकता कानून का विरोध के बावजूद सड़क पर उतरने से परहेज कर रही है। कांग्रेस के रुख से साफ है कि आंदोलन में कूदने से पहले राजनीतिक नफा नुकसान का आकलन का इंतजार करना चाहती है।
गृहमंत्री के आरोप गलत, जनता खुद सड़क पर उतर गई- कांग्रेस
आंदोलन में कूदने से कांग्रेस इसलिए भी बच रही है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह ने यहां हुए हिंसक आंदोलन के पीछे कांगेस का हाथ होने का आरोप लगा रहे हैं। असम विधान सभा में नेता विपक्ष देवब्रत सैकिया ने 'दैनिक जागरण' से बातचीत में कहा कि गृहमंत्री के आरोप गलत है क्योंकि जनता खुद सड़क पर उतर गई है।
हर आंदोलन को राजनीति की आंख से नहीं देखना चाहिए- कांग्रेस
कांग्रेस 2016 से ही कैब का विरोध कर रही थी और अब भी हम इसका विरोध कर रहे हैं। इसलिए हर आंदोलन को राजनीति की आंख से नहीं देखना चाहिए। वैसे स्थानीय विशेषज्ञों का यह भी कहना है कि कांग्रेस आंदोलन में इसलिए नहीं उतर रही है कि पूर्व में बांग्लादेशियों के साथ बरती गई उसकी नरमी को लोग भूले नहीं है।
लोगों की उत्तेजना के चलते भाजपा अपना रुख बताने से परहेज कर रही
जबकि कानून के किलाफ असम में विरोध की सबसे बड़ी चुनौती सत्ताधारी भाजपी रूबरू हो रही है। मगर में असम की भाजपा सरकार बेशक नागरिकता संशोधन कानून के पक्ष में तर्क देते हुए इसके खिलाफ आंदोलन को दुष्प्रचार बता रही है, मगर लोगों की उत्तेजना के चलते भाजपा नेता लोगों के बीच अपना रुख बताने से परहेज कर रहे हैं।
भाजपा ने अपनाई रणनीतिक संयम की नीति
सीएम सर्बानंद सोनोवाल की अध्यक्षता में शनिवार देर रात भाजपा के सभी वरिष्ठ नेताओं और विधायकों की बैठक में इस दुष्प्रचार के खिलाफ रविवार से अभियान चलाने का फैसला हुआ, लेकिन रविवार को मुख्यमंत्री के अखबार में प्रकाशित संदेश के अलावा भाजपा की जमीनी सक्रियता गुवाहाटी या असम के दूसरे हिस्से में नहीं दिखी। स्थानीय भाजपा नेताओं ने अनौपचारिक चर्चा में कहा कि लोगों का गुस्सा अभी इतना तेज है कि ज्यादा सक्रियता दिखाना ठीक नहीं है। आंदोलनकारियों के दबाव के चलते भाजपा के कई जिलों के स्थानीय नेताओं को इस्तीफा देने के लिए विवश किया गया है। इसीलिए भाजपा ने रणनीतिक संयम की नीति अपनाई है। केवल मुख्यमंत्री सोनोवाल, वरिष्ठ नेता हेमंत बिस्वशर्मा और प्रदेश भाजपा अध्यक्ष ही बयान देने के लिए अधिकृत हैं।
एजीपी ने नागरिकता कानून के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जाने का किया ऐलान
संसद में नागरिकता संशोधन विधेयक के पक्ष में वोट डालने वाली एजीपी ने अपनी पार्टी में खुला विद्रोह को देखते हुए अब इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में जाने का ऐलान किया है। एजीपी के वरिष्ठ नेता पूर्व मुख्यमंत्री प्रफुल्ल कुमार महंथा ने कहा है कि यह कानून असम समझौते को नष्ट कर रहा है। इसलिए यह अस्वीकार्य है। बदरुद्दीन अजमल की पार्टी एआईयूडीएफ ने भी कानून के खिलाफत का मोर्चा खोल दिया है, लेकिन मैदान में उतरने से बच रही है। केवल वामपंथी दलों का मोर्चा ही सीधे आंदोलन में उतर कर विरोध प्रदर्शन में साथ दे रहा है।