Move to Jagran APP

गुजरात में राज्यसभा का दंगल फिर रोमांचक, अशोक गहलोत होंगे कांग्रेस उम्मीदवार?

मार्च में राज्यसभा की 58 सीटों के लिए देश के विविध राज्यों में चुनाव होगा जिसमें गुजरात की 4 सीट भी शामिल हैं।

By Kishor JoshiEdited By: Published: Tue, 27 Feb 2018 05:39 PM (IST)Updated: Tue, 27 Feb 2018 07:19 PM (IST)
गुजरात में राज्यसभा का दंगल फिर रोमांचक, अशोक गहलोत होंगे कांग्रेस उम्मीदवार?
गुजरात में राज्यसभा का दंगल फिर रोमांचक, अशोक गहलोत होंगे कांग्रेस उम्मीदवार?

 शत्रुघ्न शर्मा, अहमदाबाद। गुजरात में राज्यसभा की एक सीट के लिए गत वर्ष हुआ रोमांचक मुकाबला एक बार फिर देखने को मिल सकता है।  भाजपा के तीन मंत्री अरुण जेटली, पुरुषोत्तम रुपाला, मनसुख मांडविया का कार्यकाल पूरा होगा लेकिन विधानसभा में सदस्यों की संख्या को देखते हुए भाजपा राज्यसभा की चार में से 2 सीट ही जीतने की स्थिति में है, पर तीसरी सीट पर दावा ठोकने की प्रबल संभावना है। उधर कांग्रेस के राज्य प्रभारी अशोक गहलोत के भी मैदान में आने की चर्चा है। 

loksabha election banner

कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव व गुजरात के पार्टी प्रभारी अशोक गहलोत गुजरात से राज्यसभा चुनाव लड सकते हैं। विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को 182 में से 80 सीट दिलाकर गहलोत पार्टी आलाकमान की नजरों में चढ गए हैं, कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी  से उनके करीबी रिश्ते हैं तथा आगामी लोकसभा चुनाव में उनको बडी जिम्मेदारी मिलने की संभावना है। ऐसे में पार्टी उन्हें राज्यसभा प्रत्याशी बनाकर दिल्ली बुला सकती है। 

जेटली, रुपाला व मांडविया होंगे रिटायर

मार्च में राज्यसभा की 58 सीटों के लिए देश के विविध राज्यों में चुनाव होगा जिसमें गुजरात की 4 सीट भी शामिल हैं। भाजपा के तीन केन्द्रीय मंत्री अरुण जेटली, पुरुषोत्तम रुपाला व मनसुखा मांडविया में से किसी एक का टिकट कटने की पूरी संभावना है। माना यह जा रहा है कि जेटली को राजस्थान या महाराष्ट्र से राज्यसभा भेजा जा सकता है। गुजरात की चार राज्यसभा सीट में से चुनाव जीतने के लिए एक उम्मीदवार को 37 मतों की जरुरत पडेगी इस संख्या के आधार पर भाजपा व कांग्रेस दो - दो सीट जीतने में सक्षम है लेकिन भाजपा अध्यक्ष अमित शाह गत राज्यसभा चुनाव की तरह इस बार भी कांग्रेस के खाते की एक सीट पर सेंध लगाने की कोशिश कर सकते हैं। 

शाह पिछले राज्यसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस के 12 विधायकों को तोडने में कामयाब रहे थे, इनमें से एक बलवंतसिंह राजपूत को तो उनके ही राजनीतिक गुरु अहमद पटेल के सामने मैदान में उतार दिया था। हालांकि गहलोत के अनुभव व प्रदेश अध्यक्ष भरतसिंह सोलंकी की रणनीति के चलते कांग्रेस अपने नेता को चुनाव जिताने में कामयाब रही लेकिन कांग्रेस को एक बार फिर ऐसे हालात का सामना करना पड सकता है। नेता विपक्ष पद को लेकर कांग्रेस में उभरे असंतोष तथा सदन में पाटीदार दमन पर कांग्रेस की चुप्पी इस असंतोष को हवा दे सकता है। 

हार्दिक का कांग्रेस से मोहभंग 

विधानसभा चुनाव से पहले भाजपा का सिरदर्द बने पाटीदार नेता हार्दिक पटेल का कांग्रेस से मोह भंग हो रहा है। विधानसभा में पाटीदार दमन की घटना को नहीं उठाने तथा आंदोलन के दौरान पाटीदार युवकों के खिलाफ दर्ज मुकदमों को लेकर सदन में कांग्रेस की चुप्पी हार्दिक को अखर रही है। हार्दिक अपने बयान में कहते हैं कि दलित कार्यकर्ता की मौत पर सदन में चर्चा हो ठीक बात है लेकिन पिछले तीन साल से चल रहे पाटीदार आंदोलन तथा इसमें युवकों पर दर्ज राजद्रोह जैसे मुकदमें व दमन की घटना पर कांग्रेस का एक भी विधायक बोलने को तैयार नहीं है, नेता विपक्ष परेश धनानी खुद युवा हैं, उनसे समाज को अपेक्षा थी लेकिन जनता की उम्मीद पर पानी फिर गया है।

यदि ऐसा ही है तो भाजपा व कांग्रेस दोनों एक जैसे हैं, फिर जनता किसके पास जाऐगी। हार्दिक की कांग्रेस से दूरी से आगामी चुनाव में नए समीकरण बना सकती है, सत्ता के करीब जाने को आतुर कुछ विधायक कभी भी पाला बदल सकते हैं जबकि इस बार भाजपा के पास दिग्गज नेता शंकरसिंह वाघेला जैसा कोई चेहरा नहीं है। 


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.