AIIB में प्रधानमंत्री के भाषण पर एशिया की नजर
एशियन इंफ्रास्ट्रक्चर इंवेस्टमेंट बैंक (एआइआइबी) की 25-26 जून को होने वाली तीसरी बैठक का उद्घाटन मंगलवार को मुंबई में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी करेंगे।
मुंबई [ओमप्रकाश तिवारी]। एशियन इंफ्रास्ट्रक्चर इंवेस्टमेंट बैंक (एआइआइबी) की 25-26 जून को होने वाली तीसरी बैठक का उद्घाटन मंगलवार को मुंबई में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी करेंगे। भारत में पहली बार होने जा रही इस बैठक में मोदी के संबोधन पर संपूर्ण एशिया की नजरें लगी हैं।
दो साल पहले चीन की अगुवाई में इस बैंक की स्थापना विशेषकर एशियाई देशों के बुनियादी ढांचे को मजबूत करने के लिए की गई है। चूंकि भारत एशिया के कई छोटे देशों की उम्मीद बनकर उभर रहा है, इसलिए पूरे क्षेत्र की नजर बैठक में भारतीय प्रधानमंत्री के भाषण पर है।
बैठक का आयोजन एआइआइबी एवं केंद्र सरकार के आर्थिक मामलों का विभाग संयुक्त रूप से कर रहा है। हालांकि बैठक की शुरुआत सोमवार को ही हो जाएगी, लेकिन मंगलवार को प्रधानमंत्री के संबोधन वाले सत्र को उद्घाटन सत्र का नाम दिया गया है।
वित्त मंत्रालय द्वारा जारी एक बयान के अनुसार इस बैठक की थीम 'आधारभूत संरचना के लिए धन जुटाना: नवाचार एवं तालमेल' रखी गई है। रविवार को मुंबई में आर्थिक मामलों के विभाग के सचिव सुभाषचंद्र गर्ग ने बताया कि इस बैंक की अगुवाई भले चीन कर रहा हो, लेकिन 8.7 फीसद अंशधारिता के साथ भारत इसमें दूसरे नंबर का बड़ा हिस्सेदार और 1.214 अरब डॉलर की स्वीकृति के साथ इससे कर्ज पानेवाला सबसे बड़ा देश बन चुका है।
भारत को एआईआईबी से मिले कर्ज का इस्तेमाल फिलहाल मध्य प्रदेश, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश एवं गुजरात सहित कुछ अन्य राज्यों में बुनियादी ढांचों के सुधार के लिए किया जाना है। एआइआइबी से लिए गए कर्ज के बड़े हिस्से का निवेश सड़कों और मेट्रो रेल के निर्माण के साथ-साथ ऊर्जा परियोजनाओं में किया जाना है।
माना जाता है कि एआइआइबी की स्थापना विश्व बैंक एवं अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आइएमएफ) के मुकाबले में की गई है, क्योंकि इन दोनों वैश्विक आर्थिक संस्थानों का ज्यादा लाभ अब तक मुख्य रूप से पश्चिमी देश ही उठाते रहे हैं। कहा तो यह भी जाता है कि अमेरिका एवं अन्य पश्चिमी देशों ने विश्व बैंक एवं आइएमएफ का इस्तेमाल दुनिया में अपने लिए बाजार तैयार करने के मकसद से किया।
गौरतलब है कि आइएमएफ एवं विश्व बैंक के जरिये लिए जानेवाले फैसलों में वीटो का अधिकार अभी भी अमेरिका के पास ही है। एआइआइबी की स्थापना के वक्त आर्थिक जानकारों के मन में यह आशंका थी कि कहीं एआइआइबी एवं ब्रिक्स बैंक में ऐसा ही वर्चस्व चीन का न हो जाए। रविवार को इस आशंका का निवारण करते हुए एआइआइबी के उपाध्यक्ष एवं कॉरपोरेट सचिव सर डैनी एलेक्जेंडर ने कहा कि यह एक अंतरराष्ट्रीय बैंक है और इसके अपने नियम हैं। इन नियमों के अनुसार ही सदस्य देशों को इसका लाभ मिलेगा।
एआइआइबी ने मंजूर किया एनआइआइएफ में निवेश
एआइआइबी ने मुंबई बैठक की पूर्वसंध्या पर नेशनल इन्फ्रास्ट्रक्चर इंवेस्टमेंट फंड (एनआइआइएफ) में 20 करोड़ डॉलर (1,340 करोड़ रुपये) के निवेश को मंजूरी दे दी है। वित्त मंत्रालय के एक अधिकारी ने रविवार को कहा कि यह निवेश 10-10 करोड़ डॉलर के दो किस्तों में किया जाएगा।
कार्यवाहक वित्त मंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि एआइआइबी ने एनआइआइएफ में निवेश का अनुमोदन कर दिया है और 10 करोड़ डॉलर की पहली किस्त को रविवार को मंजूरी मिल गई है। जरूरत होने पर दूसरी किस्त भी जारी कर दी जाएगी।
वहीं, गोयल ने चीन की वन बेल्ट वन रोड (ओबीओआर) परियोजना को एआइआइबी से वित्तीय मदद की संभावनाओं पर सरकार का रुख जाहिर करने से इन्कार कर दिया। उन्होंने कहा, 'कर्ज अनुमोदन के मामले सभी पक्षों के हितों को ध्यान में रखते हुए निदेशक बोर्ड की बैठक में तय किए जाते हैं। हम निदेशक बोर्ड के बाहर इन मामलों पर अपना पक्ष नहीं रखते।'